@ सुशासन तिहार में ग्राम पंचायत छिंदिया में आए हैं लगभग 750 आवेदन
अधिकांश आवेदन शौचालय और प्रधानमंत्री आवास के लिए
@ जब पंचायत बीते पंचवर्षीय ही ओडीफ,तो शौचालय के आवेदन खड़ा करते हैं प्रश्न चिन्ह
क्या शासन की महती शौचालय योजना का लाभ नहीं मिला हितग्राहियों को?
@ पूर्व में हुए शौचालय निर्माण की होनी चाहिए गहन जांच-उपसरपंच
-रवि सिंह-
कोरिया,15 अप्रैल 2025 (घटती-घटना)। 2014 से जब केंद्र में सत्ता परिवर्तन हुआ और भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी, इसी समय से प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में स्वच्छ भारत मिशन का आगाज हुआ था। और स्वच्छता के साथ-साथ भारत में प्रत्येक राज्य के प्रत्येक ग्राम में प्रत्येक परिवार के लिए शौचालय की व्यवस्था सुनिश्चित किए जाने का प्रयास प्रारंभ हुआ। जिसके लिए केंद्र सरकार ने राज्यों के हिस्सेदारी को लेते हुए वर्तमान समय तक विपुल धनराशि इस योजना के क्रियान्वयन के लिए जारी की। लोगों को शौचालय के महत्व और उसके उपयोग के लाभ के प्रति जागरूक करने के लिए सैकड़ो प्रकार के प्रयास किए गए, स्वच्छता और शौचालय के प्रति अलख जगाने के लिए पूरी सरकार और पूरा तंत्र झोंक दिया गया। परिणाम स्वरूप जहां-जहां ईमानदारी से कार्य हुए वह पूरा क्षेत्र खुले में शौच मुक्त मुक्त क्षेत्र घोषित हुआ। लाखों ग्राम पंचायत भी इसी तरह खुले में शौच मुक्त ग्राम घोषित हुए। परंतु धरातल स्थिति कुछ और ही नजर आती है। अभी छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा तीन चरणों का सुशासन तिहार मनाया जा रहा है। जिसका प्रथम चरण समाप्त हुआ है, जिसमें प्रत्येक ग्राम पंचायत और नगरीय निकाय क्षेत्रों में अपनी शिकायतें और अपनी-अपनी मांगों से संबंधित आवेदन देने के लिए शिविर लगाए गए। इसी अनुक्रम में ग्राम पंचायत छिंदिया में भी सुशासन तिहार के प्रथम चरण में आवेदन लेने के लिए 8 अप्रैल से 11 अप्रैल तक चार दिवसीय शिविर पंचायत भवन में लगा। जिसमें पंचायत वासियों द्वारा लगभग 750 आवेदन अपनी मांग और शिकायतों के संबंध में प्रस्तुत किए गए। इन आवेदनों में सबसे ज्यादा आवेदन शौचालय और प्रधानमंत्री आवास के लिए आए। सोचने वाली बात यह है कि विगत पंचवर्षीय ही ग्राम पंचायत छिंदिया खुले में शौच मुक्त ग्राम घोषित हो चुका है, अर्थात ग्राम पंचायत छिंदिया के प्रत्येक घर में शौचालय की व्यवस्था सुनिश्चित हो गई है, और ग्राम पंचायत को ओडीफ होने का प्रमाण पत्र मिला है। तब इतनी बड़ी तादाद में शौचालय के लिए आवेदन आना बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है।
जब पंचायत बीते पंचवर्षीय ही ओडीफ,तो शौचालय के आवेदन खड़ा करते हैं प्रश्न चिन्ह
जब ग्राम पंचायत छिंदिया को बीते पंचवर्षीय ही खुले में शौच मुक्त ग्राम घोषित कर दिया गया, तो सुशासन तिहार के प्रथम चरण में शौचालय के लिए सैकड़ो की संख्या में आने वाले आवेदन कहीं ना कहीं ओडीएफ ग्राम घोषित होने के प्रमाण पत्र पर सवालिया निशान लगाते हैं। इससे यही नजर आता है कि प्रशासन द्वारा ओडीएफ घोषित करने के पूर्व पंचायत का निरीक्षण नहीं किया गया या फिर प्रत्येक घर में शौचालय होने की गलत जानकारी उच्च अधिकारियों को प्रदान किया गया। संभावना इस बात की भी है कि सरकार द्वारा हितग्राहियों के लिए शौचालय निर्माण के लिए जारी की गई राशि में गड़बड़ी की गई हो और हितग्राहियों को अंधेरे में रखकर उनके परिवार के लिए आए हुए शौचालय की योजना का केवल कागजी क्रियान्वयन किया गया हो। संभावना इस बात की भी है कि शौचालय निर्माण में लापरवाही पूर्वक घटिया निर्माण को अंजाम दिया गया हो, जो कम समय में ही ध्वस्त हो गया और उपयोग लायक नहीं रहा। बहरहाल उपरोक्त में से कारण कोई भी हो, नुकसान सीधा-सीधा आम जनता का है। और केंद्र शासन की महत्वाकांक्षी योजना पर धरातल पर पलीता लगता नजर आ रहा है। हां कागजों में सब कुछ अच्छा-अच्छा दिख रहा है।
क्या शासन की महती शौचालय योजना का लाभ नहीं मिला हितग्राहियों को?
सुशासन तिहार में आए आवेदन से लगता है कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत शासन की महत्वाकांक्षी योजना प्रत्येक परिवार के लिए शौचालय निर्माण का समुचित लाभ पूर्व में ग्राम पंचायत छिंदिया के ग्रामीणों को नहीं मिल पाया है। जिस कारण इतनी तादाद में लोगों ने सरकार से शौचालय निर्माण की मांग रखी है। यदि पंचायत में समस्त परिवारों के पास स्वयं का शौचालय नहीं है, तो ग्राम पंचायत ओडीएफ कैसे घोषित हुआ। प्राप्त आवेदनों के आधार पर यही लगता है, कि पंचायत को ओडीएफ घोषित करने में जल्दबाजी की गई और केवल कागजी प्रमाण प्रस्तुत किए गए जिनका भौतिकता से कोई लेना देना नहीं।
पूर्व में हुए शौचालय निर्माण की होनी चाहिए गहन जांच:उपसरपंच
सुशासन तिहार में आए आवेदनों पर यही लगता है कि पंचायत के समस्त परिवारों के पास शौचालय उपलब्ध नहीं है, और बिना शौचालय के ग्राम पंचायत ओडीएफ घोषित हुआ है, तो यह जांच का विषय है। क्या परिवारों के लिए, हितग्राहियों के लिए राशि जारी नहीं हुई, या फिर जारी की गई शौचालय निर्माण की राशि का बंदरबांट किया गया, या शौचालय निर्माण केवल कागजों में खाना पूर्ति का माध्यम बना। इसकी जांच होनी चाहिए और उचित कार्यवाही होनी चाहिए।
