सूरजपुर@निलंबित होने के बाद भी भैयाथान तत्कालीन तहसीलदार केअसंवैधानिक कार्यों की आ रही शिकायतें

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-शमरोज खान-
सूरजपुर, 27 जून 2025 (घटती-घटना)। जिले का भैयाथान तहसील कार्यालय का अजब-गजब कारनामा देखने सुनने को मिल रहा है। यहाँ पदस्थ अधिकारियों का भूमि माफियाओं से गजब का गठजोड़ देखने को मिला, जिससे कई बहुमूल्य भूमियो का फर्जीवाड़ा कर बिक्री कर दिया गया। एक मामले में शिकायत मिलने पर संजय राठौर को निलंबित कर बलरामपुर अटैच कर दिया गया था, इसके बाद भी उनके किए गए कारनामों की परत दर परत जानकारी अब इनके कारनामों की और सामने आ रही है, लगातार शिकायत कलेक्टर सूरजपुर के पास पहुंच रहा है, अभी तक तकरीबन आधा दर्जन से अधिक शिकायत हो चुकी है और सारी शिकायत अलग-अलग मामले की बताएं जा रही है, आखिर संजय राठौर की कार्यप्रणाली इतनी गंदी थी कि उनसे कई लोग प्रभावित हो चुके हैं और कई लोगों को उन्होंने पैसे की लालच में प्रभावित कर दिया है, उसे जगह पर रहते हुए संजय राठौड़ ने खूब पैसे कमाए हैं यह भी और आरोप लगा है, जमीन खरीदी भी उन्होंने की है जिससे उनकी कार्यप्रणाली प्रथम दृष्टि में कितनी खराब थी यह सभी को समझ आ चुका है,बस अब चीज जांच में स्पष्ट होने की देर है। जानकारी तो यह भी आ रही है कि संजय राठौर निलंबित होने के बाद भी कई फाइल अपने घर में रखे हुए हैं उन फाइलों में छेड़छनी की संभावना बनी हुई है और फाइल गुम हो सकती है यह भी कहा जा रहा है यह ऐसी फाइल है जिनमें इन्होंने पैसे भी लिए हैं और गलत निर्णय दिए हैं। आपको बता दे की तहसील कार्यालय में पदस्थ पूर्व निलंबित तहसीलदार के कारनामे एक एक कर सामने आने लगे है। मंगलवार को कलेक्टर जनदर्शन में भैयाथान तहसील के ग्राम कोयलारी निवासी प्रभात दुबे ने तत्कालीन तहसीलदार राठौर और उनके गुर्गों पर गंभीर आरोप लगा कलेक्टर को दिए शिकायत में बताया गया है कि बीते माह तक उनकी पुस्तैनी जमीनें उनके व उनके भाई थानेश दुबे और महेश के नाम पर थी जो कि अचानक से मधुसूदन दुबे के नाम पर नामांतरण हो गई है। यह जादुई चमत्कार कैसे हुई पता करने शिकायत लेकर तत्कालीन तहसीलदार संजय राठौर के पास पहुँचे तो उन्होंने रिकार्ड दुरस्त करने के लिए 20 हजार रुपयों की मांग की थी। जिसके बाद 16 जून 2025 को उनके द्वारा जनदर्शन में शिकायत की थी।
संजय राठौर के कार्यकाल में कोई जमीन विहीन हो गया तो कोई जमीन का बहुत बड़ा दलाल हो गया
तत्कालीन तहसीलदार भैयाथान संजय राठौर की कार्यप्रणाली इतनी न्याय विरोधी थी कि वहां पर कई जमीन विवाद ना होते हुए भी खड़े हो गए,कई प्रकरण न्यायालय में दर्ज हो गए और कई प्रकरण अभी दर्ज होंगे,क्योंकि इनकी कार्य प्रणाली ही इतनी गंदी थी कि यह पैसे के लिए कुछ भी करने को तैयार थे,आज यही वजह है कि उनके खिलाफ शिकायतों की अंबर है बेवजह का जमीन विवाद का केस उन्होंने तहसील कार्यालय पर मढ़ दिया है और आने वाले तहसीलदारों के लिए भी समस्या बढ़ा दी है,जिनके पास पैतृक जमीन थी वह भी जमीन विहीन हो गए वह भी बिना जमीन बेच,सारी छेड़खानी इन्हीं के कार्यकाल में देखने को मिली फर्जी तरीके से न्याय संगत को दरकिनार कर अन्य संगत वाली उनकी कार्यवाही ने पूरे राजस्व विभाग के मुंह पर कालिक पोत दी है, अब मामला विभागीय जांच पर है और तत्कालीन तहसीलदार साहब इस जांच से बचने के लिए काफी हाथ पैर मार रहे हैं,फड़फड़ा भी रहे पर जांच होगी और जांच की नकल भी लोग मांगेंगे इसीलिए निष्पक्ष जांच इस मामले में अत्यंत जरूरी हो गया,क्योंकि लोगों के पास कई साक्षी ऐसे मौजूद हैं जो तहसीलदार साहब को दोषी ठहरा सकते हैं।
आइए जानते है प्रभात दुबे की शिकायत क्या कहती है…

