- क्या शिक्षित होना और शिक्षक बनकर किसी अशिक्षित व्यक्ति को नुकसान पहुंचाना उद्देश्य?
- क्या शिक्षा इस लिए ली जा रही ताकि अशिक्षित लोगों को नुकसान पहुंचाना या उन्हें लूटने के लिए है?
- शिक्षक होकर यदि अशिक्षित लोगों को लूट रहे हैं तो फिर अपने विद्यार्थियों को क्या शिक्षा देते होंगे?
- कोरवा जाति को राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र माना गया है और ऐसे लोग को विशेष संरक्षण दिया जाता है पर ऐसे लोगों के साथ ही धोखा हो रहा है…

-सुदामा राजवाड़े-
बलरामपुर/रामानुजगंज,23 अप्रैल 2025 (घटती-घटना)। शिक्षक समाज का एक महत्वपूर्ण अंग माना गया है क्योंकि वह समाज को विकसित करने व लोगों को शिक्षित करने की जिम्मेदारी निभाते हैं ताकि लोग शिक्षित हो सके,जानकार बन सके,पर यदि ऐसे शिक्षक ही अशिक्षित लोगों का इस्तेमाल करें और उनकी मर्जी के बिना उनके अशिक्षित होने का लाभ उठाकर उन्हें बड़ा नुकसान पहुंचाए तो फिर ऐसे शिक्षकों से क्या उम्मीद की जा सकती है। एक ऐसा ही मामला बलरामपुर जिले का सामने आया है जहां शिक्षक कोरवा जाति के व्यक्तियों का लगभग 13 एकड़ जमीन पटवारी के सांठ-गांठ से अपने नाम दर्ज कर लिया है जिसकी शिकायत अब कलेक्टर को हुई है।
शंकरगढ़ विकासखण्ड के ग्राम पंचायत खैराडीह में पहाड़ी कोरवाओं का जमीन फर्जी तरीके से एक शिक्षक द्वारा जमीन अपने नाम पर चढ़वाने का मामला उजागर हुआ था जिसमें आवेदकों ने बलरामपुर कलेक्टर से कार्यवाही हेतु गुहार लगाई थी लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी कोई कार्यवाही नही होने से राजनीतिक पकड़ रखने वाले शिक्षक का हौसला बुलंद है। शिवबरत पिता लखनसाय जाति-कोरवा,उम्र-40 वर्ष, रामब्रत पिता लखनसाय,जाति-कोरवा, उम्र35वर्ष, बानेश्वर पिता हरिहर,जाति-कोरवा,उम्र-41 वर्ष धनेश्वर पिता बाबू राम,उम्र-36 वर्ष,यह सभी राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कोरवा जाति के है और शंकरगढ़ के ग्राम पंचायत खैरडीह में निवास करते है। इन्होंने न्यायालय कलेक्टर बलरामपुर को आवेदन देकर बताया था कि इनकी जमीन फर्जी तरीके से पटवारी व बिहारी लाल भगत जो कि पेशे से शिक्षक है के द्वारा इनकी सेटलमेंट की जमीन को अपने नाम पर चढ़वा ली गई है और सोसायटी में उनकी जमीन का पंजीयन कराकर धान बेचा जा रहा है व खाद निकाला जा रहा है। कोरवा जाति के लोगों ने बताया है कि 13 प्लाट को लगभग 13 एकड़ जमीन पटवारी के साथ साठ गांठ कर जमीन शिक्षक बिहारी लाल द्वारा अपने नाम पर दर्ज करा लिया गया है जो कि कोरवा जाति के सेटलमेंट की जमीन है। कोरवा जाति के लोगों ने आवेदन में बताया है कि बिहारी लाल भगत पेशे से शिक्षक है व राजनैतिक पकड़ रखते है जिस वजह से उनको जमीन के किसी कार्यवाही के लिए डराते धमकाते भी रहते है व अनुविभागीय कार्यलय तक जाने नही देते है। जबकि शिक्षक के पास खुद की पर्याप्त भूमि है फिर भी जमीन हड़प कर कोरवाओं को दबाना चाहते है। कोरवा जाति के लोगों ने बताया कि ऋ ण पुस्तिका में भी उनके पिता जी का नाम दर्ज है लेकिन ऑनलाइन बी-1 खसरा