- 46 साल पुराने महाविद्यालय के कब्जे वाली जमीन में जबरदस्ती पुलिस अधीक्षक कार्यालय बनाने का निर्णय कितना सही?
- जनविरोध और जबरन जुटाए जा रहे जनसमर्थन के बीच नए पुलिस अधीक्षक कार्यालय निर्माण का मुद्दा फिलहाल सुर्खियों में…
- सत्तापक्ष,प्रशासन एक तरफ निर्णय को लेकर अडिग,महाविद्यालय प्रबंधन,छात्र सहित विपक्ष विरोध निर्णय के विरोध में
- अन्यत्र भी बनाया जा सकता है पुलिस अधीक्षक कार्यालय,मामला अब चूंकि अहम का इसलिए निर्णय बदला जाएगा संभव नहीं
- क्या जनप्रतिनिधि सहित मौजूदा प्रशासन चाहते हैं कि छात्र महाविद्यालय परिसर में भी भयभीत रहें?
- महाविद्यालय परिसर में बनने वाला पुलिस अधीक्षक कार्यालय छात्रों की स्वतंत्रता और व्यक्तित्व के विकास में बाधक तो नहीं?
- कॉलेज कैंपस छात्र के लिए यादगार होना चाहिए किसी पुलिस के कार्यालय के लिए उसमें कोई जगह नहीं है…
- परिसर के भीतर कोई खंडहर भी है तो वह छात्रों के उपयोग की संपत्ति है पुलिस विभाग के लिए नहीं…फिर भी आनन फानन में तोड़ा गया…
- वहां छात्रों के लिए ही कुछ बनाया जा सकता है,पुलिस अधीक्षक के लिए कार्यालय नहीं…
- पुलिस अधीक्षक कार्यालय बनाने के लिए कब्जा हो रहा है या फिर वहां पर बनाने की जिद है?
- जब कार्यालय बना इतना ही सही है तो फिर विरोध से रोक क्यों रही है प्रशासन?
- जब सभी ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय बनाने की आपत्ति लगे तब प्रशासन को दिक्कत नहीं हुआ आज कॉलेज की जमीन पर आपत्ति लगाई जा रही है तो प्रशासन विचलित क्यों है?
- सवाल है कि किसी शैक्षणिक संस्था के परिसर में पुलिस अधीक्षक कार्यालय बनाया जाना कहां तक उचित है?

-रवि सिंह-
कोरिया,04 सितंबर 2025 (घटती-घटना)। कोरिया जिले में महाविद्यालय परिसर में नए पुलिस अधिक्षक कार्यालय निर्माण का मामला अजीब मोड पर जा पहुंचा है,एक तरफ जन विरोध है दूसरी तरफ जुटाया जा रहा जबरन जन समर्थन,जन विरोध जिले के उच्च शिक्षण संस्थान सहित छात्र हित की के लिए खड़ा नजर आ रहा है वहीं जन समर्थन जो जबरन जुटाया जा रहा है वह जन विरोध के विरुद्ध है। महाविद्यालय परिसर में पुलिस अधीक्षक कार्यालय के नए भवन के लिए जारी जन विरोध राजनीतिक रूप से भी अब एक मुद्दा बन चुका है जिसमें प्रमुख विपक्षी दल भी कूद पड़ा है और वह लगातार छात्रों के साथ खड़े होने और हर परिस्थिति में साथ देने की बात कर रहा है। इस बीच जिला प्रशासन अडिग है और वह निश्चिंत है उस जन समर्थन के साथ जो उसने प्रयास से खड़ा किया है और वह यह मानकर चल रहा है कि महाविद्यालय परिसर में वह नए पुलिस अधीक्षक कार्यालय का निर्माण कर ले