प्रयागराज,@प्रयागराज महाकुंभ का हुआ शुभारंभ

Share

@ 60 लाख श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी
@ गूगल पर महाकुंभ लिखते ही फूलों की बौछार
प्रयागराज,13 जनवरी 2025(ए)।
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में सोमवार (13 जनवरी) से महाकुंभ 2025 का आगाज हो चुका है। सुबह सवेरे शाही स्नान के साथ इसकी शुरुआत हुई। गंगा, यमुना और कल्पित सरस्वती के संगम पर आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। सुबह 8 बजे तक 60 लोगों ने संगम में डुबकियां लगाई। गूगल ने कुंभ मेला पर एक खास फीचर पेश किया है। महाकुंभ टाइप करते ही स्क्रीन पर गुलाब के पंखुरियों की बारिश होने लगती है। बड़ी संख्या में विदेशी श्रद्धालु भी कुंभ में पहुंचे हैं।
सबसे पहले जूना अखाड़ा के संतों ने लगाई डुबकी
महाकुंभ के पहले शाही स्नान में सबसे पहले जूना अखाड़ा ने डुबकी लगाई। परंपरा के अनुसार, शाही स्नान में शुरुआत साधु-संतों और अखाड़ों के स्नान से होती है। जूना अखाड़ा के नागा साधु, भव्य शोभायात्रा के साथ संगम तट पर पहुंचे। उनके बाद दूसरे प्रमुख अखाड़ों ने क्रमवार स्नान किया। पूरे आयोजन में अनुशासन और उत्साह का माहौल देखने को मिला। श्रद्धालुओं ने
अखाड़ों के इस पवित्र स्नान को देखकर अपनी श्रद्धा प्रकट की।
श्रद्धालुओं पर गुलाब की पुष्प वर्षा
महाकुंभ मेले में श्रद्धालुओं के स्वागत का खास इंतजाम किया गया है। पूरे 4000 हेक्टेयर क्षेत्र में हेलिकॉप्टर से गुलाब की पंखुडç¸यों की वर्षा होगी। इस आयोजन को खास बनाने के लिए उद्यान विभाग ने हर स्नान पर्व के लिए 20 मि्ंटल गुलाब की पंखुडç¸यों की व्यवस्था की है।
कुंभ मेला प्रभारी वीके सिंह ने बताया कि इस पहल का मकसद श्रद्धालुओं को दिव्य और अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करना है। गुलाब की पंखुडç¸यों से संगम क्षेत्र और अधिक सुंदर और आध्यात्मिक रूप में नजर आएगा। उत्तर प्रदेश पुलिस ने मेले में सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए एक नाव पर पुलिस चौकी बनाई है। इसे फ्लोटिंग पुलिस चौकी कहा जा रहा है।
महाकुंभ में साध्वी की खूबसूरती देख हर कोई हो गया मंत्रमुग्ध…कहा- रह चुकीं हैं एक्ट्रेस,वीडियो हुआ वायरल


आज यानि 13 जनवरी से प्रयागराज में भव्य महाकुंभ का शुभारंभ हो चुका है। पूष पूर्णिमा के पावन अवसर पर आज लाखों लोगों ने गंगा में डूबकी लगाई है। महाकुंभ में शामिल होने के बाद देश ही नहीं दुनियाभर से साधू संत और नामी हस्ती लोग प्रयागराज पहुंच रहे हैं। महाकुंभ से साधु संतों का वीडियो भी सामने आ रहा है। इसी कड़ी में आज सोशल मीडिया पर एक साध्वी का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है जिसकी सुंदरता देखकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो गया है। खूबसूरत साध्वी रथ में बैठी हुई है। वहीं,इस दौरान एक रिपोर्टर ने उनसे कई सवाल किए। उनकी सुंदरता को देखकर एक यूट्यूबर ने उनसे सवाल किया-आप इतनी सुंदर हैं, तो साध्वी क्यों बनीं? इस पर साध्वी ने बड़ी ही खूबसूरती से जवाब दिया, जो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। साध्वी से पूछा जाता है कि आप कहां से हैं? इसके जवाब में वह बताती हैं कि मैं उत्तराखंड से आई हूं,आचार्य महामंडलेश्वर की शिष्या हूं। जब उनसे खूबसूरती पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा- मुझे जो करना था मैंने वह छोड़कर यह वेष धारण किया है। उन्होंने साध्वी जीवन सुकून के लिए अपनाया है। वह बताती हैं कि वह 30 साल की हैं और दो साल से साध्वी के रूप में जीवन व्यतीत कर रही हैं। आप जब जिंदगी में बहुत कुछ कर लेते होज् आपने एक्टिंग भी कर ली, एंकरिंग भी कर ली, देश-विदेश भी घूम लियाज् सब कुछ कर लिया है। उसके बाद ये रहता है कि आपको उसमें सुकून नहीं मिल रहा। नाम है,शौहरत है लेकिन सुकून नहीं है। फिर जब भक्ति आपको अपनी तरफ खींचने लगती है, तब आप लोगों आदि से कटकर भगवान की शरण में, भजन-कीर्तन और मंत्रों में आकर रहना चालू कर देते हो। वह इंटरव्यू में पुष्टी करती हैं कि वह एक्ट्रेस भी रह चुकी हैं।
कुंभ की जमीन किसी के अब्बा की नहीं हमारे बब्बा की है,मौलाना रजवी को बाबा बागेश्वर का जवाब


