- प्रथम नगर पंचायत पटना के 15 पार्षदों ने भी ली पद और गोपनीयता की शपथ
- गायत्री सिंह सहित 15 पार्षद प्रथम नगर पंचायत पटना के इतिहास के पन्नों में हुए दर्ज
- शपथ ग्रहण के दौरान ही दो निर्दलीय जीतकर आए पार्षद हुए भाजपा में शामिल
- क्या कांग्रेस से उपाध्यक्ष चुनाव मामले में एक कदम ही पीछे है भाजपा,उपाध्यक्ष चुनाव होगा का काफी रोचक?

कोरिया/पटना,07 मार्च 2025 (घटती-घटना)। कोरिया जिले के नवगठित नगर पंचायत पटना के पहले शपथ ग्रहण कार्यक्रम में प्रथम निर्वाचित हुई नगर पंचायत अध्यक्ष गायत्री सिंह ने शपथ लेकर अपना नाम नगर पंचायत के इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज कर लिया है, 15 जनवरी गायत्री सिंह के लिए काफी महत्वपूर्ण दिन साबित हुआ जब उनके अध्यक्ष पद का परिणाम आया था जब वह निर्वाचित होकर प्रथम नगर पंचायत पटना अध्यक्ष बनी,जिसका शपथ ग्रहण कोरिया जिले के प्रभारी मंत्री, जिलाध्यक्ष व स्थानीय विधायक के समक्ष 6 जनवरी को संपन्न हुआ, जहां पर उनके साथ 15 पार्षदों ने भी शपथ लिया,यह 15 पार्षद भी नगर पंचायत पटना के प्रथम पार्षद कहलाएंगे। शपथ ग्रहण समारोह में जहां भाजपा के पार्षदों ने एक साथ शपथ लिया तो वहीं कांग्रेस के पार्षदों ने अलग से शपथ लेकर खुद को अलग साबित किया और सभी के मंच से उतरने के बाद शपथ ग्रहण किया। वही दो निर्दलीय पार्षद भी भाजपा में शामिल हुए ऐसे में अब भाजपा कांग्रेस के बीच सिर्फ एक पार्षद का अंतर है जो उपाध्यक्ष के चुनाव को रोमांचक बनाएगा।
भाजपा जहां अब 7 पार्षदों के साथ उपाध्यक्ष चुनाव में उतरेगी वहीं कांग्रेस 8 पार्षदों के साथ चुनाव में उतरेगी। वैसे कांग्रेस और भाजपा में से उपाध्यक्ष कांग्रेस का बनना तय नजर आ रहा है और यह भी तय नजर आ रहा है कि नगर पंचायत पटना में ग्राम पंचायत वाली पिछली जोड़ी ही नजर आएगी जहां पूर्व सरपंच अध्यक्ष होगी और पूर्व उप सरपंच ही उपाध्यक्ष होंगे। अब देखना है कि दैनिक घटती घटना की इस खबर पर मुहर लगती है या फिर कोई नया नाम उपाध्यक्ष के लिए सामने लाती है कांग्रेस। वैसे आम चर्चा में सभी पूर्व उप सरपंच को ही उपाध्यक्ष बनते देखना चाहते हैं जिससे अत्यधिक गतिरोध की जगह विकास कार्य को गति मिलती रहे जो पहले होता रहा है ।वैसे कांग्रेस के ही अंदर कुछ पार्षद यह माहौल बना रहे हैं कि आदिवासी समुदाय से अध्यक्ष निर्वाचित हुआ है इसलिए उपाध्यक्ष कांग्रेस किसी अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय या सामान्य वर्ग से बनाए खैर यह कांग्रेस का आंतरिक निर्णय है और कांग्रेस को ही निर्णय लेना है वहीं यह निर्णय पटना क्षेत्र के ही कांग्रेस नेता लेंगे पूर्व विधायक या अन्य का हस्तक्षेप इसमें नहीं होने की संभावना है। पूर्व उप सरपंच जो पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष के भतीजे भी हैं को लेकर ही सबसे ज्यादा चर्चा है और उनके ही उपाध्यक्ष बनने की संभावना ज्यादा बताई जा रही है। अब देखना है अंतिम रूप से क्या निर्णय कांग्रेस लेती है। कांग्रेस के 8 पार्षदों में से सभी की इक्षा नहीं है उपाध्यक्ष बनने की लेकिन एक दो की मंशा है इस संबद्ध में और वह लगे हुए हैं। भाजपा में शामिल हुए दो पार्षदों में से एक तो भाजपा के ही कार्यकर्ता रहे हैं लेकिन एक अन्य को कांग्रेस खुद के खेमे में शामिल नहीं कर पाई जो कहीं न कहीं कांग्रेस पार्टी से ही संबद्ध रखते थे यह कांग्रेस की बड़ी भूल नजर आई। अब उपाध्यक्ष कौन होगा इसपर सभी की नजर है।