डॉ. राजकुमार मिश्र-
अम्बिकापुर, 09 अक्टूबर 2021 (घटती-घटना)। प्रदेश में श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में खुले दिल और दूरदर्शी सोच के साथ चल रही कांग्रेस सरकार को नीचा दिखाने के लिए भाजपा और संघ से जुड़े नेताओ व संगठनों ने “धर्मांतरण” के विवादास्पद सवाल की बासी कढ़ी में नए सिरे से उबाल लाने की कोशिशें तेज कर रखी हैं मगर तमाम दूसरे आरोपों पर पलटवार करने में देर नही करनेवाला सत्ता पक्ष धर्मांतरण को बढ़ावा देने के आरोपो पर अपेक्षित मुखरता नही दिखा पा रहा है।
रोमन कैथोलिक चर्च( आरसीसी) पर धर्मांतरण को बढ़ावा देने के भाजपाई आरोप जनसंघ के जमाने से ही लगते रहे हैं।धर्मांतरण को लेकर ईसाई मिशनरियों को ताल ठोंककर चुनौतियां दिया करनेवाले भाजपा नेता स्व.दिलीप सिंह जूदेव मिशनरियों के खिलाफ आदिवासियों की सहभागिता में बड़े बड़ें जागरण मार्च तथा “घर वापसी जैसे बहुचर्चित आयोजन किया करते थे।घर वापसी के हर आयोजन में धर्मांतरित हो चुके आदिवासियों ग्रामीणों के पांव धोकर उन्हें हिन्दू धर्म मे वापस शामिल किया करते थे।ऐसे हर आयोजन के बाद जूदेव बाकायदा ईसाइयत त्याग कर स्वधर्म में वापस लौटने वालो की संख्या भी घोषित किया करते थे।मगर प्रशासन ने कभी यह पुष्टि नही की कि स्वधर्म में वापस लौट जाने के कारण ईसाई धर्मावलंबियों की उतनी संख्या कम हो गई।इसके विपरीत धर्मांतरित ईसाइयों की तादाद उत्तरोत्तर बढ़ती ही गई ।
अतीत में झांका जाए तो यह भी पता चलता है कि प्रधानमंत्री राजीव गांधी के काल मे सरगुजा में सक्रिय आधा दर्जन विदेशी ईसाई मिशनरियों को देश निकाला आदेश थमा दिया गया था।बाद में सोनिया गांधी के हस्तक्षेप से राजीव गांधी सरकार ने वह आदेश वापस ले लिया था जिसका भाजपा व संघ के संगठनों ने देश व्यपी विरोध किया था।मगर फिर भाजपा की सरकार मध्यप्रदेश में बन जाने के बावजूद वे सभी विदेशी पादरी सरगुजा में ही चैन से अपना काम करते रहे।उन्हें भारत की नागरिकता देने से सुप्रीमकोर्ट तक ने मना कर दिया था मगर फिर भी भाजपा की सरकार ने उन्हें देश से तो क्या,अपने राज्य से भी बाहर जाने को नही कहा।उसके नेतागण समय समय धर्मांतरण की साजिशों की निंदा भर्त्सना बेशक करते रहे।
सरगुजा में कैथोलिक चर्च ने आजादी के बाद रियासतों के विलीनीकरण उपरांत भारी तादाद में वनवासियों को धर्मनन्तरित ही नही किया अपितु अंचल में बने लगभग हर कैथोलिक चर्च ने जमकर भूमि घोटाले कर रखे है। विरोध कर रहे भाजपाई धर्म रक्षकों को उधर भी नजर डालनी चाहिए।एक प्रोटेस्टेंट पादरी ने घटती घटना से कहा कि जिस तरह मुस्लिम सन्स्थानों की सम्पत्ति और आयव्यय कि निगरानी के लिए वक्फबोर्ड बना है वैसा ही सक्षम बोर्ड कैथोलिक चर्च के लिए बनाने की मांग क्यो नही उठाई जाती?
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