दुर्ग-रायपुर में अलग-अलग टीमें कर रही हैं छापेमारी
ईओडब्ल्यू के एफ आईआर में हुआ खुलासा, किस तरह हुआ है ये स्कैम…?
रायपुर/दुर्ग,27 जनवरी 2025 (ए)। सीजीएमएससी के अरबों के घोटाले से जुड़े अफसरों और मेडिकल सप्लायर फर्म्स के ठिकानों पर एसीबी-ईओडब्ल्यू की छापेमारी जारी है। यह कार्रवाई मोक्षित कॉरपोरेशन के दुर्ग स्थित कार्यालय एवं अन्य ठिकानों पर चल रही है।
मिली जानकारी के मुताबिक मोक्षित कॉरपोरेशन में ईओडब्ल्यू -एसीबी ने दबिश दी है। इस फर्म के संचालकों शांतिलाल चोपड़ा और उनके बेटे शशांक चोपड़ा के घर और ऑफिस में सर्चिंग जारी है। मेडिकल इम्पिमेंट की सप्लाई के अलावा इससे जुड़े अन्य व्यवसाय चोपड़ा फैमिली करती है। यह एक बड़ी फर्म है और कोरोना काल में इस फर्म ने बड़ी सप्लाई स्वास्थ्य विभाग में सीजीएमएससी के जरिये की थी। इस दौरान जो सामग्रियां मोक्षित से ली गई उनकी कीमत सामान्य दर से कई गुना ज्यादा भुगतान की गई।
मोक्षित ग्रूप ऑफ कम्पनीज की ये हैं फर्म्स
बता दें कि मोक्षित ग्रूप ऑफ कम्पनीज के अधीन मोक्षित कारपोरेशन, मोक्षित मेडिकेयर प्रा. लि., मोक्षित इंफ्रा एंड डेव. और मोक्षित निरामयम नाम के फर्म संचालित हैं। जानकारी के मुताबिक 2 दर्जन एसीबी और ईओडब्ल्यू के अधिकारी छापे की कार्रवाई में शामिल हैं। दुर्ग के पुलगांव चौक स्थित ऑफिस और दुर्ग कोर्ट के पीछे खंडेलवाल कॉलोनी स्थित घर समेत सभी भाईयों के घर पर दबिश पड़ी है। सिद्धार्थ चौपड़ा और उनके तीनों भाईयों के ठिकानों पर भी दबिश दी गई है।
सत्तापक्ष के विधायक ने उठाया मामला
बजट सत्र के बाद छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र में अंतिम दिन ध्यानाकर्षण के दौरान सत्ता पक्ष के विधायक धरम लाल कौशिक ने आरोप लगाया कि बिना जरूरत के ही रीजेंट की सप्लाई सीजीएमएससी द्वारा की गयी। इस दौरान भाजपा विधायकों ने दवा खरीदी को लेकर पिछली सरकार में किया गया सुनियोजित भ्रष्टाचार बताया।
4 दिन पहले ही दर्ज हुआ है एफ आईआर
बताते चलें कि सीजीएमएससीमें हुए घोटाले में ईओडब्ल्यू -एसीबी द्वारा एफ आईआर 22 जनवरी को दर्ज कराई गई है। विभाग के डीएसपी संजय दिनकर देवस्थल ने यह एफ आईआर दर्ज कराई है और इस घोटाले की जांच का जिम्मा डीएसपी लोकेश देवांगन को सौंपा गया है।
सीजीएमएससी के एमडी को कोई जानकारी नहीं…!
भोई ने बताया कि उन्हें यह नहीं मालूम कि इस मामले की सीजीएमएससी द्वारा एफ आईआर कब दर्ज कराई गई है। सीजीएमएससी के अब तक के इस सबसे बड़े घोटाले में वर्तमान में जांच चल रही है और इसके प्रमुख अधिकारी का यह कहना कि उन्हें इसके बारे में कोई भी जानकारी नहीं है, बड़ा ही हास्यास्पद नजर आता है।
इनके यहां भी पड़े छापे
ईओडब्ल्यू-एसीबी ने इस घोटाले में जिन्हें आरोपी बनाया है, उनमें सीजीएमएससी और संचालनालय स्वास्थ्य विभाग के अफसरों के आलावा सीबी कॉरपोरेशन,जी.ई. रोड दुर्ग, रिकार्डर्स एवं मेडिकेयर सिस्टम, एचएसआईआईडीसी, पंचकुला हरियाणा और श्री शारदा इन्डस्ट्रीज, ग्राम तर्रा, तहसील धरसीवा रायपुर शामिल हैं, इन सभी फर्म्स के अलावा संबंधित अफसरों के यहां आज छापे पड़े हैं। सीजीएमएससी में अब तक के हुए इस सबसे बड़े घोटाले का खुलासा सीएजी की जांच में हुआ था। सीएजी ने इसमें 660 करोड़ के घोटाले की आशंका जताई थी। वहीं जब यह मामला पिछले वर्ष बजट सत्र में विधानसभा में उठाया गया था तब इसके बकाये के भुगतान को रोकने की बात स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल द्वारा कही गई थी। मगर इस मामले को दबाने के लिए जांच में उन अफसरों को शामिल किया गया जो इस घोटाले में शामिल थे, वहीं लगभग 400 करोड़ का जो भुगतान रोकना था उसे भी कर दिया गया।
करोड़ों का रीजेंट हुआ बर्बाद
इसके जवाब में मंत्री ने इस बात का स्वीकार किया कि 28 करोड़ का रीजेंट बर्बाद हुआ है, आने वाले दिनों में ये और भी खराब हो सकता है। इस दौरान भाजपा विधायकों की मांग पर सदन में मंत्री ने ईओडब्ल्यू जांच की घोषणा की। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने घोषणा की कि रिजेंट खरीदी की जांच ईओडब्ल्यू से कराई जाएगी। मोक्षित कंपनी की रिजेंट सप्लाई की जांच होगी। स्वास्थ्य मंत्री की घोषणा के बाद इस मामले में ईओडब्ल्यू -एसीबी में एफ आईआर दर्ज कराइ गई। अब इस मामले में जांच और छापेमारी चल रही है।
