- निलंबित होने के बाद भी तहसीलदार बैक डेट पर कुछ मामले का कर सकते हैं निपटारा:सूत्र
- संभागायुक्त का तहसीलदार पर बड़ी कार्यवाही शिकायतकर्ता के शिकायत पर तत्काल लिया संज्ञान
- तहसीलदार संजय राठौर निलंबित, शिकायतकर्ता को मृत दिखाकर किया गया था भूमि का अनुचित नामांतरण
- भैयाथान तहसील में पदस्थ रहते हुए विवादित मामले का निपटारा करते हुए प्रतिफल अनुसार 30 डिसमिल जमीन अपने पत्नी के नाम खरीदे का लगा है आरोप
- शिकायत की जांच में प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने पर सरगुजा संभागायुक्त ने किया सख्त करवाई
- संजय राठौर तहसीलदार कोई भी काम बिना मुनाफा के नहीं करते…मुनाफा भी लाखों में नहीं कई लाखों में होता है
- तहसीलदार संजय राठौर के विरुद्ध विभागीय जांच भी हुई शुरू



-शमरोज खान-
सुरजपुर,13 जून 2025 (घटती-घटना)। भैयाथान तहसीलदार संजय राठौर काफी सुर्खियों में थे और अपनी गलत कार्य प्रणालियों की वजह से उनकी शिकायत भी हो रही थी उन्होंने एक जमीन मामले को निपटारा करने के बदले में अपनी पत्नी के नाम जमीन भी खरीद लिया था जिस खबर को दैनिक घटती-घटना लगातार प्रकाशित कर रहा था, खबर प्रकाशन के बाद अब संभागायुक्त ने उस मामले पर संज्ञान लेते हुए तत्काल संजय राठौर को प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
आपको बता दे की जिला सूरजपुर के ग्राम कोयलारी,तहसील भैयाथान की निवासी शैल कुमारी दुबे द्वारा की गई गंभीर शिकायत पर कार्यवाही करते हुए, संभागायुक्त श्री नरेन्द्र कुमार दुग्गा ने तहसीलदार श्री संजय राठौर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, आवेदिका शैल कुमारी दुबे ने दिनांक 26 मई 2025 को शिकायत प्रस्तुत कर बताया कि तहसीलदार संजय राठौर द्वारा सांठगांठ कर उन्हें मृत दर्शाते हुए उनकी निजी स्वामित्व की भूमि (खसरा क्रमांक 45/3, रकबा 0.405 हे.) जिसका रिनंबरिंग में नया खसरा नंबर 344 है, जिसका अनुचित नामांतरण और विक्रय किया गया। आवेदिका की शिकायत पर अपर कलेक्टर सूरजपुर एवं तहसीलदार लटोरी की संयुक्त टीम द्वारा जांच की गई। जांच रिपोर्ट क्रमांक 99/अ.कले./2025, दिनांक 09.06.2025 के अनुसार श्री संजय राठौर द्वारा जीवित आवेदिका को मृत बताकर उनकी भूमि का नामांतरण सौतेले पुत्र श्री वीरेन्द्रनाथ दुबे के पक्ष में किया गया, जोकि प्रथम दृष्टया अनैतिक माना गया। प्रारंभिक जांच में श्री राठौर को अपने पदीय दायित्वों के प्रति गंभीर लापरवाही और स्वेच्छाचारिता का दोषी पाए जाने पर छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम-3 का उल्लंघन माना गया है। फलस्वरूप, उन्हें छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के तहत नियम 9(1)(क) के अंतर्गत तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है। निलंबन अवधि में श्री राठौर को नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ते की पात्रता होगी, तथा इस अवधि के लिए उनका मुख्यालय कार्यालय कलेक्टर,बलरामपुर-रामानुजगंज नियत किया गया है।
तहसीलदार साहब ने किसी प्रकरण के बाद 30 डिसमिल जमीन अपने पत्नी के नाम करवाया?
