भारत का नाम लेकर छटपटाने लगी पाक मीडिया
नई दिल्ली,27 अप्रैल 2025 (ए)। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनातनी चल रही है. भारत की तरफ से नदियों के पानी को रोकने का ऐलान किया गया था। अब पाकिस्तानी मीडिया में दावा किया गया है कि भारत ने अचानक झेलम नदी में पानी छोड़ दिया। भारत द्वारा पीओके में झेलम का पानी भरने के बाद पाकिस्तान ने मुजफ्फराबाद में आपातकाल घोषित कर दिया है। रिपोर्ट में भारत पर आरोप लगाया गया है कि भारत ने पाकिस्तानी अधिकारियों को खबर दिए बिना अचानक झेलम नदी में पानी छोड़ दिया।
पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक,पानी छोड़ने की वजह से मुजफ्फराबाद के पास जल स्तर में तेज बढ़ोतरी दर्ज की गई। स्थानीय प्रशासन ने इसके जवाब में हट्टियन बाला में जल आपातकाल लगा दिया है। मस्जिदों में ऐलान करते हुए स्थानीय लोगों को चेतावनी भी दी गई। पानी उत्तरी कश्मीर के बारामुल्ला जिले से घुसा और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के चकोठी इलाके से होकर ऊपर उठा। यह तब हुआ जब भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया।
भारत ने पाकिस्तान संधि खत्म करने पर दी थी जानकारी
भारत सरकार ने शनिवार को संधि को निलंबित करने के अपने फैसले को लागू करने के लिए एक औपचारिक अधिसूचना जारी की और गुरुवार को इसे पाकिस्तान को सौंप दिया। अधिसूचना में कहा गया है कि सिंधु जल संधि को स्थगित रखा जा रहा है, जिससे सिंधु आयुक्तों के बीच बैठकें, डेटा साझा करना और नई परियोजनाओं की अग्रिम सूचना सहित सभी संधि दायित्वों को प्रभावी रूप से निलंबित कर दिया गया है।संधि के अब निलंबित होने के बाद,भारत पाकिस्तान की अनुमति या परामर्श के बिना नदी पर बांध बनाने के लिए स्वतंत्र है।
पाकिस्तानी अधिकारियों को संबोधित एक पत्र में,भारत की जल संसाधन सचिव देबाश्री मुखर्जी ने कहा कि जम्मू और कश्मीर को निशाना बनाकर पाकिस्तान द्वारा लगातार सीमा पार आतंकवाद सिंधु जल संधि के तहत भारत के अधिकारों में बाधा डालता है।
पत्र में लिखा है,सद्भावना के साथ संधि का सम्मान करने का दायित्व संधि के लिए मौलिक है। हालांकि, इसके बजाय हमने जो देखा है वह यह है कि पाकिस्तान द्वारा भारतीय केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर को निशाना बनाकर लगातार सीमा पार आतंकवाद जारी है।
पाकिस्तान ने बताया था युद्ध की कार्रवाई
वहीं,पाकिस्तान ने गुरुवार को सिंधु जल संधि को भारत द्वारा निलंबित करने के फैसले को खारिज कर दिया और कहा कि संधि के तहत पाकिस्तान के पानी के प्रवाह को रोकने के किसी भी कदम को ‘युद्ध की कार्रवाई’ के रूप में देखा जाएगा। दोनों देशों ने नौ साल की बातचीत के बाद सितंबर 1960 में इस संधि पर हस्ताक्षर किए थे, जिसका एकमात्र उद्देश्य सीमा पार की नदियों से संबंधित मुद्दों का प्रबंधन करना था।
पाकिस्तान पर बड़ा असर
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, भारत द्वारा सिंधु जल संधि को स्थगित करने से पाकिस्तान की कृषि अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ने की आशंका है, जिससे महत्वपूर्ण जल डेटा साझाकरण बाधित होगा और प्रमुख फसल मौसमों के दौरान प्रवाह कम होगा। विश्व बैंक की मध्यस्थता में, संधि पूर्वी नदियों सतलुज, ब्यास और रावी को भारत को और पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम और चिनाब को पाकिस्तान को आवंटित करती है। लगभग 135 एमएएफ का औसत वार्षिक प्रवाह बड़े पैमाने पर पाकिस्तान को आवंटित किया गया था।
क्या है सिंधु जल संधि?
साल 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में जल बंटवारा हुआ था। संधि के तहत भारत को रावी, ब्यास और सतलुज नदियों पर पूर्ण नियंत्रण दिया गया था। जबकि पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चेनाब नदी पर अधिकार दिया गया था,जो जम्मू-कश्मीर से होकर बहती हैं। सवाल उठ रहा है कि जल-बंटवारे के समझौते के निलंबन से पाकिस्तान पर क्या असर पड़ेगा?
