क्या श्रीलंका के सरकार विरोधी आंदोलन के पीछे विदेशी हाथ है?

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वर्ल्ड डेस्क कोलंबो 20 जुलाई 2022श्रीलंका में अरागलया (संघर्ष) नाम से मशहूर सरकार विरोधी आंदोलन का नेतृत्व नौजवानों के हाथ में रहा है। ये आंदोलन अब 100 दिन से भी ज्यादा पुराना हो चुका है। इसकी वजह से राष्ट्रपति गोटाबया राजपक्षे को देश छोड़ कर भागना पड़ा। इसके अलावा आंदोलन के दबाव में दो बार मंत्रिमंडल को बदला जा चुका है। सेंट्रल बैंक के एक गवर्नर और एक वित्त सचिव को भी इस वजह से अपना पद छोड़ना पड़ चुका है…क्या श्रीलंका में चल रहे सरकार विरोधी आंदोलन को विदेश से सहायता मिली है? ये सवाल सोमवार को श्रीलंका पुलिस के एक दावे से खड़ा हो गया है। पुलिस के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) ने दावा किया है कि सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने बैंकों से साढ़े चार करोड़ रुपये निकाले हैं। ये धन विदेश से आया था।

जिन लोगों पर यह धन निकालने का आरोप लगा है, उनमें लोकप्रिय यूट्यूबर राथिडु सेनारत्ना भी हैं। सेनारत्ना रत्ता नाम से लोकप्रिय हैं और आंदोलन को लोगों तक पहुंचाने में उनकी बड़ी भूमिका मानी जाती है। पुलिस के मुताबिक रत्ता और दो अन्य कार्यकर्ताओं ने जुलाई के आरंभ में एक सरकारी बैंक में खाते खोले। उन खातों में दूसरे देशों से साढ़े चार करोड़ रुपये भेजे गए। पुलिस के प्रवक्ता एसएसपी निहाल थलडुवा ने कहा है- पुलिस को सोशल मीडिया के जरिए यह रकम आने की जानकारी मिली। तब उसकी जांच शुरू की गई। लेकिन उन्होंने यह भी जोड़ा कि जांच शुरू होने का यह मतलब नहीं है कि संबंधित व्यक्ति ने गैर कानूनी काम किया ही है। श्रीलंका में अरागलया (संघर्ष) नाम से मशहूर सरकार विरोधी आंदोलन का नेतृत्व नौजवानों के हाथ में रहा है। ये आंदोलन अब 100 दिन से भी ज्यादा पुराना हो चुका है। इसकी वजह से राष्ट्रपति गोटाबया राजपक्षे को देश छोड़ कर भागना पड़ा। इसके अलावा आंदोलन के दबाव में दो बार मंत्रिमंडल को बदला जा चुका है। सेंट्रल बैंक के एक गवर्नर और एक वित्त सचिव को भी इस वजह से अपना पद छोड़ना पड़ चुका है।
यूट्यूबर सेनारत्ना ने उन पर लगे आरोप का खंडन किया है। उन्होंने वेबसाइट इकोनॉमीनेक्स्ट.कॉम से बातचीत में कहा- ‘मीडिया संगठनों ने बिना हमसे पुष्टि किए हमारे खिलाफ खबर छाप दी। यह एक झूठी खबर है, जो व्हाट्सएप के जरिए तेजी से फैल रही है। अरागलया ने कोई नकद अनुदान नहीं लिया। हमने वाटर बोटल और खाने के पैकेज जैसी सहायता जरूर ली है। जिन तीन कार्यकर्ताओं के नाम इस खबर में आए हैं, उनमें ना तो किसी ने नकद अनुदान लिया और ना ही कोई खाते खोले।’ इसके पहले कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने आरोप लगाया था कि देश में फासीवादी ताकतें सत्ता पर कब्जा जमाने की कोशिश में हैं। उन्होंने दो टूक कहा था कि अरागलया में शामिल विध्वंसकारी  ताकतें देश को अस्थिर करने की कोशिश कर रही हैं। श्रीलंका में चले आंदोलन के पीछे किसका हाथ है, ये चर्चा पहले भी सोशल मीडिया पर हुई है। कुछ विदेशी वामपंथी संगठनों ने इसके पीछे अमेरिका से धन पाने वाले गैर सरकारी संगऑनों का हथ होने का आरोप लगाया था।इस बीच विक्रमसिंघे ने 2019 में हुए ईस्टर बम धमाकों की जांच भी जल्द निपटाने की जरूरत बताई है। सोमवार को एक वीडियो संदेश जारी कर उन्होंने कहा कि जांच को जल्द पूरा करने के लिए उनकी सरकार ब्रिटिश पुलिस की मदद ले सकती है। उन्होंने कहा- इस जांच को लंबा खींचने की जरूरत नहीं है। ये एक विभाजनकारी मसला है, जिसे जितनी जल्दी निपटा लिया जाए, देश के लिए अच्छा रहेगा।


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