रायपुर,15 मई 2025 (ए)। माओवादी संगठन की ओर से एक बार फिर शांति वार्ता की पेशकश पर छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री और गृह मंत्री विजय शर्मा ने साफ शब्दों में कहा है कि बातचीत उसी स्थिति में संभव होगी, जब माओवादी स्वयं सामने आकर पहल करेंगे। उन्होंने यह भी दोहराया कि जो लोग बस्तर के संघर्ष और पीड़ा में कभी साथ नहीं खड़े हुए,वे आज शांति की बात करें तो यह स्वीकार नहीं किया जा सकता। गृह मंत्री शर्मा ने कहा कि कुछ संस्थाएं और व्यक्ति वार्ता का प्रस्ताव लेकर आ रहे हैं,लेकिन ये वही लोग हैं जो कभी चिंगावरम,घोड़ा गांव, एर्राबोर,दरभा गुड़ा,ताड़मेटला और झीरम घाटी जैसी घटनाओं में मारे गए निर्दोष आदिवासियों के पक्ष में सामने नहीं आए। उन्होंने सवाल उठाया कि जब इन भयावह घटनाओं में आदिवासी मारे गए और छत्तीसगढ़ के नेताओं पर हमले हुए,तब इन लोगों की संवेदना कहां थी? उन्होंने यह भी कहा कि मणिकोंटा, रानीबोली और ताड़मेटला जैसे स्थानों की त्रासदियों पर भी इन लोगों की चुप्पी रही। अब अचानक सामने आकर वे यह निर्देश देने लगे हैं कि राज्य और केंद्र सरकार को क्या करना चाहिए। गृह मंत्री ने साफ किया कि इस तरह से किसी संस्था या व्यक्ति के माध्यम से बातचीत नहीं की जा सकती। विजय शर्मा ने कहा कि अगर माओवादी सच में वार्ता करना चाहते हैं, तो सरकार उनसे बात करने को तैयार है। ना केंद्र सरकार और ना ही राज्य सरकार हिंसा चाहती है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अपील भी यही है कि माओवादी मुख्यधारा में लौटें। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह कोई हार-जीत की बात नहीं है, माओवादी भी भारत के ही नागरिक हैं,जो रास्ता भटक गए हैं। उन्हें पुनर्वास का मौका दिया जाएगा, मान-सम्मान के साथ मुख्यधारा में लौटने के लिए सरकार पूरी तरह तैयार है।
