एमसीबी,@मनेन्द्रगढ़ विधानसभा में सभी पार्टियों की नजर चिरमिरी पर,आखिर चिरमिरी से ही विधानसभा का प्रत्याशी क्यों,कांग्रेस के पास दो-दो विनय?

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  • डॉ.विनय जायसवाल व इंजीनियर विनय उपाध्याय कौन होगा कांग्रेस का विधायक प्रत्याशी दोनों ने पेश की दावेदारी?
  • मनेन्द्रगढ़ विधानसभा में वर्तमान विधायक का टिकट कटने पर विनय उपाध्याय व डोमरु रेड्डी प्रबल दावेदार


-रवि सिंह-
एमसीबी,28 अगस्त 2023 (घटती-घटना)। जैसे-जैसे छतीसगढ़ विधानसभा का चुनाव नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे राजनितिक दल अपने विधानसभा प्रत्याशियों को लेकर दुविधा में है कि आखिर किस मौका दें और किसे ना दें? कौन प्रत्याशी पार्टी के लिए विनिंग होगा और कौन पार्टी की लुटिया डूबाएगा? इसे लेकर गहन चिंतन जारी है, चुनावी माहौल भी प्रत्याशियों को लेकर बिगड़ते दिख रहे हैं, बीजेपी का तो कुछ ठीक भी है पर कांग्रेस की स्थिति तो और भी समझ के पार वाली है, खासकर अविभाजित कोरिया जिले के मनेंद्रगढ़ और बैकुंठपुर विधानसभा में, इन दोनों विधानसभा में कांग्रेस बी फार्म भरवारी और बी फार्म भरवाने में ही इतने दावेदार खड़े हो गए हैं कि कांग्रेस खुद कंफ्यूजन में आ गई है, प्रत्याशियों की दावेदारी ने कांग्रेस को ही बैक फुट पर लाकर खड़ा कर दिया है, जहां लोग इस प्रकार के प्रत्याशीयों की दावेदारी को लेकर सवाल उठा रहे हैं तो वहीं इस सवालों से बचने के लिए कांग्रेस लोकतांत्रिक प्रकिया बताकर पल्ला झाड़ रही है। यदि विधानसभा क्रमांक 2 मनेन्द्रगढ़ की बात की जाए तो यहां पर वर्तमान विधायक के खिलाफ 21 लोगों ने दावेदारी पेश की है जिसमें से दो नाम काफी महत्वपूर्ण है एक तो डॉक्टर विनय जायसवाल के विकल्प इंजीनियर विनय उपाध्याय है तो दूसरा पूर्व महापौर के डमरू रेडी है, यदि परफॉर्मेंस के आधार पर डॉक्टर विनय जायसवाल का टिकट जैसा कटना तय माना जा रहा है, उस स्थिति में विनय का विकल्प विनय हो सकते हैं, जिसकी संभावनाएं ज्यादा बताई जा रही है, कुछ समीकरण भी ऐसे ही बना रहे हैं। पर वैसे लोगों का यह भी मानना है कि डॉक्टर विनय जायसवाल का टिकट कटना मुश्किल है, वैसे देखा जाए तो अविभाजित कोरिया जिले के तीनों विधायक इस समय छाीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष के आसपास मंडरा रहे, उनका यह मानना है की टिकट तो वही दिलाएंगे। पर यदि पार्टी जनता के सर्वे को मानकर चलें तो पार्टी और जनता के लिए इंजीनियर विनय उपाध्याय एक अच्छा विकल्प हो सकते हैं। फ्रेश कैंडिडेट के साथ कांग्रेस के लिए पिछले चुनाव की तरह इस चुनाव में भी फायदेमंद माना जा सकता है,ऐसे समीकरण समझ में आ रहे हैं। वैसे इंजीनियर विनय उपाध्याय ने भी अपनी दावेदारी पेश कर दी है। अगर हम मनेन्द्रगढ़ विधानसभा की बात करे तो इस बार कांग्रेस और भाजपा जैसी राष्ट्रीय पार्टियों के साथ ही गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और आम आदमी पार्टी इस बार चिरमिरी से अपना प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है।
संभावनाएं विनय उपाध्याय पर टिक सकती है…
अब देखना यह है की कांग्रेस किसे टिकट देती है, पूर्व में मनेंद्रगढ़ विधानसभा में कांग्रेस नेताओं की एक तिकड़ी बनी थी जिसने समझौता आपसी किया था की तीनों में से जो भी प्रत्याशी बनाया जायेगा शेष दो अन्य मौन हो जायेंगे और मदद एक की करेंगे, उसमे एक मनेंद्रगढ़ शहर से राज कुमार केशवानी थे एक चिरमिरी से डोमरु रेड्डी थे, तीसरे खड़गवां से अशोक श्रीवास्तव थे जिनमे से एक को तो विधानसभा अध्यक्ष ने तिकड़ी से अलग कर दिया है जिलाध्यक्ष का लॉलीपॉप देकर, वहीं अब दो बचे जो अब दो ही क्षेत्र सम्हाल पायेंगे एक दूसरे के लिए जिलाध्यक्ष तो जिसे टिकट मिलेगा उसी के लिए काम करने मजबूर होगा, अब ऐसे में पार्टी किसे टिकट देगी देखने वाली बात होगी, वैसे विनय उपाध्याय की दावेदारी ने यह भी साबित कर दिया की जरूरी नहीं जो नाम लगातार सुर्खियों में हों उन्हे ही मौका मिले, अविभाजित कोरिया जिले से ऐसा नाम भी एकाध विधानसभा से सामने आ सकता है, जो पुराना कांग्रेसी नाम होगा और जो जीतने लायक भी होगा जो संभावनाएं विनय उपाध्याय बनाते नजर आ रहे हैं।