पाकिस्तान पर क्या असर पड़ेगा?
पाकिस्तान पहले से ही वित्तीय और राजनीतिक उथल-पुथल से जूझ रहा है। इस फैसले से उस पर दूरगामी असर पड़ने वाला है। पाकिस्तान कृषि के लिए सिंधु नदी पर बहुत ज्यादा निर्भर है,जो इसकी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। पाकिस्तान की 90 प्रतिशत सिंचाई प्रणाली सिंधु नदी पर आधारित है। जल आपूर्ति में किसी भी प्रकार का व्यवधान उसके कृषि उत्पादन और खाद्य सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है। पश्चिमी नदियों से पानी की आपूर्ति में कोई भी व्यवधान या भविष्य में व्यवधान पाकिस्तान में पानी की कमी को बढ़ा सकती है। फसल की पैदावार को कम कर सकती हैं और घरेलू अशांति को बढ़ावा दे सकती हैं। खासकर पहले से ही पानी की कमी से जूझ रहे पंजाब और सिंध जैसे प्रांतों में हालात बदतर हो सकते हैं।
अब क्या बदलेगा?
@. इंडस जल आयुक्तों की बैठकें बंद
अब दोनों देशों के जल आयुक्तों की सालाना बैठकें नहीं होंगी,जिससे संवाद और विवाद निपटाने के रास्ते बंद हो जाएंगे। दरअसल,संधि के तहत दोनों देशों के दो आयुक्तों को साल में एक बार बारी-बारी से मिलने की व्यवस्था दी गई थी। भारत द्वारा संधि को निलंबित करने के बाद अब ऐसी कोई बैठक नहीं होगी।
@. जल संबंधी आंकड़े नहीं मिलेंगे
भारत अब पाकिस्तान को नदियों का प्रवाह, बाढ़ की चेतावनी और ग्लेशियर पिघलने की जानकारी नहीं देगा। इससे पाकिस्तान में बाढ़ या सूखे की संभावना बढ़ सकती है।
संधि के तहत भारत,पाकिस्तान को समय पर हाइड्रोलॉजिकल डेटा सर्कुलेट करता आ रहा था। इसमें बाढ़ की चेतावनी जारी की जाती थी। नदी के प्रवाह को साझा करना और ग्लेशियर पिघलने के पैटर्न पर अलर्ट दिया जाता था। अब पाकिस्तान को सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के जल स्तर के बारे में जानकारी की कमी के कारण संभावित सूखे या बाढ़ का खतरा है।
@. परियोजनाओं के बारे में नहीं मिलेगी जानकारी
भारत अब पश्चिमी नदियों पर अपने जलविद्युत परियोजनाओं को बिना पाकिस्तान से सलाह-मशविरा किए आगे बढ़ा सकेगा। यानी दोनों देशों के बीच सूचना का प्रवाह रुक जाएगा। इस संधि ने पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों पर भारतीय जलविद्युत परियोजनाओं के डिजाइन को चिह्नित करने का अधिकार दिया था।
@. पाकिस्तानी आयुक्त को जम्मू-कश्मीर में प्रवेश नहीं
पाकिस्तान के सिंधु जल आयुक्त अब भारतीय क्षेत्रों का निरीक्षण नहीं कर सकेंगे,जिससे उन्हें भारतीय परियोजनाओं की जानकारी नहीं मिलेगी। इससे पहले पाकिस्तान के आयुक्त पश्चिमी नदियों और भारतीय जलविद्युत परियोजनाओं की स्थिति या रिपोर्ट लेने के लिए जम्मू-कश्मीर का दौरा करते आ रहे थे।
@ वार्षिक रिपोर्ट का प्रकाशन नहीं
अब स्थायी सिंधु आयोग कोई रिपोर्ट प्रकाशित नहीं करेगा,जिससे पाकिस्तान की सिंचाई और कृषि योजनाएं प्रभावित होंगी। सिंधु जल संधि के अनुसार, स्थायी सिंधु आयोग सिंधु प्रणाली के बंटवारे का प्रबंधन करने के लिए द्विपक्षीय निकाय है। इसे नदियों के साझा उपयोग पर वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित करनी होती है लेकिन भारत द्वारा समझौते को सस्पेंड किए जाने के कारण वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित नहीं की जाएगी,जिससे पाकिस्तान की सिंचाई और कृषि प्रणालियों के लिए जोखिम पैदा होगा।
