- मंत्री की उपस्थिति में मंच पर आसीन थे सरगुजा संभाग के पूर्व शिक्षकों को परेशान करने वाले शिक्षा अधिकारी और इस मंच से उतरते समय उन तक पहुंच गया उनका निलंबन आदेश
- प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को अपने भ्रष्टाचार से दूषित करने वाले संयुक्त संचालक को किया गया निलंबित
- शिक्षा मंत्री भी भ्रष्ट अधिकारी के प्रभाव में नहीं है और उन्हीं के विभाग का कार्यवाही आदेश शिक्षा मंत्री व सरकार की ख्याति बढ़ा रहा है…
- इस अधिकारी पर हुए कार्यवाही को लेकर पूरा शिक्षक समुदाय आखिर क्यों खुश है?
- ऐसी कार्रवाई पहली कार्रवाई मानी जा रही है जो उस विभाग के मंत्री के मौजूदगी में और कार्यक्रम के मंच छोड़ने से पहले किसी अधिकारी पर हो गई हो…
- सरगुजा संयुक्त संचालक रहते हुए हेमंत उपाध्याय ने शिक्षकों से पदस्थापना के नाम पर उगाही का
- लगा था आरोप…
- शिक्षा व्यवस्था को दीमक बनकर व्यवस्था को खोखला करने वाले ऐसे अधिकारियों पर लगातार कार्यवाही मांग अब बढ़ी…
- पदोन्नति पदस्थापना में पैसे के लेन-देन के लिए हेमंत उपाध्याय ने शिक्षक नेताओं को भी बनाया था अपना दलाल…

-न्यूज़ डेस्क-
अम्बिकापुर,14 सितम्बर 2025 (घटती-घटना)। शिक्षकों का अपमान करना कभी भी ठीक नहीं होता है लेकिन सरगुजा संभाग में एक ऐसे अधिकारी आए थे जिन्होंने शिक्षकों का अपमान करना उन्हें परेशान करना अपना कर्तव्य मान लिया था, वह अधिकारी कोई और नहीं सरगुजा के पूर्व संयुक्त संचालक शिक्षा अंबिकापुर हेमंत उपाध्याय थे जिन्होंने शिक्षकों को किस कदर परेशान किया था यह विषय किसी से छुपा नहीं था यहां तक की खबर भी लगातार प्रकाशित हो रही थी,भ्रष्टाचार के बड़े आरोप लगे हुए थे, संभाग के शिक्षक उन्हें पानी पी पीकर कोस रहे थे, पर कुछ शिक्षक संगठन के नेता उनके करीबी बने हुए थे, पर अधिकारी का भी बुरा दिन आएगा और उसे अपनी करनी का फल मिलेगा वह दंडित किया जाएगा ऐसा उन्होंने नहीं सोचा था, क्योंकि वह अधिकारी इतना भ्रष्ट था कि उसने भ्रष्टाचार के दम पर अपना बहुत बड़ा नाम बना लिया था पर ऐसे दिन उस पर कार्यवाही होगी यह उसने नहीं सोचा था, कार्यवाही का दिन भी वह दिन था जिस दिन शिक्षकों के लिए सम्मान समारोह आयोजित किया गया था दुर्ग शहर में और उस सम्मान समारोह में वर्तमान नए शिक्षा मंत्री गजेंद्र यादव बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित थे सम्मान हो रहा था और सम्मान खत्म होने से पहले सरगुजा संभाग में हुए शिक्षकों के साथ गलत व्यवहार का परिणाम भी ढाई साल बाद हेमंत उपाध्याय पर कार्रवाई आदेश आते ही आ गया। दुर्ग जिले में शिक्षकों का सम्मान कार्यक्रम रखा गया था पर सबसे बड़ा सम्मान तो उस दिन सरगुजा संभाग के शिक्षकों को मिला जब उनको परेशान करने वाले प्रताडि़त करने वाले उनसे पैसा वसूलने वाले शिक्षा अधिकारी हेमंत उपाध्याय को अंबिकापुर के मामले में ही निलंबन आदेश जारी कर दिया गया,इधर वह मंत्री को खुश करने का प्रयास कर रहे थे और उधर मंच से नीचे उतरते ही उनका निलंबन आदेश उन तक पहुंच गया, और यह चर्चा इसलिए महत्वपूर्ण है की पहली बार ऐसा आदेश किसी सरकार में आया होगा जब कोई भ्रष्ट अधिकारी फिर से किसी मंत्री को खुश करने का प्रयास कर रहा हो और उसे कार्यवाही आदेश मिल जाए।

