- प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को अपने भ्रष्टाचार से दूषित करने वाले संयुक्त संचालक को किया गया निलंबित
- शिक्षा व्यवस्था को दीमक बनकर व्यवस्था को खोखला करने वाले ऐसे अधिकारियों पर लगातार कार्यवाही मांग अब बढ़ी
- सरगुजा संयुक्त संचालक रहते हुए हेमंत उपाध्याय ने शिक्षकों से पदस्थापना के नाम पर की थी उगाही
- पदोन्नति पदस्थापना में पैसे के लेन देन के लिए हेमंत उपाध्याय ने शिक्षक नेताओं को भी बनाया था अपना दलाल
-न्यूज़ डेक्स-
अंबिकापुर 13 सितम्बर 2025 (घटती-घटना)। अंततः एक भ्रष्ट शिक्षा अधिकारी अपने अंजाम तक पहुंच ही गया, दैनिक घटती घटना ने भ्रष्ट शिक्षा अधिकारी की भ्रष्टाचार से जुड़ी खबरें उसकी स्वेच्छाचारिता पूर्ण कार्यप्रणाली को लेकर कई बार शासन प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराने का प्रयास जारी रखा हुआ था और अब जाकर उसे दंडित किया गया है स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा और इस कार्यवाही के बाद स्कूल शिक्षा विभाग की सराहना भी हो रही है वहीं शिक्षकों के बीच इस कार्यवाही के बाद उत्साह नजर आ रहा है और उनका मानना है ऐसे अधिकारी शिक्षा विभाग के लिए एक दाग हैं एक अभिशाप हैं जिनकी गति ऐसी ही होनी चाहिए और इन्हें दंड की शुरू की गई यह नई परम्परा बंद नहीं होनी चाहिए जिससे शिक्षा जैसे पवित्र माने जाने वाले शासकीय विभाग में दोबारा कोई गंदगी फैलाने की न सोचे वह भयभीत होकर काम ईमानदारी से करे।
बता दें कि सरगुजा संभाग में लंबे समय तक संयुक्त संचालक शिक्षा का जिम्मा सम्हालने वाले हेमंत उपाध्याय को स्कूल शिक्षा विभाग ने मनमानीपूर्ण और स्वेक्षाचारिता पूर्ण कार्यप्रणाली का दोषी बताकर निलंबित कर दिया। यह निलंबन भी तब किया गया जब संयुक्त संचालक दुर्ग के पद पर वर्तमान में पदस्थ हेमंत उपाध्याय प्रदेश के नए शिक्षा मंत्री के स्वागत सम्मान कार्यक्रम में उपस्थित थे और वह कहीं न कहीं खुद आयोजक थे,एक तरफ वह प्रदेश के नए शिक्षामंत्री का स्वागत सम्मान कर रहे थे उनके साथ मंच साझा कर रहे थे दूसरी तरफ उनके निलंबन का आदेश स्कूल शिक्षा विभाग बना रहा था और जिसे कार्यक्रम समाप्त होते ही जारी कर दिया गया। 12 सितंबर को ही शिक्षा मंत्री का सम्मान कार्यक्रम दुर्ग जिले में आयोजित था और 12 सितम्बर को संयुक्त संचालक शिक्षा दुर्ग हेमन्त उपाध्यक्ष को निलंबन आदेश मिल गया जिसमें स्वेक्षाचारिता जैसे शब्द उनकी सेवाकाल की उपलब्धियों स्वरूप दर्ज थे। हेमंत उपाध्याय शिक्षा विभाग के उन अधिकारियों में प्रदेश में शुमार थे जो बेहतर कार्यप्रणाली की बजाए दोषपूर्ण कार्यप्रणाली स्वेक्षाचारिता पूर्ण कार्यप्रणाली के लिए जाने जाते हैं। सरगुजा संभाग में संयुक्त संचालक रहते हुए किए गए दोषपूर्ण कार्यवाहियों के लिए ही यह निलंबन किया गया है और सरगुजा संभाग के संयुक्त