अंबिकापुर,03 सितम्बर 2025 (घटती-घटना)।कलेक्टर सरगुजा श्री विलास भोसकर ने अनुसूचित जनजाति क्षेत्र में भूमि अंतरण से संबंधित मामलों में गंभीर अनियमितताओं पर रोक लगाने के लिए स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं। कलेक्टर ने कहा कि सरगुजा जिला अनुसूचित जनजाति क्षेत्र घोषित है,इसके बावजूद गैर-आदिवासियों द्वारा बेनामी अंतरण कर अनुसूचित जनजाति की भूमि पर अवैध उपयोग एवं प्लाटिंग की जा रही है,जो छ.ग. भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 170 (ख) के विपरीत है। कलेक्टर ने सभी अनुविभागीय अधिकारियों (रा),तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों को निर्देशित किया है कि वे पटवारियों से परिशिष्ट ‘ई’ में प्रतिवेदन प्राप्त कर अनुसूचित जनजातियों की भूमि को उनके मूल स्वामियों को लौटाने की कार्रवाई करें और हर माह प्रगति की रिपोर्ट प्रस्तुत करें। इसके अलावा उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि शासकीय
पट्टे से प्राप्त भूमि (जैसे पुनर्वास पट्टा, सिंहदेव पट्टा, वन अधिकार पत्र आदि) का विक्रय धारा 165 (7) (ख) के तहत कलेक्टर की अनुमति के बिना पूर्णतः शून्य और अवैध है। अतः जिला पंजीयक एवं उप-पंजीयक बिना अनुमति के ऐसे अनुबंध पत्र पंजीकृत न करें, अन्यथा उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। कलेक्टर ने यह भी बताया कि ग्राम सुभाषनगर, भगवानपुर, तुर्रापानी, डिगमा, नेहरूनगर, चठिरमा और सरगवां में पुनर्वास मद की भूमि के बार-बार अपंजीकृत अनुबंध पत्रों से विक्रय की शिकायतें मिली हैं। इस पर तहसीलदारों को निर्देशित किया गया है कि किसी भी फौती नामांतरण या बंटवारे से पहले स्थल जांच अवश्य की जाए। साथ ही तहसील मैनपाट में तिबती शरणार्थियों को दी गई शासकीय भूमि की सतत निगरानी रखने, अवैध कजा या अपंजीकृत अनुबंध पत्र निष्पादन पर रोक लगाने के भी निर्देश दिए गए हैं। ताकि अनुसूचित जनजातियों के हित संरक्षित रह सकें और उनकी भूमि पर किसी भी प्रकार का अवैध कजा या अंतरण न हो।