प्रभात दुबे ने अपने शिकायत आवेदन में उल्लेख किया है कि जनदर्शन में शिकायत के बाद बीते गुरुवार 20/06/25 को मकसूदन दुबे ने एक समाचार के माध्यम से वीडियो जारी किया जिसमें उनके द्वारा बोला गया है कि प्रभात दुबे के पिता जनार्दन दुबे थे नहीं, जिससे उसे शक हुआ और उसने भुइया के पोर्टल पर दिखवाया तो उसकी समस्त भूमि मकसूदन दुबे के नाम पर नामांतरण हो चुकी थी। पीडि़त ने बताया कि यह उनकी पैतृक भूमि है उनके पिता जनार्दन दुबे भारतीय सेना में थे, रिटायरमेंट के बाद उन्होंने प्रसार भारती अंबिकापुर में भी कार्य किया। पिता की मृत्यु पश्चात दोनों स्थानों से उनकी माता को जीवन निर्वाह भत्ते के रूप में पेंशन भी मिल रहा था। पैतृक भूमियों के फर्द बंटवारा में प्राप्त भूमियों का पिता के मृत्यु पश्चात माता भी सभी भाइयों का नाम एवं माता की मृत्यु होने पर समस्त भूमियो पर प्रभात दुबे के साथ उनके भाइयो का नाम चढ़ा था। कलेक्टर को दिए आवेदन में बताया है कि वह गरीब है और कम पढ़ा लिखा है जिसका भरपूर फायदा तत्कालीन तहसीलदार एवं उसके गिरोह के ग्राम कोइलारी के ही शिवम दुबे व आदर्श दुबे नामक दोनों गुर्गे का उठाये है। उन्होंने अपना अपने पिता, माता और भाइयों के दस्तावेजो को प्रमाण सहित प्रस्तुत कर नामजद शिकायत किया है जिसमे बताया गया है कि दिनांक 25.05.2025 के पूर्व 14 पैतृक भूमि, खसरा न. 140/1,133,141,206/2,332/1,186/3,186/4,241/2,32/3,490,394/1, 191/1,378/2,473 पर उनके व उनके भाइयो का नाम दर्ज था,अब यह भूमि मधुसूदन दुबे के नाम पर दर्ज है। उन्होंने ने इस बावत मधुसूदन दुबे से बात की तो उन्होंने ने उनके अस्तित्व को ही नकार दिया। फिलहाल तत्कालीन तहसीलदार संजय राठौर को फर्जी नामांतरण के के आरोप में संभागायुक्त सरगुजा ने निलंबित किया है लेकिन अभी भी क्षेत्र में उनके गिरोह के सदस्य क्षेत्र में खुलकर जमीन की अफरा तफरी में जुटे हुए है। पीडि़त ने कलेक्टर जनदर्शन में शिकायत कर नामांतरीत भूमियों को प्रार्थी व उसके भाइयों के नाम कराने और दोषियों पर जल्द से जल्द कार्यवाही करते हुए न्याय करने की गुहार लगाई है।


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