जाएगा। वैसे महाविद्यालय प्रबंधन खुद वह भी दो दो महाविद्यालय प्रबंधन महाविद्यालय परिसर में नए पुलिस अधीक्षक कार्यालय निर्माण को अनुचित बताते हुए इसे महाविद्यालय विकास में अवरोध बता चुका है और उनके इस अनुरोध पत्र को कोई तवज्जो नहीं दिया गया,यह भी देखा गया है जबकि इसी तरह जब पुलिस अधीक्षक कार्यालय के लिए न्यायालय परिसर सहित नगर पालिका क्षेत्र की एक खाली पड़ी भूमि पर निर्माण की बात की गई तब न्यायालय सहित नगर पालिका की आपत्ति पर निर्णय बदला गया और अंतिम में महाविद्यालय परिसर की भूमि को पुलिस अधीक्षक कार्यालय के लिए तय किया गया।

वैसे न्यायालय साहित नगर पालिका की आपत्ति जिस तरह तत्काल स्वीकार की गई उसी तरह महाविद्यालय प्रबंधनों की आपत्ति भी स्वीकार की जानी थीं और महाविद्यालय परिसर से अन्यत्र जाकर पुलिस अधीक्षक कार्यालय का निर्माण किया जाना था। पुलिस अधीक्षक कार्यालय निर्माण और पुराने पुलिस अधीक्षक कार्यालय के विस्थापन मामले में एक विषय और ध्यान देने योग्य है और वह यह है कि वर्तमान में पुलिस अधीक्षक कार्यालय लगभग 25 डिसमिल भूमि पर बने भवन में संचालित है और ऐसा 27 सालों से ही संचालन है और इस बीच जिले का विभाजन भी हुआ और पांच विकासखंड वाले कोरिया जिले के हिस्से में दो ही विकासखंड आए और पुलिस थाने के हिसाब से चार ही पुलिस थाने जिले के हिस्से में आए। अब जब 10 पुलिस थाने वाले जिले के पुलिस अधीक्षक कार्यालय का संचालन दो दशकों से ज्यादा समय तक 25 डिसमिल भूमि पर बने भवन से हो गया ऐसे में कुल चार पुलिस थाने वाले जिले के लिए अब एक एकड़ पच्चीस डिसमिल जमीन की क्यों आवश्यकता पड़ रही है यह बड़ा सवाल है। पुलिस अधीक्षक कोरिया के नए भवन के लिए 25 डिसमिल की जगह कुछ बढ़ाकर 40 डिसमिल तक की जमीन भी काफी होती लेकिन जब भूमि आबंटन की बारी आई एक एकड़ पच्चीस डिसमिल जमीन दे दी गई नए कार्यालय के लिए।

पुलिस पेट्रोल पंप के स्थान पर भी बनाया जा सकता था पुलिस अधीक्षक कार्यालय
पुलिस लाइन के समीप घनी आबाद क्षेत्र में पुलिस पेट्रोल पंप जिस स्थान पर बनाया गया है उस स्थान पर भी पुलिस अधीक्षक कार्यालय बनाया जा सकता था पर उस समय पुलिस अधीक्षक कार्यालय को लेकर कोई भी जागरूक नहीं था, वहां पर अब पेट्रोल पंप खुल चुका है यदि वहां पर पुलिस अधीक्षक कार्यालय बन गया होता तो सारी चीज एक जगह पर व्यवस्थित हो जाती पर ऐसा क्यों नहीं किया गया? यह भी बहुत बड़ा सवाल है क्या दूर दृष्टि नहीं रखी गई या फिर उस समय पुलिस अधीक्षक कार्यालय की आवश्यकता नहीं थी और अब अचानक पुलिस अधीक्षक के हाईटेक कार्यालय बनाने की आवश्यकता कैसे पड़ने लगी?