मंच पर मुस्कुराहट से नहीं भांप पाये आगामी क्षणों को, तैयारी ऐसी थी कि लोग रह गए दंग
मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण सम्मान समारोह जिला दुर्ग में मंच पर उपस्थित शिक्षा मंत्री गजेंद्र यादव का सम्मान करते समय मुस्कुराते चेहरों के बीच निलंबित संयुक्त संचालक, आगामी चरणों में क्या होने वाला है इस बात को नहीं भांप पाये। शिक्षा विभाग और शिक्षा मंत्री की तैयारी ऐसी थी की जिन्होंने निलंबन और प्रभार वाले आदेश को देखा,वे दंग रह गए। जहां एक ओर 12 तारीख को सम्मान समारोह के उपरांत तत्कालीन संयुक्त संचालक को निलंबित करने का आदेश जारी किया गया, वहीं दूसरी ओर इस आदेश में श्री आर एल ठाकुर उप संचालक लोक शिक्षण संचालनालय को संभागीय संयुक्त संचालक संभाग दुर्ग का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया। प्रभार सौंपने के कुछ ही क्षणों बाद इसी दिनांक को इनके द्वारा प्रभार ग्रहण भी किया गया और तत्काल ही इस आशय का आदेश आर एल ठाकुर द्वारा जारी किया गया कि मैंने दिनांक 12.9.2025 को संयुक्त संचालक शिक्षा संभाग दुर्ग छत्तीसगढ़ का पदभार ग्रहण कर लिया है, अतः इस कार्यालय को भेजे जाने वाले सभी शासकीय, अशासकीय एवं गोपनीय पत्र मेरे नाम से भेजी जावे। इसका सीधा तात्पर्य यह है कि शिक्षा विभाग और मंत्री महोदय ने पूरी तैयारी कर ली थी।

स्कूल शिक्षा विभाग ने विभाग को कलंकित करने वाले अधिकारी को दंडित करने का आदेश जारी
हेमंत उपाध्याय प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को कलंकित करने का काम कर चुके थे,इन्हीं का अनुसरण करके अन्य संभागों में भी सहायक शिक्षक से शिक्षक पद पर पदोन्नति प्रकिया में जमकर वसूली हुई थी और तब सभी दोषी भी पाए गए थे लेकिन तब सभी साक्ष्यों में छेड़छाड़ कर बच निकले थे या कार्यवाही को उन्होंने कुछ समय के लिए टाल लिया था। सहायक शिक्षक जिन्हे काफी लंबे अर्से बाद पदोन्नति मिल रही थी वहीं शिक्षक जिन्हे माध्यमिक शाला प्रधान पाठक बनाया जा रहा था लंबे अर्से बाद सभी तब एक तरह से ठगी का शिकार हुए थे जिनसे जमकर वसूली केवल पदस्थापना के नाम पर की गई थी और उनसे मुंह मांगी राशि ली गई थी,सरगुजा संभाग में तो खुला बाजार बन चुका था तब जब हेमंत उपाध्याय पदोन्नति में मुख्य प्रभारी थे जिन्होंने कुछ शिक्षक नेताओं को एजेंट बनाकर करोड़ों रुपए शिक्षकों से वसूल लिए थे। वैसे पाप का घड़ा जल्द भर जाता है जो भर गया और अब केवल पश्चाताप ही सहारा है क्योंकि स्कूल शिक्षा विभाग ने विभाग को कलंकित करने वाले अधिकारी को दंडित करने का आदेश जारी कर दिया।

