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नई दिल्ली@सेना प्रमुख द्विवेदी ने समकालीन युद्धक्षेत्रों में प्रौद्योगिकी की उभरती भूमिका पर प्रकाश डाला

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नई दिल्ली,12 नवम्बर 2025। दिल्ली डिफेंस डायलॉग में बुधवार को दूसरे दिन सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने आधुनिक युद्ध के लिए एआई, रोबोटिक्स और साइबर उपकरणों के उपयोग का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ‘सिक्योर आर्मी मोबाइल’ का इस्तेमाल किया गया था। अब हम दूसरे चरण की ओर बढ़ रहे हैं, जो कहीं अधिक उन्नत संस्करण होगा। मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान (एमपी-आईडीएसए) में दिल्ली रक्षा वार्ता को संबोधित करते हुए सीओएएस जनरल द्विवेदी ने समकालीन युद्धक्षेत्रों पर प्रौद्योगिकी की उभरती भूमिका पर प्रकाश डालते हुए यूक्रेन-रूस संघर्ष में ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के उपयोग को इसका जीवंत उदाहरण बताया। सीओएएस ने कहा कि जहां तक भविष्य के युद्धक्षेत्र का संबंध है, तो यह धक्का-मुक्की और प्रतिस्पर्धा का युग है। लंबी दूरी के युद्ध कम हो रहे हैं और व्यापक संघर्ष बढ़ रहे हैं। इसका मतलब है कि तकनीक का प्रभाव कम हो रहा है। उन्होंने कहा कि 50 से अधिक चल रहे संघर्षों और 100 से अधिक देशों में हम यूक्रेनी युद्धक्षेत्र पर कड़ी नजर रख रहे हैं। सेना प्रमुख ने युद्ध के ग्रे जोन में एआई, रोबोटिक्स और साइबर उपकरणों के उपयोग का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि मैं तीन डी बताऊंगा, जो आज युद्ध परिदृश्य को बदल रहे हैं। भारत के संदर्भ में उन्होंने कहा कि ढाई मोर्चों की चुनौतियों के कारण हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि जो भी तकनीक आ रही है, वह युद्ध की पांच पीढि़यों के भीतर खाई से लेकर हाइब्रिड और पांचवीं पीढ़ी के युद्ध तक खुद को समायोजित कर ले। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना मानव केंद्रित तकनीक पर विचार कर रही है और पीढ़ी-7 की तकनीक पर भी विचार कर रही है, जिसमें उस पीढ़ी के मोबाइल और कंप्यूटर, वीडियो गेम कंसोल और माइक्रोचिप्स के लिए 7 नैनोमिलियन तकनीक शामिल हैं। ‘रक्षा क्षमता विकास के लिए नए युग की तकनीक का उपयोग’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम के आखिरी दिन जनरल द्विवेदी ने कहा कि युद्ध और युद्ध में जीत मूल रूप से रणनीति पर निर्भर करती है। यदि आप अतीत को देखें, तो रणनीति काफी हद तक भूगोल से ली गई थी, लेकिन धीरे-धीरे तकनीक का तत्व भूगोल पर हावी हो रहा है और उसे पीछे छोड़ रहा है। ऑपरेशन सिंदूर में ओपन सोर्स विश्लेषण और पूर्वानुमान विश्लेषण ने हमारी मदद की, जिससे हम बहुत सशक्त हुए और कई सबक सीखे हैं।

इसलिए चाहे वह सिंदूर 2.0 हो या उसके बाद कोई और लड़ाई हम इस पहल का लाभ उठाने के तरीके पर बड़े पैमाने पर विचार कर रहे हैं। डीआरडीओ प्रमुख समीर वी. कामत ने कहा कि उद्योग जगत में अत्याधुनिक अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) के वित्तपोषण की चुनौतियों में से एक यह थी कि विफलता के लिए कौन जवाबदेह होगा। अमेरिका में विफलता होने पर उन्हें सीनेट को यह जवाब देने की जरूरत नहीं होती कि इससे करदाताओं को नुकसान क्यों हुआ। भारत में हमारे पास ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। अगर हमारी परियोजनाएं विफल होती हैं, तो हमें सीएजी और संसद को जवाब देना होगा कि सरकार को नुकसान क्यों हुआ, लेकिन अनुसंधान एवं विकास को एक निवेश के रूप में देखा जाना चाहिए, न कि एक व्यय के रूप में। अगर कोई परियोजना विफल भी हो जाती है, तो उस अनुसंधान एवं विकास से जो सबक आप सीखते हैं, उसका उपयोग कई अन्य जगहों पर किया जा सकता है।


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