- क्या छत्तीसगढ़ में परिवहन अधिकारियों की इतनी कमी हो गई है कि एक अधिकारी को तीन जिलों की जिम्मेदारी सौंप दी गई है?
- दलालों के भरोसे चल रहा है सूरजपुर,कोरिया,एमसीबी जिले का परिवहन कार्यालय
- नाम ट्रांसफर करवाने,लाइसेंस बनवाने सहित वाहन के दस्तावेज पूरा करवाने के लिए दलाल आम लोगों को लूट रहे हैं…
- क्या सूरजपुर परिवहन कार्यालय में बाबू एजेंट के बिना कोई नहीं कर सकता है वाहन दस्तावेजी काम
- बाबू एजेंट लोगों से नाम ट्रांसफर,लाइसेंस बनाने,फिटनेस करने सहित कई कामों के लिए तिगुना चौगान पैसा वसूल रहा है:सूत्र

-शमरोज खान-
सूरजपुर/कोरिया,02 अप्रैल 2025 (घटती-घटना)। एक परिवहन अधिकारी उसके ऊपर तीन जिले की जिम्मेदारी ऐसे में कोई भी काम परिवहन कार्यालय का नहीं हो रहा समय पर, दलालों के भरोसे लोग अपना कार्य रहे हैं, दलाल व एजेंट भी लोगों से वसूल रहे हैं तिगुना दाम, आम व्यक्ति शासकीय शुल्क पर नहीं कर पा रहा है अपना कोई भी काम, ऑनलाइन आवेदन करने के बाद भी उसे परिवहन कार्यालय से खाली हाथ लौटना पड़ता है और एजेंट के हाथ में अपना दस्तावेज सौंपकर उसे तिगुना दाम देना पड़ता है पर इन सब चीजों पर सरकार क्या नकेल लगा पाएगी या फिर रसूखदार एजेंट लोगों को लूटते रहेंगे?
सूरजपुर कोरिया जिले की तो स्थिति एक जैसी हो गई है की बिना एजेंट के कुई भी कार्य जिला परिवहन कार्यालय में होना नामुकिन है, सूत्रों की माने तो क्षेत्र में जहां एक चर्चित बाबू एजेंट लोगों के लिए किसी लुटेरे से कम नहीं है इनके बिना तो सूरजपुर के जिला परिवहन कार्यालय में कोई काम ही नहीं कर सकता है, जिला परिवहन कार्यालय के बाबू और अधिकारी भी इस एजेंट के पास लोगों को जाने की सलाह देते हैं,बाबू एजेंट के यहां के लोग दिन भर इस कार्यालय के ही चक्कर लगाते दिखते हैं,आरटीओ सेवा केंद्र के नाम पर लोगों की लुट हो रही है पर इसकी जांच करने की ना तो परिवहन अधिकारी को फुर्सत है और ना ही क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी को ऐसा लग रहा है कि एजेंटों को लोगों को लूटने के लिए बैठा दिया गया है? नियम के विरुद्ध एजेंट काम करवा ले रहे हैं पर वही यदि आम आदमी जाकर नियम से भी काम करवाना चाहता है तो वह काम नहीं होता है, क्योंकि उन्हें एजेंट के माध्यम से आने की सलाह दी जाती है ताकि बिना परेशानी के उसका काम हो सके और सीधे तौर पर नियम से जाने वाले लोगों का काम नहीं होता है ऐसा लगता है कि अधिकारी भी एजेंटों की पैरवी भी करते दिखते हैं। वही इस समय समस्या इसलिए भी गंभीर है क्योंकि एक अधिकारी तीन जिले का काम देख रहा है अब किस दिन वह किस जिले में रहेगा इसकी जानकारी लोगों को भी नहीं है वह अधिकारी भी शायद अपने काम से ऊब चुका है अब वह सूरजपुर का काम देखेके कोरिया का देखे या फिर नवीन जिला एमसीबी को देखें ऐसा लग रहा है कि परिवहन विभाग लोगों को परेशान करने का विभाग बन गया है।

