अंबिकापुर @ सरगुजा अंचल में मिलते हैंअनेक प्राचीन शैल व भित्ति चित्र

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  • अंबिकापुर,13 जून 2025 (घटती-घटना)। जिला प्रशासन सरगुजा द्वारा रामगढ़ में दो दिवसीय रामगढ़ महेात्सव का आयोजन 11 एवं 12 जून को किया किया गया। कार्यक्रम के पहले दिन राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन हुआ जिसमें सूरजपुर जिले के जिला पुरातत्व के सदस्य राज्यपाल पुरस्कृत व्याख्याता अजय कुमार चतुर्वेदी ने सरगुजा अंचल के शैलचित्र एव भित्ति चित्र कला के संबंध में विस्तार से शोध पत्र का वाचन किया। अजय चतुर्चेदी ने बताया कि सरगुजा अंचल में अनेक प्राचीन शैल चित्रों और भित्ति चित्र देखने को मिलते हैं। कुछ शैल चित्रों और भित्ति चित्र शासन की नजर में हैं। किन्तु कुछ आज भी अज्ञात स्थिति में संरक्षण की बाट जोह रहे हैं। रामगढ़ के जोगीमाड़ा गुफा के मौर्य कालीन भित्तिचित्र ऐतिहासिक काल की भारतीय चित्रकला के प्राचीनतम उदाहरण हैं। अजय चतुर्वेदी ने अपने शोध पत्र में सरगुजा अंचल के भित्तिचित्रों, शैलचित्रों, शिला लेख एवं दीवालों पर बनाए गये रजवार भित्ति चित्र कला पर विस्तार से प्रकाश डाला है। जिसमें जोगी माड़ा गुफा के भित्ति चित्र (सरगुजा जिला), ढ़ोढा¸ गाव सीतापुर के भित्तिचित्र (सरगुजा जिला), जोगी माड़ा गुफा के भित्तिचित्र (सूरजपुर जिला),सीतालेखनी पहाड़ के भित्तिचित्र (सूरजपुर जिला), कुदरगढ़ के भित्तिचित्र (सूरजपुर जिला) कठौता पहाड,नवाधक्की के भित्ति चित्र (सूरजपुर जिला), बच्छराज कुवंर के भित्ति चित्र (बलरामपुर जिला) और दीवालों पर बनाए गये रजवार भित्ति चित्र के बारे में विस्तार से अवगत कराया। भित्ति चित्र कला की कुशल कला शिल्पी सोनाबाई की भित्ति चित्रकला देश-विदेश में सरगुजा की पहचान बना चुकी है। दीवालों पर बनाए गये भित्ति चित्र काफी आकर्षक लगते हैं। यह कला रजवार जाति की पारंपतिक भित्ति चित्र कला है। इस दौरान अंबिकापुर विधायक राजेश अग्रवाल ने रामगढ़ महोत्सव 2025 के दौरान राष्ट्रीय संगोष्ठी में अजय चतुर्वेदी को स्मृति चिन्ह और सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया।

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