50 रुपये लेकर मुंबई आया था राजेन्द्र कुमार

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मनोरंजन जगत में स्टारडम तो कई लोग हासिल कर लेते हैं, लेकिन इसे संभालना किसी टेढ़ी खीर से कम नहीं है। बस एक चूक किसी भी अभिनेता के पतन का कारण बन सकती है। कई अभिनेता ऐसे रहे जो सुपरस्टार बन गए और बाद में गुमनामी के अंधेरे में खो गए। ऐसा ही एक अभिनेता जिसने लगातार 7 ब्लॉकबस्टर फिल्में दीं और जुबली स्टार बन गया, लेकिन अचानक ही हालात ऐसे बदले कि दिवालिया हो गया। हम जिस अभिनेता के बारे में बात कर रहे हैं, वह विभाजन के समय जेब में मात्र 50 रुपए लेकर भारत आए थे और दर्शकों के दिलों में अपनी जगह बनाई। हालांकि, उनका स्टारडम ज्यादा दिनों तक नहीं चला और जल्द ही उन्हें दिवालिया होने के बाद अपना बंगला मामुली दामों में बेचना पड़ा। ये एक्टर कोई और नहीं बल्कि राजेंद्र कुमार हैं।राजेंद्र कुमार को बॉलीवुड के सबसे सफल अभिनेताओं में से एक माना जाता है। साल 1949 में अपने करियर की शुरुआत करते हुए, उन्होंने चार दशकों से अधिक के करियर में 80 से अधिक फिल्मों में काम किया। 1960 के दशक में उन्हें जुबली कुमार के नाम से जाना जाता था। इसकी वजह उनकी बैक टू बैक कई ब्लॉकबस्टर फिल्में रहीं। राजेंद्र कुमार ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत के सियालकोट में रहते थे। हालांकि विभाजन के दौरान उनके परिवार को अपनी सारी पुश्तैनी संपत्ति छोडक़र भारत आना पड़ा। जब राजेंद्र कुमार को अभिनय की दुनिया में कदम रखने का मौका मिला तो उनके पास केवल 50 रुपये थे, जो उन्होंने अपने पिता की घड़ी बेचकर खरीदे थे। उनके पास ट्रेन की टिकट खरीदने के लिए भी पैसे नहीं थे और वे किराए पर ट्रेंच लेकर गेस्ट हाउस में रहते थे। उन्होंने पतंगा और जोगन जैसी फिल्मों में छोटी भूमिकाओं के साथ अपने करियर की शुरुआत की। फिल्म वचन ने उन्हें पहचान दिलाई। इसके बाद महबूब खान की महाकाव्य ड्रामा फिल्म मदर इंडिया आई, जो बॉक्स ऑफिस पर भी बड़ी हिट रही। इसके बाद उन्होंने लगातार सात ब्लॉकबस्टर फिल्में दीं और 1960 के दशक तक वे सुपरस्टार बन गए। 1960 के बाद से लगातार हिट फिल्मों और कम से कम 25 सप्ताह (सिल्वर जुबली) तक चलने वाली उनकी कई फिल्मों के साथ राजेंद्र कुमार ने जुबली कुमार की उपाधि अर्जित की। उनकी कुछ ब्लॉकबस्टर फिल्मों में मुगल-ए-आज़म, आई मिलन की बेला, मेरे महबूब, आस का पंछी, घराना और कई फिल्में शामिल हैं। वैसे उनका स्टारडम ज्यादा दिनों तक नहीं रहा। मजदूर ज़िंदाबाद को खराब क्रिटिक्स रेटिंग तो मिली ही, इसके साथ ही फिल्म बॉक्स ऑफिस पर भी विफल रही। उन्होंने डाकू और महात्मा, शिरडी के साईं बाबा, सोने का दिल लोहे के हाथ, आहुति, साजन बिना सुहागन और बिन फेरे हम तेरे जैसी फिल्मों में अभिनय किया, जिनमें से सभी ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन किया।एक समय ऐसा भी था जब अभिनेता दिवालिया हो गए और उन्हें अपना बंगला राजेश खन्ना को बेचना पड़ा।


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