में बिहारी लाल का नाम आ रहा है। यह पटवारी के साथ सांठ-गांठ कर कब नाम बदल गया इसकी जानकारी इनको भी नहीं है। आवेदन में छल से लिया गया जमीन कोरवा जाति के लोगों का जल्द न्याय कर वापस दिलाने की गुहार लगाई है और बताया है कि जितनी राशि की धान उनके जमीन में बिक्री हुआ है उसकी राशि भी उनको दी जाए व ऐसे धांधलीबाज शिक्षक को जल्द से जल्द निलंबित किया जाए शिकायत के दौरान बलरामपुर कलेक्टर राजेंद्र कुमार कटारा ने आश्वासन दिया था कि जल्द से जल्द जाँच करायी जाएगी व दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही भी की जाएगी लेकिन आज तक राष्ट्रपति के दत्तक पुत्रों को न्याय नहीं मिल सका है। ग्राम पंचायत खैरडीह के ग्राम धसनी में शिक्षक बिहारी लाल भगत पदस्थ है और वहाँ के लोगो ने बताया कि बिहारी लाल बहुत ही कम स्कूल आते है।
मिटकु भगत पत्नी पूर्व सरपंच:
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाते हुए बताया कि मिटकू भगत शिक्षक बिहारी लाल भगत का बड़ा भाई है और उनकी पत्नी पूर्व में सरपंच थी उस समय ही यह जमीन का वारा न्यारा हुआ था,आज हम अपनी जमीन पाने के लिए उतने मजबूत नहीं है कि हम उनसे जमीन छीन सकें। यही वजह है कि हम सिर्फ आवेदन-निवेदन ही कर सकते हैं। ज्यादा पढ़े-लिखे ना होने की वजह से लिखा-पढ़ी भी हम नहीं कर पाते अब हमारी मदद सिर्फ प्रशासन हीं कर सकता है और यदि किसी को दया आ गया तो हमारे लिए आकर खड़ा हो जाता है और हमारी आवाज बनने का प्रयास करता है।
क्या सरगुजा के पूर्व कैबिनेट मंत्री के रिश्तेदार हैं दबंग शिक्षक?
सूत्रों का कहना है कि पूर्व सरकार के सरगुजा संभाग के एक कैबिनेट मंत्री उनके रिश्तेदार हैं इनके कार्यकाल में भी शिकायतें हुई पर कार्यवाही नहीं हुई क्योंकि इनके रिश्तेदार ही कैबिनेट मंत्री थे क्योंकि उनके परिवार के किसी व्यक्ति की शादी उनके घर में हुई है ऐसा सूत्रों का कहना है जिस वजह से पुरानी सरकार में यह कार्रवाई नहीं हो पाई।
क्या सरगुजा सांसद भी कोरवा पांडो को नहीं दिला पाएंगे उनकी जमीन
सरगुजा सांसद क्या कोरवा पण्डो की जमीन दिला पाएंगे क्या वह पूरी तरीके से अशिक्षित व गरीब व्यक्ति की मदद करेंगे? क्या उनकी आजीविका की जमीन कोई भी शिक्षित व्यक्ति छीन कर ले जाएगा ऐसे सवाल इसलिए हो रहे हैं क्योंकि आदिवासियों की हितेषी बताने वाले ही उनके हिस्से की जमीन छीन रहे हैं फर्जीवाडा करके अपने नाम कर रहे हैं?
शिक्षक की दबंगई के सामने शिकायत करने भी नहीं देते हैं प्रशासन के लोग:शिकायतकर्ता
शिकायतकर्ताओं ने बताया कि हम जब भी शिकायत करने एसडीएम कार्यालय जाते हैं तो हमें डराया-धमकाया जाता है और वापस भेज दिया जाता है यही वजह है कि आज इतने साल बाद भी हम अपनी जमीन पाने के लिए असहाय हो गए हैं आखिर करें तो करें क्या? जाएं तो जाएं कहां…यदि वह जमीन उनकी है…तो दस्तावेज दिखाएं…कि आखिर कैसे जमीन उनके नाम हुई…कौन सा दस्तावेज लगाकर उन्होंने जमीन अपने नाम कर ली…क्या हमने उन्हें रजिस्ट्री की या फिर वह फर्जी दस्तावेज तैयार करके हमारी जमीन अपने नाम कर लिया?