तहसीलदार साहब जहां-जहां पर फैसला सुनाते हैं वहां वहां पर जमीन अपने नाम कर लेते हैं ऐसा शिकायतकर्ताओं का आरोप है 30 डिसमिल जमीन उन्होंने अपने पत्नी के नाम करवाया कुल मिलाकर भैयाथान तहसील कार्यालय में रहते हुए, इस बारे में कोईलारी गांव से उक्त भूमि संबंधी जानकारी चाही तो पता चला की 19/1 जिसमें तहसीलदार साहब ने अपनी पत्नी के नाम 30 डिसमिल जमीन ली है वह भैयाथान पटना मुख्य मार्ग से लगा हुआ है और जिसका बाजार मूल्य लगभग एक लाख रुपए डिसमिल है। फर्द बंटवारा प्रपत्र को भी लेकर आवेदकों ने तहसीलदार साहब पर आरोप लगाते हुए बताया है कि फर्द बंटवारा सीट पर वास्तविक खातेदारों के हस्ताक्षर ही नहीं हैं और जो है वह भी फर्जी हस्ताक्षर हैं वहीं साथ में यह भी लिखा है की तहसील कार्यालय के ऑर्डर शीट और फर्द बंटवारा में देवचंद दुबे, त्रिनेत्र दुबे, उपेंद्र का सहमति में हस्ताक्षर लेकर फर्द बंटवारा किया गया है जो कि संबंधित जमीनों के खातेदार ही नहीं है।
30 डिसमिल जमीन 189500 में तहसीलदार अपने पत्नी के नाम खरीदा
तहसीलदार संजय राठौड़ ने 30 डिसमिल जमीन 189500 में खरीद जिसके बाद यह सवाल उठने लगा कि आखिर इतनी सस्ती जमीन कहां मिल रही है? जबकि जिस जमीन को उन्होंने खरीदा है वह जमीन बेस कीमती है उस जमीन का बाजार भाव तकरीबन 2 लाख से ऊपर का बताया जा रहा है ऐसे में 189500 में जमीन को खरीद कर क्या तहसीलदार ने यह बता दिया कि वह जमीन पानी के भाव थी आखिर इतनी सस्ती जमीन क्या भारत के भैयाथान क्षेत्र में ही मिलती है? यदि जमीन के दाम की बात की जाए तो 6316 डिसमिल में यह जमीन खरीदी गई है इस रेट को देखकर शायद कलेक्टर भी अपना माथा पकड़ ले।
रजिस्ट्री के तुरंत बाद उसी दिन हुआ नामांतरण
यदि आम आदमी जमीन खरीदता है तो उसके नामांतरण में दिन क्या महीने लग जाते हैं, पर वही जब तहसीलदार को अपनी पत्नी के नाम जमीन ख़रीदा तो यह जमीन एक दिन में ही उनके नाम हो गई, आखिर अपने पावर का उपयोग उन्होंने कैसा किया? अब इस बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं अपने पावर का दुरुपयोग ही इन्होंने किया है यह कहना गलत नहीं होगा। क्या भैयाथान तहसीलदार बनते उनके हाथ जैकपोट लगा गया, आखिर यह जमीन जो खरीदी गई इतनी कम पैसे में खरदी गई है की रजिस्ट्री में देखा जा सकता है, क्या इसका दर इसलिए कम किया गया है ताकि नगद भुगतान दिखा सके या फिर वह भी इन्हें उपहार में मिली रही? लोगों का कहना है कि तहसीलदार साहब सभी को ऐसे जमीन बताएं जो 6 हजार 300 रूपए डिसमिल में लोगों को मिल जाए।
उन व्यक्तियों का भी हस्ताक्षर करवा लिया है जो सम्मिलित खाता में नहीं है जिनका कोई अधिकार नहीं
आवेदकों ने बंशवृक्ष लगाया है जिसमें उल्लेख किया है जिस भूमि का यह मामला है वह भूमि क्षेत्र के गणमान्य विद्वत ब्राह्मण पण्डित बालगोविन्द दुबे के वंशजों की है जिसके वास्तविक उत्तराधिकारियों को सूचना तक नहीं दी गई, सहमति लेना तो बहुत ही दूरगामी विषय है वहीं आवेदकों ने अपने आवेदन में यह भी लिखा है की कुछ उत्तराधिकारियों के फर्जी पता सहित फर्जी हस्ताक्षर संजय राठौर के विश्वसनीय दलाल ने किया है साथ ही यह भी आरोप लगाया है की फर्द बंटवारा में उन व्यक्तियों के भी हस्ताक्षर हैं जो न इस सम्मिलात भूमि के खातेदार हैं,न ही हकदार, सम्मिलात खाते सम्बन्धित दो प्रकरण माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर में विचाराधीन हैं जिसमें पक्षकार महेन्द्र दुबे वगैरह प्रति गंगा देवी वगैरह के प्रमुख पक्षकार महेन्द्र दुबे सहित उनके भाईयों को इस बंटवारा में सम्मिलित करना संजय राठौर ने उचित नहीं समझा और न ही उन्हें एक इंच भूमि ही इस बंटवारा में दिया है, आवेदन में लिखा है कि विरेन्द्र दुबे,देवीप्रसाद दुबे ,शिवम दुबे सहित अन्यों को एकतरफा भूमि लाभ देकर देवचन्द दुबे के सहयोग से प्रकरण के अन्तिम आदेश देने से पूर्व प्रकरण के विचाराधीन स्थिति में रहते हुए तीस डिसमिल भूमि शारदा राठौर के नाम प्राप्त करने के बाद ही संजय राठौर ने अन्तिम आदेश दिया ।बंटवारा का अन्तिम आदेश 07/03/2025 को होता है और उससे पूर्व ही 05/02/2025 को सम्मिलात खाते की ही भूमि जिसका खसरा नम्बर 19/1 है उसमें से तीस डिसमिल भूमि अपनी पत्नी शारदा राठौर के नाम से रजिस्ट्री करा लेते हैं, एकतरफा बंटवारा प्रकरण में लाभप्राप्ति पश्चात ही वे रिकार्ड दुरुस्ती का ज्ञापन देते हैं।