एजेंट की भी मनमानी इतनी है कि उनका कहना है जहां शिकायत करना है कर दो हमारा कुछ नहीं होगा…
एजेंटों की मनमानी भी इतनी है कि उनका कहना है कि जहां शिकायत करनी है उनकी कोई कर दे उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता ,आज देखा जाए तो आरटीओ कार्यालय से ज्यादा सुव्यवस्थित तरीके से आरटीओ एजेंटों के कार्यालय संचालित हैं जहां समय पर कार्यालय खुलता है और लोगों को पैसा देकर मनमांगी काम की गारंटी मिलती है।
वाहन में नाम ट्रांसफर कराना,लाइसेंस बनाना,लाइसेंस रिन्यू कराना,फिटनेस कराना व आरसी की वैधता बढ़ना जैसे कार्यों के लिए तिगुना रकम लोगों को चुकाना पड़ रहा है…
आरटीओ कार्यालय में देखा जाए तो अब सब कुछ व्यापार की तरह हो रहा है और ऐसा व्यापार जहां किसी काम का दाम तय नहीं है,हर काम के लिए तिगुना दाम तय कर रहे हैं एजेंट, एजेंट बिना काम भी होना नामुमकिन है, नाम ट्रांसफर की बात हो,लाइसेंस नया बनवाना हो,फिटनेस की बात हो या वैधता बढ़वाने की बात हो हर काम का दाम तय है वह भी इतना जितना देना आम आदमी के बस में नहीं है। आम आदमी आरटीओ कार्यालय जाने से बचने लगा है और बिना कागजात उसे चलना आसान नजर आ रहा है।
स्पीड गवर्नर,जीपीएस व रेडियम के लिए भी एजेंट लेते हैं मनमाना पैसा नहीं तो सर्टिफिकेट देने से करते हैं इनकार
स्पीड गवर्नर,जीपीएस व रेडियम के लिए भी एजेंट मनमाना पैसा लेते हैं वरना वह सर्टिफिकेट जारी नहीं होने देते।
कार्यालय से भी किस एजेंट के पास जाना है यह भी बताया जाता है…
आरटीओ कार्यालय से भी किस काम के लिए किस एजेंट के पास जाना है यह बताया जाता है,कार्यालय के बाबुओं के अपने अपने एजेंट हैं,हर कोई अलग अलग एजेंट के पास भेजता है। वैसे कुछ एजेंटों की इतनी चलती है कि उनके पास सभी को काम भेजना पड़ता है। आरटीओ कार्यालय की बजाए एजेंटों के कार्यकाल में जाकर आम आदमी को ज्यादा संतुष्टि मिलती है क्योंकि वहां दाम मनमुताबिक देते ही काम की गारंटी मिल जाती है।
बाबू एजेंट के यहां की कई पर्ची ये बताती है की तिगुना दाम वसूले गए हैं…
सूत्रों ने बाबू एजेंट के यहां से मिलने वाली पर्ची को दिखाते हुए बताया कि वाहन में नाम ट्रांसफर करने फिटनेस करने लाइसेंस बनवाने लाइसेंस हैवी करवाने लाइसेंस रिन्यू कराने जैसे कई रिसीविंग की पर्चियां दिखाई जिसमें उन्होंने पैसे दिए थे जिसके बदले में उन्हें वह पर्ची मिली थी,जिसमें भारी भरकम रकम उनसे वसूले गए थे, सूत्रों का कहना था कि हमें बार-बार ना आना पड़े इस वजह से हमें जो यह पैसा बोलते हैं वह पैसा देना पड़ता है क्योंकि कार्यालय जाने पर हमारा काम नहीं होता है कोई भी सीधे मुंह बात नहीं करता है कोई भी जानकारी नहीं देता है, जिस वजह से बाबू जैसे एजेंट के पास जाकर लूटना पड़ता है, बाबु एजेंट के यह से मिलने वाली रिसीव को दिखाया जिसमे वाहन संबंधित दस्तावेज को दुरुस्त व पूरा करने के लिए तीनगुन पैसे वसूले गए थे।