
पिता में ही बसती है, प्रभु की मूरत,
पिता के चरणों में ही रहती है जन्नत।
जिंदगी भर करता रहूं मैं पूजत,
पिता के बाहों में ही सुकून और राहत।
पिता ही लगाते हैं, परिवारों के लिए जिंदगी का दांव,
दिन भर दौड़ते भागते रहते है,ना थमे उनके पांव।
पिता से मिलकर आनंदित लगे,जैसे बरगद की छांव,
पिता के दिलों में बसती है,सबके लिए प्रेम भाव।
पिता ही बच्चों के भविष्य का किया साकार,
पिता के कर्मों का सदैव बने,ऋ णी रहेगा उपकार।
विपरीत परिस्थिति में भी बच्चे का जीवन देते हैं संवार,
पिता ही है दुनिया का सर्वश्रेष्ठ बेसकीमती उपहार।
कड़ी धूप में मेहनत करके, हर बच्चों का करते हैं, सपना पूरा,
बच्चे पढ़ लिखकर आगे बढ़कर जिंदगी को बनाएगा उज्ज्वल सुनहरा।
अपने जिंदगी का दाव लगा देते हैं, बच्चे को ख्वाब ना रहे अधूरा,
अपने बच्चे परिवारों के लिए पिता बनते हैं,सोने से खरा।
पिता ने उंगलियां पकड़ के चलना सिखाया,
पिता के कोमल हाथों में अन्न ग्रहण कराया।
मुझे अपने पीठ पर बैठ के चारों ओर घुमाया,
पिता से ही शब्द ज्ञान,सही गलत का मार्ग दिखलाया।
सबसे अलग सबसे अनोखा महिमा है अपरंपार,
स्नेह दुलार प्यार करुणा सदैव लुटाते है अपार।
कभी ना बच्चों का अनिष्ट चाहे खुला हृदय का द्वार,
पिता का साया जिन पर रहे, कर दे बेड़ा पार।
पिता अपने बच्चे परिवार के लिए करते हैं जीवन समर्पण,
मेरी कामयाबी मुकाम शोहरत सब पिता के चरणों में करू अर्पण।
धन्य हो मेरा जीवन, पिता के लिए करता रहूं तर्पण,
पिता श्री ही है, मेरे जीवन का सार्थक दर्पण।