विभागीय जांच भी हो गई शुरू
संजय राठौर के विरुद्ध विभागीय जांच भी शुरू हो चुकी है अब इस शिकायत के मामले में जो जांच रिपोर्ट आएगी,उस पर आगे की कार्यवाही की जाएगी, अभी फिलहाल प्रथम दृष्टि दोषी पाए जाने पर निलंबित कर दिया गया है पर जानकारों का मानना है कि इस मामले में बड़ी गड़बड़ी हुई है और इस मामले में तहसीलदार पर बड़ी कार्यवाही से गुजरना पड़ सकता है, तहसीलदार के कई पैसे लेनदेन के ऑडियो भी मौजूद है जो बहुत जल्द सामने आ सकता है वैसे तहसीलदार ने लगभग अपने प्रकरणों में न्याय प्रभावित करने वाले कार्यवाही की है अब उनके हटन के बाद कई सारे और नई शिकायतें आ सकती है जिस पर भी विभागीय जांच होगा, वहीं यह भी कहा जा रहा है कि सरगुजा आयुक्त इस मामले को लेकर काफी गंभीर है और दोषी पाए जाने पर इससे भी बड़ी कार्रवाई करेंगे।
निलंबित होने के बाद भी बैक डेट पर कुछ मामले निपटाएंगे
सूत्रों का दावा है कि संजय राठौर निलंबित होने के बाद भी बैक डेट पर कुछ मामले निपटाएंगे क्योंकि वह ऐसे मामले हैं जिसमें वह पैसा ले चुके हैं और उस मामले को निपटाना उनके लिए अब काफी जरूरी हो चुका है जैसे ही उन मामलों को निपटाएंगे उसके बाद फिर से शिकायत की स्थिति निर्मित होगी, क्योंकि जो काम वह निपटान जा रहे हैं वह नियम विरुद्ध है जिसके लिए उन्होंने खूब पैसे भी लिए हैं ऐसे एक नहीं दर्जनों प्रकरण इस पर भी सूरजपुर कलेक्टर सहित संभाग आयुक्त को ध्यान देने योग तथ्य है।
यह है पूरा मामला…
भैयाथान तहसील कार्यालय इन दिन सुर्खियों में छाया हुआ है जिसके मुख्य किरदार तहसील कार्यालय में विद्यमान तहसीलदार साहब और उनके कुछ विश्वसनीय भूमि दलाल है जो कि अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए भोले भाले भूमि स्वामियों को रातों रात भूमिहीन कर देते है। सामूहिक खाते के हिस्से की जमीन से हिस्सेदारों का नाम गायब कर फर्द बंटवारा करके अपने विश्वसनीय भूमि दलालों व अपनी पत्नी के नाम जमीन करा लेते हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया है जिसमें कलेक्टर जनदर्शन में आया है जिसमें भी वर्तमान में सर्वाधिक विवादास्पद तहसीलदार संजय राठौर का नाम जुड़ा हुआ है, जिस मामले को लेकर जिला के आला आधिकारी भी सकते में आ गए है और अपने अधीनस्थ अधिकारी के कारनामों के बारे में कुछ भी बोलने में असहज लग रहे है, कलेक्टर जनदर्शन में महेन्द्र दुबे, सतीश दुबे, रविशंकर दुबे, राजेश दुबे ,रामकृपाल दुबे ने तहसीलदार संजय राठौर और अन्यों पर इतने गम्भीर आरोप प्रमाण सहित लगाये हैं जिससे जिला प्रशासन भी सकते में आ गया है। आवेदकों ने अपने आवेदन में उल्लेख किया है कि उनकी सम्मिलात खाते की भूमि ग्राम कोयलारी, तहसील भैयाथान, जिला सूरजपुर में स्थित है और इसके बंटवारा विषयक प्रकरण माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर में विचाराधीन हैं, इसके बावजूद भी तहसीलदार संजय राठौर ने बहुमूल्य भूमि के लालच में एक कथित आपसी समझौता के आधार पर और उसमें भी कुछ के फर्जी हस्ताक्षर, फर्जी पता दिखाकर अपने चहेतों को अधिक भूमि लाभ देते हुये उनके पक्ष में एकतरफा बंटवारा आदेश दे दिया, और बदले में पुरुस्कार स्वरूप तीस डिसमिल भूमि अपनी पत्नि शारदा राठौर के नाम अन्तिम आदेश दिनांक 07-03-2025 से पूर्व ही 05-02 -2025 को रजिस्टर्ड विक्रय पत्र के माध्यम से प्राप्त कर ली, इसके बाद यह सवाल उठने लगा कि क्या तहसीलदार साहब उच्च न्यायालय से भी ऊपर हो गए हैं उन्हें उच्च न्यायालय का भी डर नहीं है क्या उन्होंने उच्च न्यायालय की अवहेलना की है?