भारतीय बैंकिंग प्रणाली,जो देश की आर्थिक रीढ़ मानी जाती है,समय-समय पर ग्राहकों के साथ अनुचित व्यवहार के लिए आलोचना का विषय बनती रही है। हाल में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नये दिशा-निर्देशों का ऐलान किया गया जिनसे देश भर के बैंकों में नये सेवा शुल्कों और लेन देन की सीमाओं को लेकर असमंजस की स्थिति है। ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कंफेडरेशन के पूर्व महासचिव थॉमस फ्रैंको ने हाल में बैंकों द्वारा ग्राहकों से अनुचित शुल्क वसूलने और आरबीआई की नीतियों के प्रभावों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। फ्रैंको ने बैंकों की उन प्रथाओं पर प्रकाश डाला है, जिनके माध्यम से ग्राहक अनजाने में अतिरिक्त शुल्क और चार्जेस का बोझ उठाते हैं। उनके अनुसार, बैंक न केवल अपनी सेवाओं के लिए मनमाने ढंग से शुल्क बढ़ाते हैं, बल्कि ग्राहकों को अनुचित नियमों और शतरे के जाल में भी फंसाते हैं। उदाहरण के लिए, एटीएम लेन देन पर लगने वाले शुल्क, न्यूनतम बैलेंस की आवश्यकता और तीसरे पक्ष के उत्पादों (जैसे बीमा) की गलत बिक्री (मिस-सेलिंग) आम ग्राहकों के लिए परेशानी का कारण बन रही है। आरबीआई के दिशा-निर्देशों के बावजूद बैंक ग्राहकों के साथ पारदर्शिता और निष्पक्षता बरतने में विफल रहे हैं। वे बताते हैं कि बैंकों द्वारा लगाए गए कई शुल्क, जैसे एटीएम से नकदी निकासी पर चार्ज या न्यूनतम बैलेंस न रखने की सजा, ग्राहकों के लिए अनुचित और बोझिल हैं। विशेष रूप से छोटे बचत खाताधारकों और ग्रामीण क्षेत्रों के ग्राहकों पर इसका सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। आरबीआई ने हाल में एटीएम संचालन, लेन देन सीमा और शुल्क से संबंधित नये दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन दिशा-निर्देशों के अनुसार, ग्राहकों को अपने बैंक के एटीएम पर सीमित मुफ्त लेन देन की सुविधा दी जाती है, और अन्य बैंकों के एटीएम पर भी मुफ्त लेन देन की संख्या निर्धारित की गई है। इन सीमाओं को पार करने पर ग्राहकों से शुल्क वसूला जाता है। फ्रैंको का तर्क है कि ये दिशा-निर्देश बैंकों को ग्राहकों से अतिरिक्त शुल्क वसूलने की छूट देते हैं, जिससे आम आदमी पर बोझ बढ़ता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई ग्राहक अपने बैंक के एटीएम से पांच मुफ्त लेन देन के बाद अतिरिक्त निकासी करता है, तो उसे प्रति लेन देन 20 रु पये तक का शुल्क देना पड़ सकता है। इसी तरह,अन्य बैंकों के एटीएम पर तीन मुफ्त लेन देन के बाद शुल्क लागू होता है। फ्रैंको के अनुसार, यह व्यवस्था ग्राहकों को उनकी ही बचत का उपयोग करने के लिए दंडित करती है। आरबीआई ने डिजिटल बैंकिंग और साइबर सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए भी दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जैसे मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन और अनिधकृत लेन देन की स्थिति में ग्राहकों की शून्य देयता।
-विनीत नारायण-
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