अम्बिकापुर @ कलम बंद का तीसवां दिन @ खुला पत्र @साय सरकार आलोचना बर्दाश्त करने वाली सरकार नहीं?

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अंबिकापुर,29 जुलाई 2024 (घटती-घटना)। क्या प्रदेश की साय सरकार आलोचना बर्दाश्त कर पाने में असमर्थ साबित हो चुकी सरकार है…क्या साय सरकार उन आलोचनाओं को भी बर्दाश्त कर पाने में असमर्थ साबित होती सरकार है…जो भ्रष्टाचार से जुड़े विषय या आलोचना हैं…। सरगुजा अंचल से प्रकाशित दैनिक घटती-घटना समाचार-पत्र ने तो केवल सत्य का ही प्रकाशन किया था उसमें केवल यह ही विषय प्रकाशित थे कि क्या प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री के ओएसडी राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी की नौकरी जो दिव्यांग प्रमाण-पत्र के आधार पर पाई गई नौकरी है पर कार्यवाही होगी जिसकी मांग खुद दिव्यांग संघ कर रहा है। नामजद वह आवेदन प्रस्तुत कर रहा है। वहीं क्या स्वास्थ्य मंत्री के तथाकथित भतीजे के मामले में जो की कोरिया जिले से भ्रष्टाचार कर वहीं जिसकी योग्यता फर्जी है जिसके आधार पर वह स्वास्थ्य विभाग में सूरजपुर जिले में डीपीएम बना हुआ है उसके भ्रष्टाचार की जांच होगी। कोरिया जिले के कार्यकाल की उसकी योग्यता की जांच होगी। मामले में ही केवल प्रश्न उठा रहा था वहीं इन्हीं दो प्रश्नों से साय सरकार पहले इतनी आहत हुई कि उसने दैनिक घटती-घटना का शासकीय विज्ञापन ही बंद करा दिया। वहीं जब दैनिक घटती-घटना ने इसका विरोध किया और कलम बंद कर विज्ञापन बंद करने का विरोध किया तो सरकार इतनी व्याकुल हो गई असहिष्णु हो गई और केवल एक समाचार-पत्र को नेस्तनाबूत करने के लिए उसने पूर्व की कांग्रेस सरकार के समय के एक कानून को ही बदल दिया और जिसके बाद मानवता को शर्मशार करने वाला एक निर्णय लिया और ऐसे समय में दैनिक घटती-घटना के प्रेस कार्यालय सहित अन्य प्रतिष्ठानों को जमींदोज कर दिया जब संपादक के साथ पितृशोक का समय चल रहा था।
सवाल तो उठेंगे… भले ही सत्ता से जुड़े लोग कोई दलील दें…क्या दैनिक घटती-घटना के संपादक के विरुद्ध उनके प्रतिष्ठानों के विरुद्ध की गई कार्यवाही वह भी हड़बड़ाहट में की गई कार्यवाही को न्यायसंगत खुद कह पाएंगे सरकार के नुमाइंदे… क्या यह उचित था…कि जब कोई पुत्र पितृशोक काल में हो और वह अंतिम संस्कार के लिए तैयारियों में हो हिंदू मान्यताओं अनुसार पिता के मृत आत्मा की शांति हेतु प्रयासरत हो…उसके साथ ऐसी घटना कारित की जाए जिसमे उसके आशियाने को ही उजाड़ दिया जाए… वैसे बरसात में चिडि़यों के घोंसले भी लोग नहीं तोड़ते लेकिन साय सरकार ने अपनी फजीहत रोकने अपनी भ्रष्ट नीति और भ्रष्टाचारियों को बचाने की नीति के कारण ऐसा निर्णय लिया जिसमे उसने बरसात के समय भोर में ही एक आशियाना उजाड़ दिया। वैसे सरकार और उसके नुमाइंदे इस प्रयास में भी लगे रहे कि कोई एक भी विरोध हो जाए एक आवाज उठ जाए विरोध का जिससे वह आसानी से पितृशोक में शोकग्रस्त समाचार-पत्र के संपादक को जो छुरी लोटा लेकर फिलहाल बैठा है उसे उठाकर जेल में भी डाला जा सके। आत्मा शांति के कार्यक्रम में संपादक के पिता के विध्न जिससे डाला जा सके। वह तो संपादक का धैर्य देखने को मिला और उन्होंने प्रशासन को इसका मौका नहीं दिया वरना सरकार और प्रशासन की तैयारी तो यह थी कि वह शोकाकुल संपादक के परिवार के हर सदस्य को कारावास की सजा दे डाले जो देखने को मिला जिस तैयारी से प्रशासन पहुंचा था।वैसे शासन-प्रशासन की कार्यवाही निःसंदेह द्वेषपूर्ण कार्यवाही रही। वहीं इस कार्यवाही से यह भी तय हो गया कि सरगुजा संभाग का मुख्यमंत्री सरगुजा की आवाज को बुलंद नहीं होने देगा वह ऐसी आवाज को कुचल देगा जो विरोध में या आलोचना में बातें करेगी।


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