दुर्ग, 07 अगस्त 2022। आनद समवशरण मै आज श्रमण सध के युवाचार्य महेद्र ऋषि जी का प्रवचन आज मित्रता दिवस पर केद्रित था जय आनद मधुकर रतन भवन की धर्म सभा को सबोधित करते हुए युवाचार्य ने कहा किसी के चेहरे पर मुस्कुराहट लाना प्रेम लाना यह बहुत बड़ा कार्य है जब मनुष्य अपने आप को और सहज असहाय मानसिक रूप से थका हुआ महसूस करता है ऐसे समय मे एक मित्र ही उसे सबल देता है.
जहा प्रेम और विश्वास लबालब भरा होता है वहा मैत्री बहुत लबे समय तक टिकती है. पुराने समय मे आपस मे मिलकर मिलने वाली खुशी को आज के तत्र ने मनुष्य को आपस मे एक दूसरे से दूर कर दिया है जो प्रेम जो सोहद्र जो भाईचारा पूर्व मे देखने को मिलता था अब इस वातावरण मे इसकी कमी सी हो गई कृष्णा और सुदामा की मित्रता मानवता की एक मिसाल है मित्रता आज एक ऐसी ताकत है जहा सामने वाले के गीतकार हित का ध्यान रखा जाता है जहा विश्वास है वही मित्रता है मित्र सूर्य की तरह प्रकाश देने वाला होना चाहिए युवाचार्य श्री ने आगे कहा मित्र तीन प्रकार के होते है थाली मित्र प्याली मित्र और कल्याण मित्र थाली मित्र हमेशा आपकी हा मे हा मिलाकर आपके साथ रहता है उसकी मित्रता सिर्फ खिलाने लाने पिलानी तक ही रहती है एक मित्र चार्ली मित्र होता है प्याली मित्र होता है जो आपको व्यसन की ओर जाने के लिए प्रेरित करता है मास मदिरा शराब की लत की ओर ढकेलता है.
कल्याण मित्र हमेशा जीवन मे ढाल की तरह हमारे आगे खड़े रहता है हर सुख दुख मे आपका हितैषी बनकर मार्गदर्शन बन कर आपका सहयोग करता है और आपको सद्गति की ओर ले जाने का कार्य करता है. लेखा सचेती ने मास क्षमण की तपस्या पूर्ण की.
पूर्णाहुति पर परिवार के सदस्यो ने तपस्या की भेट चढ़ाई
श्रमण सघ दुर्ग के आधार स्तभ पारसमल सचेती परिवार की पोत्र वधू श्रीमती लेखा सचेती ने आज महाश्रमण का अतिम सकल्प युवाचार्य भगवत श्री महेद्र ऋषि के मुखारविद से ग्रहण किया आज इनके परिवार के सदस्यो ने उनका अभिनदन करने के लिए तपस्या की भेट चढ़ाई
लेखा सचेती के
पति अरिहत सचेती 9 उपवास
ससुर श्री राजेद्र सचेती 11 उपवास
सास सध्या सचेती 11 उपवास
जेठ अकित सचेती 11 उपवास
बहन निकिता सिघवी 11 उपवास
दामाद सिद्धात सिघवी 11 उपवास मासी हर्षा जैन वर्षा कवाड़ 11 उपवास
मामा आशीष ललवानी11
मामा ससुर प्रकाश चद दुग्गड ने 1 वर्ष तक एकातर 182 उपवास करने का युवाचार्य भगवत के सानिध्य मे सकल्प लिया
इस तरह परिवार के सभी सदस्यो ने मिलकर 290 उपवास करने का सकल्प लिया जिसकी जैन समाज मे बड़ी प्रशसा हो रही है।