दुर्गा पंडाल के सामने शादी घर से अधिक जरूरी है पुलिस अधीक्षक कार्यालय
शहर के बीचो-बीच दुर्गा पंडाल के सामने जहां पर नगर पालिका शादी घर बनाना चाह रहा था क्या उस स्थान पर पुलिस अधीक्षक कार्यालय नहीं बनाया जा सकता? क्या वह स्थान सही नहीं है या फिर शादी घर ही नगर पालिका के लिए अत्यंत आवश्यक है? पुलिस अधीक्षक कार्यालय उनके लिए आवश्यक नहीं, नगर पालिका ने कई बार अपने अनुरूप आपत्ति दर्ज कर के स्थान परिवर्तन कराया है,क्या उस समय के सत्ताधारी या विपक्ष पुलिस अधीक्षक कार्यालय बनवाने के लिए जागरूक नहीं थे? आज अचानक इतनी जागरूकता या आवश्यकता कैसे पड़ गई? नगर पालिका में भी भाजपा की सरकार है फिर भी निर्णय क्यों नहीं हुआ, नगर पालिका व अन्य विभाग की आपत्ति प्रशासन सुनता है पर महाविद्यालय के प्राचार्य की आपत्ति प्रशासन को सुनने का अधिकार नहीं या फिर सुना नहीं चाहते थे?

लोकसभा सांसद ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र,पुलिस अधीक्षक कार्यालय महाविद्यालय परिसर में बनाए जाने का किया विरोध
लोकसभा सांसद कोरबा संसदीय क्षेत्र जिस क्षेत्र में कोरिया जिला भी आता है ने मामले में मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर निर्णय को बदलने की मांग की है,उन्होंने कहा है कि महाविद्यालय परिसर में पुलिस अधीक्षक कार्यालय का निर्माण महाविद्यालय के विस्तार के लिए सही नहीं है उसमें बाधक है,उन्होंने यह भी कहा है कि आदिवासी समुदाय बाहुल्य जिले में ऐसा निर्णय आदिवासी समुदाय के छात्र छात्राओं के हितों के हिसाब से अनुकूल नहीं है और इससे शासन की मंशा पर सवाल खड़ा होता है वहीं इस निर्णय से शिक्षा का अधिकार अधिनियम भी प्रभावित होता नजर आता है। इस निर्णय के संबंध में उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि निर्णय में बदलाव लाते हुए तत्काल निर्माण को बंद करने का निर्देश जारी करने की कार्यवाही करें।

महाविद्यालय परिसर में पुलिस अधीक्षक कार्यालय से छात्रों की स्वतंत्रता होगी बाधित,महाविद्यालय प्रबंधन सहित छात्रों की यह भी है चिंता
महाविद्यालय परिसर में पुलिस अधीक्षक कार्यालय के निर्माण से महाविद्यालय में अध्यनरत छात्र छात्राओं की स्वतंत्रता भी बाधित होगी यह महाविद्यालय प्रबंधन की भी चिंता है छात्रों की भी चिंता है,महाविद्यालय में छात्रों को एक स्वतंत्र माहौल मिलता है जब वह विद्यालय से अध्ययन उपरांत महाविद्यालय पहुंचते हैं,वह नए स्वतंत्र माहौल में शिक्षा सहित समाज से बेहतर जुड़ते हैं,यदि वह अपने स्वतंत्र माहौल में बाधा महसूस करेंगे वह निश्चित निराश होंगे, महाविद्यालय में होने वाले विभिन्न कार्यकमों के दौरान भी भीड़भाड़ सहित कई ऐसी व्यवस्थाएं होंगी जिससे कई बार हो हल्ला होगा जो पुलिस अधीक्षक कार्यालय के लिए असहनीय होगा वह रोक टोक भी करेंगे,अब इन विषयों को देखा जाए तो कहीं से उचित नहीं है महाविद्यालय परिसर में पुलिस अधीक्षक कार्यालय निर्माण का और इस मामले में महाविद्यालय प्राचार्यों की आपत्तियां स्वीकार की जानी चाहिए।