संचालक रहते हुए इन्होंने क्या क्या गुल खिलाए थे किस तरह शिक्षा जैसे पवित्र विभाग को कलंकित करने का काम किया था यह लगातार शासन प्रशासन के संज्ञान में दैनिक घटती घटना ने लाने का काम किया था। सरगुजा संभाग में सहायक शिक्षक से उच्च श्रेणी शिक्षक पदोन्नति के दौरान संयुक्त संचालक शिक्षा सरगुजा रहे हेमंत उपाध्याय ने तो मनचाही पदस्थापना प्रदान करने के लिए दुकान ही खोल रखा था जहां कुछ शिक्षक नेता उनके एजेंट थे जो शिक्षकों से वसूली करके उन्हें कनिष्ठ रहने पर भी वरिष्ठ से आगे सूची में शामिल करा देते थे और ऐसा चिकित्सा प्रमाण पत्र जो फर्जी होता था या अन्य फर्जी आधार पर किया जाता था यहां तक कि संशोधन का मात्र खेल खेलकर ही करोड़ों इन्होंने सरगुजा से इक्कठा किया था।

नए शिक्षा मंत्री ने दिया कड़ा संदेश,शिक्षा विभाग जैसे पवित्र विभाग को कलंकित करने वाले बक्शे नहीं जायेंगे
हेमंत उपाध्याय जैसे शिक्षा अधिकारी का निलंबन यह बतलाता है कि प्रदेश के नए शिक्षा मंत्री शिक्षा विभाग को कलंकित करने वाले किसी भी जिम्मेदार के साथ सकारात्मक रुख नहीं अपनाने वाले,संयुक्त संचालक पद पर लंबे समय तक कार्य कर चुके हेमंत उपाध्याय ऐसे शिक्षा अधिकारी हैं जिन्हें या जिनसे पूर्व परिचित निश्चित रूप से होंगे नए शिक्षामंत्री ,नए शिक्षा मंत्री पूर्व भाजपा शासनकाल में स्काउट गाइड के प्रदेश प्रभारी की जिम्मेदारी सम्हाल चुके हैं और इस दौरान ऐसा नहीं है कि उन्हें हेमंत उपाध्याय से मिलने या उनके बारे में जानने का मौका न मिला हो,शिक्षा विभाग प्रदेश का कलंक मुक्त होगा भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, अधिकारियों स्वेक्षाचारिता नहीं चलने वाली इस एकमात्र निलंबन कार्यवाही से संदेश देने का शायद प्रयास किया गया।

चापलूसी से नहीं साफ सुथरी छवि साथ ही शिक्षा विभाग में बिना भ्रष्टाचार काम करने से प्रसन्न होंगे शिक्षामंत्री,कार्यवाही ऐसा ही संदेश
संयुक्त संचालक दुर्ग हेमंत उपाध्याय का निलंबन प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग का एक ऐसा संदेश माना जा रहा है जिसके माध्यम से शिक्षा मंत्री सहित विभाग ने नए मंत्री के आरंभिक कार्यकाल में यह जताने का प्रयास किया है कि अब प्रदेश में सुशासन आधारित ही शिक्षा प्रणाली कायम होने वाली है, भ्रष्टाचार,स्वेक्षाचारी कार्यप्रणाली के साथ काम करने वाले कतई माफी के लायक नहीं माने जाएंगे,चापलूसी और जी हुजूरी से अब काम नहीं चलेगा,हेमंत उपाध्याय जिस दिन निलंबित हुए वह नए शिक्षा मंत्री के लिए सम्मान समारोह आयोजित कर उनकी चापलूसी के प्रयास में थे और उन्हें वह कहीं न कहीं इस चापलूसी से रिझाना चाहते थे वहीं जैसे ही कार्यक्रम सम्पन्न हुआ हेमंत उपाध्याय निलंबित होने का आदेश प्राप्त कर गए,अब ऐसा कहना कि चापलूसी सहित जी हुजूरी से काम नहीं चलेगा,साफ स्वक्ष बिना भ्रष्टाचार करना पड़ेगा शिक्षा विभाग को कलंकित करने वाले छोड़े नहीं जाएंगे यही सन्देश दिया गया शायद।