वर्तमान सरगुजा सांसद चिंतामणि व पूर्व कैबिनेट मंत्री के करीबी बताएं जाते हैं…शिक्षक:
सूत्रों का कहना है कि यह शिक्षक वर्तमान सांसद चिंतामणि वह पूर्व कैबिनेट मंत्री के करीबी हैं इन्हें दोनों पार्टियों से संरक्षण मिला हुआ है एक तरफ जहां पूर्व कैबिनेट मंत्री रिश्तेदारी में आते थे तो वही वर्तमान सांसद से उनकी अच्छी पैठ है जिस वजह से कार्यवाही तो दूर जांच करने भी वहां कोई राजस्व अमला नहीं पहुंचता।
कोरवा जनजाति के पीडि़तों के प्रति जिला प्रशासन नहीं है सजग
क्या सिर्फ नाम के लिए ही इन जातियों को संरक्षित करने के लिए राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र कहा जाता है? इन्हें संरक्षित करने के लिए ही राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र कहा गया था? क्योंकि यह जनजाति काफी कम बची हुई है इन्हें संरक्षित करना ही सरकार का उद्देश्य था पर ऐसी जनजाति को भी संरक्षित कर पाने में प्रशासन नाकाम दिख रही है ऐसे व्यक्ति अशिक्षित होने का दंश झेल रहे हैं आज वह अपने ही जमीन को गवा बैठे हैं सिर्फ शिक्षित दबंग के सामने प्रशासन भी उनके लिए सजग नहीं दिख रहा।
कई एकड़ भूमि के स्वामी होने के बावजूद मजदूरी पर आश्रित है कोरबा जनजाति की पीडि़त
कई एकड़ के भू स्वामी होने के बाद भी मजदूरी के लिए आश्रित है। कोरबा जनजाति के यह पीडि़त व्यक्ति पर उनकी पीड़ा सुने तो सुने कौन… और उनकी पीड़ा देखने वाला कोई नहीं है…जो सुध ले सके सिर्फ उनसे वोट लेने तक ही इनकी सुध ली जाती है…इसके बाद उनकी चिंता किसी को नहीं है। आज आर्थिक रूप से कमजोर होने के साथ भी शिक्षित रूप से कमजोर होना ही इनकी जमीन न पाने की वजह बनती जा रही।
दबंग शिक्षक के सामने जिला प्रशासन भी हुआ नतमस्तक
जमीन पर जबरदस्ती कब्जा करने वाले वह फर्जी तरीके से अपने नाम करने वाले की दबंगई के सामने जिला प्रशासन भी नतमस्तक है यही वजह है कि गरीब व्यक्ति की सुनने वाला प्रशासन भी अमीर व्यक्ति के सामने नतमस्तक दिख रहा।
दबंग शिक्षक को आखिर किस नेता का संरक्षण…जो कोरवा परिवार की शिकायत पर राजस्व विभाग नहीं कर पा रहा कार्रवाई?:

जिस शिक्षक ने कोरबा जनजाति के चार व्यक्तियों की जमीन फर्जी तरीके से अपने नाम दर्ज कर ली है वह काफी ही राजनीतिक पकड़ के साथ दबंग व्यक्तियों में इनकी गिनती आती है यह निचले तपके के गरीब आदिवासियों को दबाकर राजनीति करते हैं। सत्ता किसी की भी रहे पर उनके विरोध करने की हिम्मत किसी की नहीं होती है यही वजह है कि 8 साल से अपने ही जमीन पाने के लिए अशिक्षित राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाली जाति के चार व्यक्ति भटक रहे हैं उन्हें शिकायत करने से भी रोक दिया जाता है और यदि शिकायत होती भी है तो कोई कार्यवाही नहीं कर पाता इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह शिक्षक कितने प्रभावशील व्यक्ति हैं।
फर्जी तरीके से जमीन को अपने नाम करवा कर शिक्षक उसी खाते में बेच रहा था फर्जी धान
शिकायतकर्ता ने बताया कि जमीन अभी भी उनके कब्जे में है और बिना जानकारी दिए ही पटवारी व राजस्व के लोगों से मिली भगत करके वह जमीन अपने नाम करवा लिए और उसी जमीन पर पिछले कई सालों से धान खरीदी केंद्र में पंजीयन करा कर उसे जमीन पर धान बेच रहे हैं जबकि उसी जमीन पर उनके द्वारा धान लगाया ही नहीं जा रहा। यह कारनामा इनके द्वारा तब हुआ था जब सरगुजा से अलग होकर बलरामपुर जिला बना था इस दौरान यह दोनों शिक्षकों ने अपने शिक्षित होने का लाभ उठाते हुए अशिक्षित व्यक्ति को उसके जमीन से बेदखल करने के रणनीति बना ली और फर्जी तरीके से जमीन अपने नाम चढ़ावा लिया यह और आरोप शिकायतकर्ता का है।