पुराने तहसील कार्यालय की जमीन पर भी बनाया जा सकता है पुलिस अधीक्षक कार्यालय
पुलिस अधीक्षक कार्यालय का नया भवन पुराने तहसील कार्यालय की भूमि पर भी बनाया जा सकता है। यह निर्माण भी पुलिस कार्यालय के बिल्कुल बगल में होगा यदि ऐसा हुआ तो और जब भवन में प्रवेश की बात होगी बड़ी आसानी से यह संभव हो सकेगा। पुलिस अधीक्षक कार्यालय के नए भवन के निर्माण के तत्काल पश्चात पुराने पुलिस अधीक्षक कार्यालय की जगह तहसील भवन बनाया जा सकता है। इस तरह बिना किसी आपत्ति और जन विरोध का सामना किए एक बेहतर निर्णय प्रशासन जिले के विकास के हिसाब से ले सकता है।
न्यायालय की जमीन पर बनना था पुलिस अधीक्षक कार्यालय,कलेक्टर पुलिस अधीक्षक ने किया था प्रयास,आपत्ति उपरांत मामला गया था ठंडे बस्ते में…
नए पुलिस अधीक्षक कार्यालय के लिए न्यायालय की उस भूमि को भी उपयुक्त माना गया था जिसपर पहले न्यायालय भवन बना हुआ था जो भवन अब अस्तित्व में नहीं है और जर्जर होकर धराशाई हो चुका है,उक्त भूमि पर नए पुलिस अधीक्षक कार्यालय के निर्माण के लिए कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक ने माननीय न्यायधीश महोदय से मुलाकात भी की थी लेकिन उक्त भूमि को न्यायालय की तरफ से नहीं प्रदान किए जाने के निर्णय के बाद जिला प्रशासन ने वहां भी नए पुलिस अधीक्षक कार्यालय के निर्माण से पीछे हटने का निर्णय लिया था और नए सिरे से पुनः जमीन की तलाश जारी की गई और कई जगह की तलाश के बाद महाविद्यालय परिसर की भूमि को उपयुक्त मानकर वहीं नए निर्माण के लिए प्रयास आरंभ किए गए।
मानस भवन के बगल की भूमि पर क्यों नहीं बनाया गया नया कार्यालय
पुलिस अधीक्षक कार्यालय के लिए पूर्व में मानस भवन के बगल की वह भूमि तय की गई थी जिसपर कभी अधिकरियों का आवास हुआ करता था जो अब अस्तित्व में नहीं है,मानस भवन के बगल की भूमि नए पुलिस अधीक्षक कार्यालय के लिए पर्याप्त होती और जब भवन निर्माण उपरांत भवन में प्रवेश की बात होती तब पुराने पुलिस अधीक्षक कार्यालय के बिल्कुल बगल में होने के कारण आसानी से सभी सामानों के साथ प्रवेश में आसानी भी होती। मानस भवन के बगल की भूमि बिलकुल उपयुक्त होने के बाद भी वहां नहीं बनाया जाना कार्यालय एक सवाल है और ऐसा निर्णय क्या केवल भूमि की अधिक आवश्यकता के कारण हुआ यह भी सवाल है।
नगर पालिका की जमीन पर केवल नगर पालिका की आपत्ति के कारण पुलिस अधीक्षक कार्यालय के लिए नहीं आबंटित की गई जमीन
पुलिस अधीक्षक कार्यालय के नए भवन के लिए नगर पालिका की भी जमीन देखी गई थी,इसका प्रस्ताव भी तैयार हुआ था लेकिन तब नगर पंचायत से आपत्ति लगाई गई और उक्त जमीन पर व्यावसायिक परिसर बनाए जाने की बात कहते हुए आपत्ति की गई और आपत्ति लगते ही निर्णय बदल दिया गया। नगर पालिका की आपत्ति से ही तय हो गया कि नए पुलिस अधिक्षक कार्यालय के लिए अलग स्थान का किया जाएगा चयन और तब नगर पालिका से लगाई गई आपत्ति को स्वीकार किया गया था।
पुलिस लाइन के समीप की भूमि पर भी बनाया जा सकता था नया पुलिस अधीक्षक कार्यालय
