कश्मीर पहलगाम आतंकी हमले के दर्द ने सभी भारतीयों के दिलों को झंझोड़ दिया है। मगर कश्मीर पर बीती आपबीती ने कश्मीरियों को एक ऐसा ज़ख्म दिया है जो उनके सीने को लहूलुहान कर गया है । यूं तो भारत पाकिस्तान के राजनीतिक संबंध सदैव से ही टकराव में रहे है । जिसका मुआवजा कश्मीर सदियों से चुका रहा हैं। ये सिलसिला बंटवारे से शुरू हुआ तो कभी थमा ही नहीं । एक जख्म के बाद दूसरा जख्म पाने वाले कश्मीरी इतने लहूलुहान हो चुके है कि हर रूह सिसक रही है । कश्मीरी लोकल आज सरकार से अनेकों सवाल कर रहे है कि आखिर उनकी क्या गलती है ? उन्हें कब तक अपने भारतीय होने का सबूत देना होगा ? इस आतंकी हमले के वक्त सुरक्षा बल कहा थे ? जबकि आए दिन रोजमर्रा में भी संपूर्ण कश्मीर में जगह जगह सुरक्षा बल तैनात रहते है । जगह जगह बैंकर्स का एक बड़ा जाल है । हर जगह कैमरे लगे हुए है । आने जाने वाले लोगों की चेकिंग की जाती है। तो 22 अप्रैल के दिन सुरक्षा बल क्यों हटा दिए गए ? क्या कारण है कि एक लंबे समय तक हमले के बाद भी सुरक्षा जवान वहां नहीं पहुंचे? जबकि लोकल लोगों के मुताबिक पहलगाम में जिस जगह पर हमला हुआ वही पास में ही छावनी है । कश्मीरियों के दिल,रूह चीख चीख कर सरकार से सुरक्षा में हुई चूक का जवाब मांग रही है । ऐसे कई सवाल है जो देश भर के जागरूक नागरिक भी सरकार से पूछ रहे है । अगर इस हमले पर गहन अध्ययन किया जाए तो ये कहना गलत नहीं होगा कि सुरक्षा में हुई इस बड़ी चूक को नज़र अंदाज नहीं किया जा सकता है। इस चूक को ले कर एक मत के लोग इस हमले को राजनीतिक दांव पेच भी बता रहे है । कश्मीरी लोकल इस समय कई तरह की अन्य तकलीफों से भी हताहत है । सभी कश्मीरियों को शक के दायरे में लिया जा रहा है । कश्मीरियों का कहना है कि हिंदू मुस्लिम उठते मुद्दे का शिकार उन्हें बनाया जा रहा है। उनके घर परिवार के लोग जो वहां थे या है भी नहीं उन से सिर्फ मुस्लिम होने की वजह से पूछताछ की जा रही है। आदिल घुड़सवार भी मुसलमान ही था , जो इस हमले का शिकार हुआ । कश्मीर पर्यटन के कारण ही चलता है । अगर वहां पर्यटक आना छोड़ देंगे तो कश्मीरी लोकल कैसे अपना जीवन निर्वाह कर पाएंगे? कश्मीरी लोकल प्रयटकों को अपना अतिथि मानते हैं। आज संपूर्ण कश्मीर एक जुट हो कर सड़कों पर अपनी बात कहने के लिए प्रदर्शन कर रहा है ।ये बड़े ही दुख की बात है की जिस कश्मीर को धरती का स्वर्ग कहा जाता है उसे राजनीतिक दांव पेच ,आतंकी हमलों ,हिन्दू मुस्लिम मुद्दे जैसे अनेकों कारणों की वजह से सदियों से चैन नहीं मिला है । धरती का स्वर्ग खुद खौफ ओर दहशत के साय में है।कत्ल करने वालों का ना कोई मज़हब होता है इंसान के चोले में हैवान/शैतान घुसा होता है।
केशी गुप्ता
द्वारका,दिल्ली
