अंबिकापुर,28 जून 2025 (घटती-घटना)। छत्तीसगढ़ी साहित्य एव परंपरा,बोली भाषा को अंतररास्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाले पद्मश्री सुरेंद्र दुबे जी के असमय निधन से छत्तीसगढ़ के हर वर्ग में दुख की लहर है ,सुरेंद्र दुबे एक गाव से निकलकर कई।देशों की सहित्यिक यात्रा करते हुए देश विदेश में भी छत्तीसगढ़ी साहित्य का डंका बजाया जिससे छत्तीसगढ़ की विश्व पटल पर पहचान बनी है ,छत्तीसगढ़ राजभाषा सूरजपुर के जिला समन्यवक डॉ मोहन साहू ने दुबे जी के असमय निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुवे कहा ही दुबे जी एक जिंदा दिल इंसान थे वे छोटे बड़े सभी को समान नजर से देखते थे उनकी कविताओं में हमेशा छत्तीसगढ़ी और छत्तीसगढि़या के मान -सम्मान के साथ अपनी कविताओं के शुरुवात करते थे चाहे वह भारत का कोई जगह हो या विदेश का कोई जगह ,आगे डॉ मोहन साहू ने कहा कि जंहा कही भी राजभाषा का कार्यक्रम जो या छत्तीसगढ़ सहित्यिक कार्यक्रम में सभी जिले वालो से मिलकर हाल चाल पूछते थे और जिसको एक बार नाम से जान लेते थे उनको भीड़ में भी पहचान कर बड़े ही सादगी से बात करने वाले साहित्य के पुरौधा के नही रहने से साहित्य जगत को गहरा धक्का लगा है।
