सूरजपुर,10 जून 2025 (घटती-घटना)। जिले में शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण के नाम पर चल रही काउंसलिंग प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर धांधली, अनियमितता और शासन के निर्देशों की अवहेलना का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। कलेक्टर को सौंपे गए एक विस्तृत ज्ञापन में शिक्षकों ने जिला शिक्षा अधिकारी को सीधे तौर पर दोषी ठहराते हुए सम्पूर्ण दूषित प्रक्रिया को तत्काल निरस्त करने की मांग की है। सौंपे गए ज्ञापन में शिक्षकों के अनुसार काउंसलिंग में जो वरिष्ठता सूची जारी की गई वह पूरी तरह त्रुटिपूर्ण रही। लगातार आपत्ति के बावजूद जिला शिक्षा अधिकारी ने संशोधन नहीं किया। नतीजा यह हुआ कि कई शिक्षक गलत वरिष्ठता क्रम में आ गए और उनके भविष्य के साथ खुला खिलवाड़ हुआ। कई ऐसे विद्यालयों के पद दिखाए गए जहाँ पहले से शिक्षक कार्यरत हैं। वहां पदांकित नए शिक्षकों को कार्यभार ग्रहण ही नहीं करने दिया गया। इससे उनका भविष्य संकट में पड़ गया, जबकि शासन ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि केवल रिक्त पदों पर ही पोस्टिंग हो। शासन के निर्देशों के बावजूद जिले में आज भी अनेक शिक्षक विहीन व एकल शिक्षकीय स्कूल खाली पड़े हैं। जिला शिक्षा विभाग ने एकल व रिक्त स्कूलों को नजरअंदाज कर अधिक दर्ज संख्या वाले स्कूलों को वरीयता दी, जिससे शिक्षा व्यवस्था चौपट हो रही है। हाई स्कूल व हायर सेकेण्डरी स्कूलों में भी अतिशेष शिक्षकों की सूची में भारी गड़बड़ी सामने आई है। सूत्रों के अनुसार यहाँ भी चहेतों को लाभ पहुँचाने के लिए सूची में हेरफेर किया गया। ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि महिला शिक्षिकाओं के वरिष्ठता को दरकिनार कर पुरुष शिक्षकों को पहले बुलाकर पदस्थापना दे दिया गया। परिणामस्वरूप कई महिला शिक्षिकाओं को मजबूरी में दूरस्थ स्थानों पर जाना पड़ा या फिर उनके लिए पद ही नहीं बचे। काउंसलिंग के दौरान सेजस स्कूल में भी नियम विरुद्ध तरीके से पदस्थापना कर दी गई। इससे भी सरकार के दिशा-निर्देशों की धज्जियां उड़ीं। अतिशेष शिक्षकों को चिन्हांकित करने के बाद उन्हें दावा-आपत्ति का अवसर तक नहीं दिया गया। इससे शिक्षकों को बड़ी परेशानी झेलनी पड़ी। ज्ञापन में यह भी आरोप है कि मुख्यमंत्री के स्पष्ट निर्देशों कि सबसे पहले शिक्षक विहीन व एकल शिक्षकीय विद्यालयों को भरना है का खुलेआम उल्लंघन हुआ है। परिणामस्वरूप आज भी जिले में सैकड़ों बच्चे बिना शिक्षक के पढ़ने को मजबूर होंगे। इतना ही नहीं, शासन के स्पष्ट आदेश के बावजूद 1932 में स्थापित ऐतिहासिक प्राथमिक शाला सलका का समायोजन कर दिया गया, जो कि नियम विरुद्ध है। शिक्षक साझा मंच ने मांग की है कि पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए, दोषी जिला शिक्षा अधिकारी व कर्मचारियों पर कठोर कार्रवाई हो और वर्तमान दूषित काउंसलिंग प्रक्रिया को अविलंब निरस्त किया जाए। सौंपे गए ज्ञापन पर यदि कोई कार्यवाही नहीं होती है तो? 16 जून से शाला प्रवेशोत्सव का बहिष्कार और उग्र आंदोलन की चेतावनी दी गई है। ज्ञापन सौंपने के दौरान शिक्षक साझा मंच सूरजपुर के जिला संचालक सचिन त्रिपाठी, यादवेन्द्र दुबे,भूपेश सिंह,विजय साहू, गोपाल विश्वकर्मा,निर्मल भट्टाचार्य और राजकुमार सिंह सहित सैकड़ों शिक्षक उपस्थित रहे।

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