सरगुजा संयुक्त संचालक शिक्षा रहते हुए हेमंत उपाध्याय ने किया था बड़ा भ्रष्टाचार, स्वेक्षाचारिता का भी कार्यकाल के दौरान आरोप
हेमंत उपाध्याय का सरगुजा संयुक्त संचालक शिक्षा रहने के दौरान का कार्यकाल बड़े भ्रष्टाचार का एक उदाहरण है,इस दौरान हेमंत उपाध्याय ने पद का दुरुपयोग करते हुए जमकर भ्रष्टाचार किया था और इस दौरान उन्होंने शिक्षकों से जमकर वसूली भी की थी,सहायक शिक्षक से उच्च श्रेणी शिक्षक पद पर पदोन्नति के दौरान संभाग भर के अधिकांश ऐसे शिक्षकों से मनचाही पदस्थापना के लिए वसूली इन्होंने की थी जिन्हें मनचाही पदस्थापना चाहिए थी,वसूली के लिए हेमंत उपाध्याय ने कुछ शिक्षक नेताओं को अपना एजेंट नियुक्त किया था जो उनके पूरे कार्यकाल जो सरगुजा संभाग में उनका रहा चरण वंदना करते नजर आते रहे,एक भ्रष्टाचारी के साथ शिक्षक नेताओं के इस तालमेल की भी खबरें दैनिक घटती घटना ने प्रकाशित की थी और तब मामले में स्कूल शिक्षा विभाग ने हेमंत उपाध्याय पर कार्यवाही की थी,वैसे तब वह प्रभाव का इस्तेमाल कर साथ ही अपने ऊपर लगे आरोपों के लिए उपलब्ध तथ्यों को छिपाकर न्यायालय से स्थगन प्राप्त करने में सफल हो गए थे लेकिन पाप का घड़ा छिपाए नहीं छिपा और अंततः एक मामले में वह सरगुजा के ही दोषी माने गए,सरगुजा संभाग की पदोन्नति में हेमंत उपाध्याय ने शिक्षक नेताओं के साथ मिलकर करोड़ों का वारा न्यारा किया था और उन्होंने इस मामले में तब शिक्षकों का जमकर शोषण किया था जिसमें उनका साथ शिक्षक नेताओं ने दिया था।
सरगुजा में पदोन्नति पदस्थापना के दौरान का भ्रष्टाचार करोड़ों का है भ्रष्टाचार,हेमंत उपाध्याय का माना जा सकता है काला अध्याय
सरगुजा संभाग का सहायक शिक्षक से उच्च श्रेणी शिक्षक पदोन्नति मामला प्रदेश का सबसे बड़ा घोटाला साबित हो सकता है,जांच होने पर आज भी यह भ्रष्टाचार आसानी से सामने आ सकता है,इस भ्रष्टाचार को अंजाम देने हेमंत उपाध्याय ने अपने पद का जमकर दुरुपयोग किया था और इसमें कई स्तर पर अनियमितता की गई थी,शिक्षकों को मनचाही पदस्थापना देने के उद्देश्य से पहले शिक्षक नेताओं के माध्यम से वसूली हुई और बाद में क्रमशः भ्रष्टाचार पदस्थापना के दौरान किया गया। कुछ को फर्जी मेडिकल का लाभ दिया गया और मन माफिक विद्यालय दिया गया आबंटित किया गया अन्य की वरिष्ठता को कनिष्ठ किया गया और बाद में संशोधन के खेल से भी भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया,ऐसा नहीं है कि यह मामला प्रकाश में नहीं आया,इस मामले में दैनिक घटती घटना ने लगातार खबर प्रकाशित किया कार्यवाही भी हुई हेमंत उपाध्याय निलंबित भी हुए लेकिन उन्होंने तब कार्यालय के ही कुछ खास लोगों की सहायता से साक्ष्यों के साथ हेराफेरी की और बच निकले,वैसे आज भी जांच की जाए यह मामला उजागर हो जाएगा और तब के करोड़ो के भ्रष्टाचार से पर्दा उठ सकेगा।