नया पुलिस अधीक्षक कार्यालय नए पुलिस लाइन कार्यालय के समीप भी बनाया जा सकता था।ऐसा इस तरह भी सम्भव था कि वहां स्थित वह भूमि जिसमें प्राथमिक और माध्यमिक शालाएं संचालित हैं वहां जमीन खाली है जो उपयोग में लाई जा सकती थी और ऐसे में पुलिस लाइन और पुलिस अधीक्षक कार्यालय एक साथ एक जगह स्थापित हो जाता और अलग अलग जगह कार्यालयों के संचालन की आवश्यकता नहीं पड़ती। बताया जाता है कि इस संबंध में भी विचार किया गया था और विचार उपरांत किन्ही कारणों वश निर्णय बदला गया था और कार्यालय के लिए नए जमीन की तलाश फिर से शुरू की गई थी।
महाविद्यालय प्रबंधनों की आपत्ति मात्र पर नहीं किया गया विचार,आपत्ति उपरांत भी पुलिस अधीक्षक कार्यालय के लिए परिसर की जमीन दिए जाने का निर्णय
महाविद्यालय प्रबंधन मात्र एक ऐसा प्रबंधन जिले में साबित हुआ जिसकी आपत्तियां जिला प्रशासन की तरफ से खारिज की गईं,अन्य सभी आपत्तियां स्वीकार की गई और महाविद्यालय वह भी दो दो महाविद्यालय प्रबंधन के लिखित निवेदन को जिला प्रशासन ने दरकिनार करते हुए नए पुलिस अधीक्षक कार्यालय के लिए महाविद्यालय परिसर की ही भूमि दिए जाने का निर्णय निश्चित किया। महाविद्यालय प्रबंधनों ने जबकि छात्र हित महाविद्यालय हित की बात बताते हुए भविष्य में महाविद्यालय के विस्तार प्रभावित होने सहित वर्तमान में कक्षाओं के संचालन में आने वाली दिक्कतों को स्पष्ट रूप से उल्लेखित करने के बाद भी जिला प्रशासन ने उन पर विचार नहीं किया और महाविद्यालय परिसर की भूमि को ही पुलिस अधीक्षक कार्यालय के लिए प्रदान किया जाना तय किया।
छात्रहित,शिक्षाहित और उच्च शिक्षाहित क्या जनप्रतिनिधियों सहित जिला प्रशासन के लिए बेमाने
जिला प्रशासन सहित चुने हुए जिले के जनप्रतिनिधियों ने भी नए पुलिस अधीक्षक कार्यालय के लिए महाविद्यालय परिसर की जमीन को ही सबसे उपयुक्त और उपयोगी माना है इसलिए आबंटन किया जाना उनका सही निर्णय वह बतला रहे हैं। क्या जनप्रतिनिधियों सहित जिला प्रशासन के लिए छात्रहित,शिक्षाहित,उच्च शिक्षा हित का मामला बेमाने है। जब नगर पालिका की आपत्ति दर्ज हुई,न्यायालय की आपत्ति दर्ज हुई सूत्रों की माने तो स्वास्थ्य विभाग ने भी एक मामले में आपत्ति की वह भी दर्ज हुई सभी में निर्णय आपत्तियों के पक्ष में दिया गया जबकि दो दो महाविद्यालय के प्राचार्यों की आपत्ति नजर अंदाज की गई।
एक एकड़ से अधिक भूमि आखिर क्यों चाहिए नए पुलिस अधीक्षक कार्यालय के लिए,क्या हेलीपैड भी बनाया जाएगा कार्यालय के समीप
नए पुलिस अधीक्षक कार्यालय के लिए एक एकड़ पच्चीस डिसमिल जमीन आबंटित की गई है महाविद्यालय परिसर की,वर्तमान में पुराना कार्यालय केवल पच्चीस डिसमिल भूमि पर ही स्थापित है,अब ऐसे में सवाल यह है कि क्या ज्यादा भूमि हेलीपैड के निर्माण के हिसाब से भी दिया जा रहा है। यदि हेलीपैड निर्माण की बात सही है तो ऐसे में आए दिन हेलीपेड होने के कारण महाविद्यालय परिसर में अतिरिक्त सुरक्षा और अन्य व्यवस्थाओं का नजारा देखने को मिलेगा और शिक्षा व्यवस्था बाधित होगी।