बाबा बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री उड़ीसा के जगन्नाथ पुरी में हैं। यहां वह पांच दिवसीय धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे हैं। पंडित धीरेंद्र शास्त्री पुरी में एक श्रीमद्भागवत कथा में शामिल हुए। इस दौरान बागेश्वर सरकार ने मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी को जवाब देते हुए कहा कि कुंभ की जमीन किसी के अब्बा की नहीं बल्कि हमारे बब्बा की है।
त्रिशूल, तलवार और भाला: नागा साधु क्यों रखते हैं अपने पास हथियार?


साधुओं की छवि आमतौर पर सांसारिक मोह माया और हिंसा से दूर रहने और साधना में लीन रहने वाली होती है. लेकिन जब बात नागा साधुओं की होती है, तो आपने देखा होगा कि साधना के बीच भी वे हमेशा अपने साथ अस्त्र रखते हैं। एक साधु का जीवन त्याग और तपस्या का प्रतीक माना जाता है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर एक साधु होकर भी नागा क्यों अस्त्र रखते हैं नागा साधु भगवान शिव के अनुयायी माने जाते हैं और उनकी पूजा करते हैं। कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य ने सनातन धर्म की रक्षा के लिए ही नागा साधुओं और अखाड़ों की स्थापना की थी। इसलिए नागा साधु अपने अस्त्रों का इस्तेमाल धर्म की रक्षा के लिए करते हैं। उनका अस्त्र केवल आत्मरक्षा के लिए होता है, ना कि किसी को नुकसान पहुंचाने के लिए। नागा साधुओं के पास जो अस्त्र होते हैं, जैसे त्रिशूल, तलवार और भाला, उनका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है. त्रिशूल भगवान शिव का प्रिय अस्त्र है और इसे शक्ति, सृष्टि और विनाश का प्रतीक माना जाता है। इसे भगवान शिव की शक्ति का प्रतिनिधित्व करने के रूप में देखा जाता है। वहीं तलवार और भाला वीरता और साहस के प्रतीक होते हैं। यह अस्त्र उन साधुओं के शौर्य और बलिदान का प्रतीक होते हैं जो धर्म और समाज की रक्षा में जुटे रहते हैं। नागा साधु इन अस्त्रों को केवल आत्मरक्षा के रूप में रखते हैं, ताकि अगर कभी जरूरत पड़े तो वे अपनी रक्षा कर सकें।
काशी विश्वनाथ में 11 जनवरी से 28 फरवरी तक स्पर्श दर्शन पर रोक


प्रयागराज में महाकुंभ की शुरुआत सोमवार से हो गई है। इसके चलते अब श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन भीड़ प्रबंधन के लिए सतर्क हो गया है। इस दौरान 11 जनवरी से महाशिवरात्रि के दो दिन बाद 28 फरवरी तक बाबा के स्पर्श दर्शन पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्रा ने बताया कि काशी विश्वनाथ मंदिर में 11 जनवरी से प्रोटोकॉल लागू है और 28 फरवरी तक स्पर्श दर्शन पूर्णता हर समय प्रतिबंधित किया गया है।
मेरी पत्नी ने धमकी दी है, मैंने संगम में डुबकी लगाई, तो.वह मुझे छोड़ देगी


महाकुंभ विदेशियों को भी अपनी तरफ आकर्षित कर रहा है, जिसमें दक्षिण कोरियाई यूट्यूबर से लेकर परंपराओं की गहरी समझ हासिल करने की ललक रखने वाले जापानी पर्यटक भी शामिल हैं। इटली से आने वाली वेलेरिया ने महाकुंभ के आध्यात्मिक वातावरण को अद्भुत और रोमांचक करार दिया। हालांकि, उन्होंने और उनके पति मिखाइल ने ठंडे मौसम के कारण पवित्र जल में डुबकी नहीं लगाई।वेलेरिया के पति मिखाइल ने मजाकिया लहजे में कहा, मेरी पत्नी ने मुझे धमकी दी कि अगर मैंने संगम में डुबकी लगाई, तो वह मुझे छोड़ देगी।


Share

Check Also

विशाखापत्तनम@ नरसिम्हा स्वामी मंदिर के चंदनोत्सव में दीवार गिरी; 8 लोगों की मौत-4 घायल

Share विशाखापत्तनम,30 अप्रैल 2025 (ए)। श्री वरहलक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी मंदिर में बुधवार तड़के चंदनोत्सवम उत्सव …

Leave a Reply