जनजीवन अस्तव्यस्त,फसलों को नुकसान

अंबिकापुर,26 जुलाई 2025 (घटती-घटना)। सरगुजा संभाग में पिछले दो दिनों से हो रही मूसलधार बारिश ने जनजीवन को अस्तव्यस्त कर दिया है। नदी-नाले उफान पर हैं और कई इलाकों में बाढ़ की स्थिति बन गई है। रामानुजगंज के कनहर नदी पर स्थित पुलिया के ऊपर से पानी बहने के कारण रास्ते बंद हो गए हैं। वहीं,भारी बारिश के कारण कई कच्चे मकान गिर गए हैं,जिससे जनहानि भी हुई है। शनिवार की सुबह रामानुजगंज के एक कच्चे मकान की दीवार गिरने से एक बच्ची की मौत हो गई। इसके अलावा, चार अन्य लोग घायल हुए हैं। सूरजपुर जिले के कई गांव बाढ़ के कारण जलमग्न हो गए हैं। नदियों में पानी बढऩे से सूरजपुर जिला मुख्यालय का अन्य स्थानों से संपर्क पूरी तरह टूट गया है। इसी तरह, सरगुजा जिले के मैनपाट, उदयपुर,और अन्य क्षेत्रों में भारी बारिश से सडकों और पुलों का हाल बेहाल हो गया है। इन क्षेत्रों में आवागमन बाधित हुआ है और लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा है। बारिश के कारण खेती-बाड़ी को भी भारी नुकसान हुआ है, खासकर धान की फसलें बर्बाद हो गई हैं। इस स्थिति ने किसानों को आर्थिक संकट में डाल दिया है।
कोरिया और मनेन्द्रगढ़ में भी बाढ़ की स्थिति
कोरिया और मनेन्द्रगढ़ जिले में भी भारी बारिश ने तबाही मचाई है। अमृतधारा नदी और कई अन्य नदियां उफान पर हैं, जिसके कारण कई गांवों में बाढ़ की स्थिति बन गई है। इन क्षेत्रों में भी जनजीवन प्रभावित हुआ है, और प्रशासन राहत कार्यों में जुटा है।
मौसम विभाग का अलर्ट
मौसम विभाग ने 24 जुलाई से ही भारी बारिश का अलर्ट जारी किया था। बताया गया कि बंगाल की खाड़ी में एक विक्षोभ सक्रिय हो गया है, जिसका असर उत्तर और दक्षिण छत्तीसगढ़ में देखा जा रहा है। इस विक्षोभ का असर खासकर दक्षिण छत्तीसगढ़ के जिलों पर अधिक पड़ा है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार यह विक्षोभ 27 जुलाई तक धीरे-धीरे कमजोर होकर निम्न दबाव क्षेत्र में बदल सकता है।
आगे की स्थिति और राहत कार्य
मौसम विभाग के अनुसार,बारिश का दौर 27 जुलाई तक जारी रहने की संभावना है,लेकिन 28 जुलाई से स्थिति में कुछ सुधार होने की उम्मीद जताई जा रही है। राहत और बचाव कार्यों में स्थानीय प्रशासन पूरी तरह से जुटा हुआ है। प्रभावित क्षेत्रों में खाने-पीने की सामग्री और चिकित्सा सुविधाएं पहुंचाई जा रही हैं। इसके अलावा,प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे ऊंचे स्थानों पर चले जाएं और सुरक्षित रहें। सरगुजा संभाग में पिछले दो दिनों से हो रही भारी बारिश ने जिस तरह से जनजीवन को प्रभावित किया है,वह क्षेत्रीय सरकार और प्रशासन के लिए एक बड़ा चुनौती बन गया है। लोगों की सुरक्षा और उनके जीवन को बचाने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि इस संकट से जल्द निपटा जा सके।
अंबिकापुर नगर निगम पर सवालिया निशान
अंबिकापुर नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। लगातार दो दिनों से हो रही मूसलधार बारिश ने शहर के बौरीपारा रूनझून तालाब बस्ती में जनजीवन को अस्तव्यस्त कर दिया है। यहां की नीचली बस्तियों में बारिश का पानी घरों में घुस गया,जिससे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। एक व्यक्ति ने सोशल मीडिया पर इस स्थिति का वीडियो वायरल किया,जिसमें उन्होंने नगर निगम की कार्यशैली को फेल बताया। वीडियो में यह भी कहा गया कि स्थानीय जनप्रतिनिधि भी प्रभावित क्षेत्रों में स्थिति का जायजा लेने तक नहीं पहुंचे हैं।
रामानुजगंज में दीवार
गिरने से हुई बच्ची की मौत
रामानुजगंज में भारी बारिश के कारण कच्चे मकानों के गिरने का सिलसिला जारी है। शनिवार को प्रमोद रवि के घर के पास एक कच्चा मकान गिर गया। इस हादसे में घर के आसपास के 5 लोग मलबे में दब गए,जिनमें से एक बच्ची,खुशबू की मौत हो गई। अन्य चार लोग घायल हो गए हैं, जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया है। यह घटना स्थानीय लोगों के लिए गहरा आघात बन गई है।
कृषि क्षेत्र पर पड़ा गहरा असर
कृषि क्षेत्र को भारी नुकसान हुआ है,खासकर धान की फसलें बर्बाद हो गई हैं। नदियों के उफान और भारी बारिश के कारण खेतों में पानी भर गया है,जिससे फसलें डूब गई हैं। इससे किसानों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। फसलें बर्बाद होने से किसानों में निराशा का माहौल है। स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार राहत कार्यों में जुटे हैं,लेकिन स्थिति गंभीर बनी हुई है।
वर्षा के रिकॉर्ड : पिछले
वर्षों में भी थी भारी बारिश
इस वर्ष, 26 जुलाई तक सरगुजा संभाग में 889.7 मिमी वर्षा हो चुकी है,जो पिछले कुछ दशकों में बारिश के आंकड़ों से काफी करीब है। वर्ष 1994 में 1528.7 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गई थी, जो अब तक का सबसे अधिक वर्षा रिकॉर्ड है। 2001 में 1352.6 मिमी,1971 में 1052.1 मिमी और 1980 में 1003.6 मिमी बारिश हुई थी। इन रिकॉर्ड्स के बीच 2025 में जुलाई के अंत तक 889.7 मिमी वर्षा दर्ज की गई है। इस वर्ष बारिश के आंकड़े पिछले कुछ वर्षों की तुलना में उच्चतम रहे हैं, जिससे बाढ़ की स्थिति और भी भयावह हो गई है।