
रोज-रोज देर से आ कर सोने भी नहीं देता। अब शादी कर ले, फिर तेरी घरवाली ही दरवाजा खोलेगी।आधी रात का गहरा सन्नाटा,दूर कहीं थोड़ी-थोड़ी देर में कुत्तों के भूंकने की आवाजें उस सन्नाटे को चीर रही थीं। ऐसे में भी सभी लोग नींद के आगोश में बेसुध सो रहे थे। अगर कोई जाग रहा था, तो वह शीला थी. उसे चाह कर भी नींद नहीं आ रही थी। पास में ही रवि सो रहे थे।
शीला को रह-रह कर रवि पर गुस्सा आ रहा था। वह जाग रही थी, मगर वे चादर तान कर सो रहे थे। रवि के साथ शीला की शादी के15 साल गुजर गए थे। वह एक बेटे और एक बेटी की मां बन चुकी थी। शादी के शुरुआती दिन भी क्या दिन थे। वे सर्द रातों में एक ही रजाई में एक-दूसरे से चिपक कर सोते थे। न किसी का डर था,न कोई कहने वाला। सच,उस समय तो नौजवान दिलों में खिंचाव हुआ करता था। शीला ने तब रवि के बारे में सुना था कि जब वे कुंआरे थे,तब आधी-आधी रात तक दोस्तों के साथ गपशप किया करते थे। तब रवि की मां हर रोज दरवाजा खोल कर डांटते हुए कहती थीं,रोज-रोज देर से आ कर सोने भी नहीं देता। अब शादी कर ले, फिर तेरी घरवाली ही दरवाजा खोलेगी। रवि जवाब देने के बजाय हंस कर मां को चिढ़ाया करते थे। जैसे ही रवि के साथ शीला की शादी हुई,दोस्तों से दोस्ती टूट गई। जैसे ही रात होती, रवि चले आते उस के पास और उस के शरीर के गुलाम बन जाते। भंवरे की तरह उस पर टूट पड़ते। उन दिनों वह भी तो फूल थी। मगर शादी के सालभर बाद जब बेटा हो गया,तब खिंचाव कम जरूर पड़ गया।
धीरे-धीरे शरीर का यह खिंचाव खत्म तो नहीं हुआ,मगर मन में एक अजीब सा डर समाया रहता था कि कहीं पास सोए बच्चे जाग न जाएं। बच्चे जब बड़े हो गए, तब वे अपनी दादी के पास सोने लगे। अब भी बच्चे दादी के पास ही सो रहे हैं,फिर भी रवि का शीला के प्रति वह खिंचाव नहीं रहा,जो पहले हुआ करता था। माना कि रवि उम्र के ढलते पायदान पर है,लेकिन आदमी की उम्र जब 40 साल की हो जाती है, तो वह बूढ़ा तो नहीं कहलाता है। बिस्तर पर पड़े-पड़े शीला सोच रही थी,इस रात में हम दोनों के बीच में कोई भी तो नहीं है, फिर भी इन की तरफ से हलचल क्यों नहीं होती है? मैं बिस्तर पर लेटी-लेटी छटपटा रही हूं,मगर ये जनाब तो मेरी इच्छा को समझ ही नहीं पा रहे हैं।
‘उन दिनों जब मेरी इच्छा नहीं होती थी, तब ये जबरदस्ती किया करते थे। आज तो हम पति-पत्नी के बीच कोई दीवार नहीं है, फिर भी क्यों नहीं पास आते हैं?’
कैसी दूरियां शीला ने सुन ही नहीं रखा है, बल्कि ऐसे भी तमाम उदाहरण देखे हैं कि जिस आदमी से औरत की ख्वाहिश पूरी नहीं होती है, तब वह औरत दूसरे मर्द के ऊपर डोरे डालती है और अपने खूबसूरत अंगों से उन्हें पिघला देती है। फिर रवि के भीतर का मर्द क्यों मर गया है?
मगर शीला भी उन के पास जाने की हिम्मत क्यों नहीं कर पा रही है? वह क्यों उन की चादर में घुस नहीं जाती है? उन के बीच ऐसा कौन सा परदा है, जिस के पार वह नहीं जा सकती है?