चिरिमिरी से भाजपा अपना प्रत्याशी इसलिए भी उतारेगी क्योंकि उसे मनेंद्रगढ़ से कभी उतने मत नहीं मिले
चिरिमिरी से भाजपा अपना प्रत्याशी इसलिए भी उतारेगी क्योंकि उसे मनेंद्रगढ़ से कभी उतने मत नहीं मिले जो वह अपेक्षा रखती थी, मनेंद्रगढ़ में भाजपा पांच हजार के आस पास ही सिमट कर हर बार रह गई है और ऐसे में मनेंद्रगढ़ से वह किसी को टिकट देगी लगता नहीं वह भी इस बार जब मनेंद्रगढ़ को कांग्रेस ने जिला मुख्यालय बना दिया है वहीं भाजपा यह भी चाहती है की कांग्रेस का टिकट वर्तमान विधायक को ही मिले क्योंकि उनके ऊपर वह भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर चुनावी बिगुल फूंक चुकी है और जिसमे वह सफल भी रही है और भाजपा मानती है वर्तमान विधायक यदि चुनाव लड़ते हैं तो उन्हें घेरना आसान होगा और भाजपा जीत दर्ज कर लेगी।
आखिर मनेन्द्रगढ़ विधानसभा का प्रत्याशी चिरमिरी से क्यों?
राजनीति के जानकार बताते है कि मनेन्द्रगढ़ विधानसभा में मुख्य रूप से तीन क्षेत्र आते है। मनेन्द्रगढ़, चिरमिरी और खड़गवां लेकिन मनेन्द्रगढ़ विधानसभा का एकमात्र नगर निगम क्षेत्र चिरमिरी आबादी और क्षेत्रफल में मनेन्द्रगढ़ और खड़गवां से बड़ा है पिछले चुनाव की यदि बात करे तो चिरमिरी के लगभग 65 हजार मतदाताओं ने यहां मतदान किया था वही मनेन्द्रगढ़ और झगराखांड के 28 हजार एवं खड़गवां के 34 हजार मतदाताओं ने अपने मत का उपयोग किया था। इस लिहाज से मनेन्द्रगढ़ विधानसभा के प्रतिनिधित्व का पहला हकदार चिरमिरी है, वहीं जानकारों का कहना है कि खड़गवां में मुख्य रूप से कांग्रेस एवं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रभाव वाला क्षेत्र है, वहीं मनेन्द्रगढ़ क्षेत्र के मतदान का रुझान हमेशा से कांग्रेस के पक्ष में रहा है और चूंकि इस बार जिला गठन होने के बाद सबसे ज्यादा इसका फायदा मनेंद्रगढ़ को ही हुआ है, इसलिए वहां से कांग्रेस लीड ही करेगी बड़ी लीड करेगी यह तय है, जबकि चिरमिरी का मतदान ही मनेन्द्रगढ़ विधानसभा में किसी भी प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित करता है, यहां पर यह बताना जरूरी हो जाता कि नए परिसीमन के बाद वर्ष 2008 में चिरमिरी मनेन्द्रगढ़ विधानसभा क्षेत्र से जुड़ा था। इससे पूर्व चिरमिरी बैकुंठपुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता था।
पिछले तीन विधानसभा के चुनाव परिणामो पर नजर
यदि हम पिछले तीन विधानसभा के चुनाव परिणामो पर नजर डाले तो वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने मनेन्द्रगढ़ विधानसभा की सीट राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को समझौते के तहत देकर भाजपा को वाक ओव्हर दे दिया था जिसका नतीजा यह हुआ कि इस चुनाव में भाजपा के स्व. दीपक पटेल ने 18 हजार से ज्यादा मतों से अपनी जीत दर्ज की दूसरी बार 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के श्याम बिहारी जायसवाल ने कांग्रेस के स्व. गुलाब सिंह को शिकस्त दी और चुनाव में जीत हासिल की इसके बाद हुए 2018 के चुनाव में कांग्रेस के डॉ. विनय जायसवाल ने भाजपा के श्याम बिहारी जायसवाल को शिकस्त देकर अपनी जीत की। पिछले दो विधानसभा चुनाव के नतीजों को देखने पर एक बात स्पष्ट रूप से दिखाई देती है कि मनेन्द्रगढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर होती है दोनों ही बार विजेता प्रत्याशियों के जीत का अंतर 5 हजार वोटो के भीतर ही रहा है और दोनों बार प्रत्याशियों के जीत में चिरमिरी की भूमिका निर्णायक रही है वहीं पिछली बार की हार जो भाजपा की हुई थी वह भाजपा के ही एक बड़े नेता के चुनावी मैदान में जोगी कांग्रेस से कूद जाने की वजह से हुई थी यह भी एक सत्य है,राजनीति के जानकार तो यहां तक कह रहे है कि जिस भी राजनैतिक पार्टी ने चिरमिरी की उपेक्षा की, उसे चुनाव में हार का मुंह देखने से कोई नही रोक सकता। यही कारण है कि इस बार लगभग सभी राजनैतिक दल मनेन्द्रगढ़ विधानसभा के लिए अपना प्रत्याशी चिरमिरी से तलाश करने में जुट गए है।


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