कुछ शिक्षक नेताओं ने हेमंत उपाध्याय को सरगुजा के शिक्षा विभाग को बर्बाद करने लगातार सहयोग किया था
किसी भी विभाग में कार्यरत कमर्चारियों के हितों की रक्षा के लिए उनके द्वारा ही उनके बीच से नियुक्त शिक्षक नेता काम करते हैं जो अन्याय और अत्याचार सहित शिक्षकों के मामले में होने वाले शोषण से शिक्षकों को बचाते हैं,इसके विपरीत सरगुजा संभाग में हेमंत उपाध्याय के कार्यकाल के दौरान यह देखने को मिला कि कुछ शिक्षक नेता लगातार हेमंत उपाध्याय का सहयोग कर रहे थे और हेमंत उपाध्याय शिक्षकों का शोषण कर रहे थे, शिक्षा विभाग को बर्बाद करने वाले भ्रष्ट अधिकारी के साथ कुछ शिक्षक नेताओं की जुगलबंदी काफी प्रसिद्ध हुई थी, शिक्षकों के लिए उनके हितों की रक्षा के लिए काम करने वाले शिक्षक संघ के नेताओं के कारण भी हेमंत उपाध्याय को भ्रष्टाचार करने बल मिला करता था।
कई बार हटाए गए,प्रभाव से वापस आए जब भेजे गए राज्य कार्यालय प्रभाव से पहुंचे दुर्ग,हुए निलंबित
हेमंत उपाध्याय ऐसे अधिकारी हैं शिक्षा विभाग के जो अपनी दोषपूर्ण कार्यप्रणाली के लिए ही विख्यात रहे,सरगुजा संभाग के संयुक्त संचालक के तौर पर इनका कार्यकाल शिक्षा विभाग को कलंकित करने वाला कार्यकाल माना गया,इन्हें सरगुजा से कई बार हटाया भी गया लेकिन इन्होंने प्रभाव से पुनः वापसी की वहीं इस बार जब इन्हे राज्य कार्यालय भेजा गया पुनः इन्होंने जुगाड लगाया और संयुक्त संचालक शिक्षा दुर्ग के लिए प्रभाव से इन्होंने जुगाड लगा लिया वैसे इस बार इनका जुगाड ज्यादा समय के लिए नहीं टिक पाया नए शिक्षा मंत्री वाला शिक्षा विभाग इन्हें इनकी असली गति बता ले गया और अब यह सेवा के अंतिम समय में निलंबित होने का पुनः पुरस्कार प्राप्त कर ले गए।
सरगुजा संभाग के कुछ शिक्षक नेता सरगुजा से रवानगी के दौरान काफी मायूसी से पहुंचे थे विदाई देने,अब उनकी मायूसी और बढ़ेगी यह तय है
हेमंत उपाध्याय की जब सरगुजा संभाग से दुर्ग संभाग के लिए रवानगी हो रही थी तब कुछ शिक्षक नेता रेलवे स्टेशन तक उन्हें छोड़ने गए थे और वह काफी मायूस थे अपने चहेते अधिकारी के संभाग से अन्यत्र जाने से, विदाई की उन्होंने तस्वीर भी सोशल मीडिया पर साझा की थी वहीं अब जब वह निलंबित किए गए वह पुनः मायूस हैं क्योंकि उनका चहेता अधिकारी अब शिक्षा विभाग को कलंकित करने का दोषी माना गया है जिसे दंडित किया गया है।
शिक्षकों की प्रतिक्रिया हेमंत उपाध्याय के खिलाफ
प्रदेश के शिक्षकों खासकर सरगुजा संभाग के अधिकांश शिक्षकों की प्रतिक्रिया हेमंत उपाध्याय के खिलाफ है, शिक्षकों का कहना है करनी का यह फल प्रताप है जो मिला है,वैसे शिक्षकों ने कुछ अन्य शिक्षा अधिकारियों का भी उल्लेख किया है और अब देखना है कि क्या उनके भी कार्यकाल की जांच कर कार्यवाही की जाती है।