शिक्षकों को अपमानित करने वाले परेशान प्रताडि़त करने वाले अधिकारी से क्या शिक्षकों का सम्मान करने का अधिकार छीना गया?
हेमंत उपाध्याय प्रदेश के शिक्षा विभाग का वह नाम बन चुका था जिसके सामने आते ही भ्रष्टाचार की बात विभाग में शुरू हो जाती थी,सरगुजा में करोड़ों का वसूली घोटाला शिक्षकों से किया गया ऐसा मामला था जो इनके अब तक के कार्यकाल के दोषपूर्ण कार्यप्रणाली को परिभाषित करता है। हेमंत उपाध्याय को लेकर बताया जाता है कि यह अधिकारी गुप्तचर आधारित नियंत्रण प्रणाली भी चलाता था और इसका उद्देश्य यह हुआ करता था कि गलत पाए जाने पर दंडित किए जाने की बजाए वसूली के लिए प्रायोजित निरीक्षण हुआ करता था और इसके लिए ही वह निरीक्षण पर पहुंचा करते थे। वैसे शिक्षकों के सम्मान कार्यक्रम में शामिल होने के तत्काल पश्चात हेमंत उपाध्याय निलंबित किए गए और अब क्या उन्हें भविष्य में ऐसे सम्मान कार्यक्रमों में हिस्सा लेने का मौका नहीं मिलने वाला। वैसे सरगुजा संभाग में शिक्षकों के बीच उत्साह का माहौल है और वह मानते हैं कि हेमंत उपाध्याय जैसे अधिकारियों के साथ यह कार्यवाही न्याय की कार्यवाही है, शिक्षक से वसूली का उद्देश्य लेकर उनका नियंत्रण कर रहा अधिकारी न विभाग के साथ न्याय कर सकता है न शिक्षकों के साथ न नौनिहालों के साथ,ऐसे अधिकारी शिक्षा व्यवस्था के लिए किसी दीमक से कम नहीं हैं ऐसा शिक्षकों का मानना है और ऐसे अधिकारी ही शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद करने अभियान छेड़े हुए हैं।

क्या महिला शिक्षकों का सच में लगा हेमंत उपाध्याय को श्राप?
हेमंत उपाध्याय से शिक्षक किस कदर नाराज थे दुःखी थे और कहीं न कहीं प्रताडि़त थे आर्थिक रूप से इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हेमंत उपाध्याय के निलंबन आदेश के जारी होते ही शिक्षकों का सोशल मीडिया में बधाई संदेश भेजा जाना शुरू हो गया, शिक्षकों ने कई तरह से अपने मन की भड़ास निकाली और कहीं न कहीं ऐसे अधिकारियों को कोसने का काम किया,ऐसा तब होता है जब कोई मन से दुखी होता है उसकी आत्मा तक ठेस पहुंचा होता है,कुछ शिक्षकों ने यह तक सोशल मीडिया में लिखा कि इन्हें महिला शिक्षकों का श्राप मिला है और अन्य कुछ अधिकारियों के नाम लिखकर कहा कि इनकी अगली बारी है,अब ऐसे सोशल मीडिया पोस्ट से समझा जा सकता है कि प्रताड़ना की हद क्या रही होगी कि शिक्षक सोशल मिडिया में लिखने मजबूर हैं अपनी भड़ास निकालने मजबूर हैं। वैसे क्या यह सही है कि उन्हें महिला शिक्षकों की बददुआ लगी? और वह निलंबित हुए, वैसे वह अपनी करनी की सजा पाए यही सत्य है लेकिन शिक्षकों की भड़ास निकलनी थी जो निकलती दिखी, वैसे शिक्षकों के अनुसार कुछ अन्य अधिकारियों को भी श्राप लगेगा ।