तभी शीला ने कुछ ठाना और वह रवि की चादर में जबरदस्ती घुस गई। थोड़ी देर में उसे गरमाहट जरूर आ गई, मगर रवि अभी भी बेफिक्र हो कर सो रहे थे। वे इतनी गहरी नींद में हैं कि कोई चिंता ही नहीं। शीला ने धीरे से रवि को हिलाया। अधकचरी नींद में रवि बोले,‘‘शीला, प्लीज सोने दो। मुझे नींद नहीं आ रही है, शीला शिकायत करते हुए बोली.‘‘मुझे तो सोने दो। तुम सोने की कोशिश करो। नींद आ जाएगी तुम्हें,रवि नींद में ही बड़बड़ाते हुए बोले और करवट बदल कर फिर सो गए।
शीला ने उन्हें जगाने की कोशिश की,मगर वे नहीं जागे। फिर शीला गुस्से में अपनी चादर में आ कर लेट गई,मगर नींद उस की आंखों से कोसों दूर जा चुकी थी। सुबह जब सूरज ऊपर चढ़ चुका था, तब तक शीला सो कर नहीं उठी थी। उस की सास भी घबरा गईं. सब से ज्यादा घबराए रवि। मां रवि के पास आ कर बोलीं, ‘‘देख रवि,बहू अभी तक सो कर नहीं उठी। कहीं उस की तबीयत तो खराब नहीं हो गई? रवि बैडरूम की तरफ लपके। देखा कि शीला बेसुध सो रही थी। वे उसे झकझोरते हुए बोले,शीला उठो। सोने दो न, क्यों परेशान करते हो?’’ शीला नींद में ही बड़बड़ाई।
रवि को गुस्सा आ गया और उन्होंने पानी का एक गिलास भर कर उस के मुंह पर डाल दिया.शीला घबराते हुए उठी और गुस्से से बोली, सोने क्यों नहीं दिया मुझे? रातभर नींद नहीं आई. सुबह होते ही नींद आई और आप ने उठा दिया।‘देखो कितनी सुबह हो गई? रवि चिल्ला कर बोले, तब आंखें मसल कर उठते हुए शीला बोली, ‘‘खुद तो ऐसे सोते हो कि रात को उठाया तो भी न उठे और मुझे उठा दिया, इतना कह कर वह बाथरूम में घुस गई। यह एक रात की बात नहीं थी। तकरीबन हर रात की बात थी मगर रवि में पहले जैसा खिंचाव क्यों नहीं रहा? या उस से उन का मन भर गया? ऐसा सुना भी है कि जिस मर्द का अपनी औरत से मन भर जाता है, फिर उस का खिंचाव दूसरी तरफ हो जाता है. कहीं रवि भी नहीं उन के रवि ऐसे नहीं हैं।
सुना है कि महल्ले के ही जमना प्रसाद की पत्नी माधुरी का चक्कर उन के ही पड़ोसी अरुण के साथ चल रहा है। यह बात पूरे महल्ले में फैल चुकी थी। जमना प्रसाद को भी पता थी,मगर वे चुप रहा करते थे.रात का सन्नाटा पसर चुका था। रवि और शीला बिस्तर में थे। उन्होंने चादर ओढ़ रखी थी.रवि बोले, ‘‘आज मुझे थोड़ी ठंड सी लग रही है।’’‘‘मगर, इस ठंड में भी आप तो घोड़े बेच कर सोते रहते हो, मैं कितनी बार आप को जगाती हूं,फिर भी कहां जागते हो. ऐसे में कोई चोर भी घुस जाए तो पता नहीं चले. इतनी गहरी नींद क्यों आती है आप को?’’‘‘अब बुढ़ापा आ रहा है शीला.’’
‘‘बुढ़ापा आ रहा है या मुझ से अब आप का मन भर गया है?’’
‘‘कैसी बात करती हो?’’
‘‘ठीक कहती हूं। आजकल आपको न जाने क्या हो गया,’’ यह कहते हुए शीला की आंखों में वासना दिख रही थी। रवि जवाब न दे कर शीला का मुंह ताकते रहे.शीला बोली,‘‘ऐसे क्या देख रहे हो? कभी देखा नहीं है क्या?’’‘‘अरे,जब से शादी हुई है,तब से देख रहा हूं। मगर आज मेरी शीला कुछ अलग ही दिख रही है,’’ शरारत करते हुए रवि बोले.‘‘कैसी दिख रही हूं? मैं तो वैसी ही हूं, जैसी तुम ब्याह कर लाए थे,’’कह कर शीला ने ब्लाउज के बटन खोल दिए, ‘‘हां, आप अब वैसे नहीं रहे, जैसे पहले थे.’’‘‘क्यों भला मुझ में बदलाव कैसे आ गया?’’ अचरज से रवि बोले.‘‘मेरा इशारा अब भी नहीं समझ रहे हो. कहीं ऐसा न हो कि मैं भी जमना प्रसाद की पत्नी माधुरी बन जाऊं.’’‘‘अरे शीला,जमना प्रसाद तो ढीले हैं, मगर मैं नहीं हूं,’’ कह कर रवि ने शीला को अपनी बांहों में भर कर उस के कई चुंबन ले लिए।
विजय गर्ग
चांद मलोट
पंजाब