दो साल से विस्फोटक जमा कर रही थी लेडी टेररिस्ट,पीएम मोदी अस्पताल में घायलों से मिले
फरीदाबाद,12 नवम्बर 2025। दिल्ली में ब्लास्ट और फरीदाबाद में मिले 2900 किलो विस्फोटक के तार आपस में जुड़ रहे हैं। दोनों में एक ही बात कॉमन है,वह है फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी। इस यूनिवर्सिटी के डॉक्टर मुजम्मिल को विस्फोटक जमा करने को लेकर गिरफ्तार किया गया है। जबकि,यहां पढ़ाने वाले मोहम्मद उमर नबी ने आई-20 कार में विस्फोटक के साथ खुद को उड़ा लिया। अब जम्मू-कश्मीर पुलिस ने मौलवी इश्तियाक को गिरफ्तार किया है। उसे पूछताछ के लिए श्रीनगर ले जाया गया है। मौलवी इश्तियाक वही व्यक्ति है, जिसने अल-फलाह यूनिवर्सिटी के डॉ. मुजम्मिल शकील को अपना फतेहपुर तगा गांव वाला मकान किराए पर दिया था। 9 नवंबर को इसी घर से पुलिस ने 2563 किलो अमोनियम नाइट्रेट बरामद कर डॉ. मुजम्मिल को गिरफ्तार किया था। इश्तियाक मूल रूप से नूंह जिले के सिंगार गांव का रहने वाला है। 10 साल से वह परिवार के साथ फतेहपुर तगा गांव में रह रहा है और यहीं मस्जिद में इमाम है। सूत्रों के मुताबिक गिरफ्तारी से पहले वह 15 दिन की छुट्टी लेकर जम्मू-कश्मीर के पुलवामा गया था। वहां उसने अपने संपर्कों से मुलाकात की और बड़ी मात्रा में विस्फोटक सामग्री एकत्रित की। वहां से आने के बाद वह फतेहपुर तगा में इश्तियाक के घर रुका था। दिल्ली धमाका करने वाले आतंकियों का ग्रुप फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी से संचालित हो रहा था। सूत्रों के मुताबिक धमाकों की साजिश जनवरी से की जा रही थी। फरीदाबाद से गिरफ्तार डॉ. शाहीन शाहिद ने बताया कि वह पिछले दो साल से विस्फोटक जमा कर रही थी। शाहीन और उसके साथियों को मिलाकर एक व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल बनाया गया था। यानी इसमें पेशेवर लोगों को शामिल किया गया था। इसमें शामिल आतंकी जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवत-उल-हिंद नाम के संगठनों जुड़े थे।
तेहपुर तगा में गली वाले गेट से सामान रखता था मुजम्मिल : डॉ. मुजम्मिल ने फरीदाबाद के फतेहपुर तगा में जिस मकान को किराए पर लिया था, वहां एक अन्य परिवार भी किराए पर रहता है। किराए पर रहने वाले जाबिद की मां ने बताया कि मुजम्मिल जिस जगह पर रहता था, वहां दो दरवाजे थे। बाहरी दरवाजे का उपयोग वह मकान के अंदर सामान रखने के लिए करता था। लगभग 20 दिन पहले, जब मुजम्मिल कमरे में सामान रखने आया तो उन्होंने सामग्री के बारे में पूछा। उसने जवाब दिया कि ये खाद के कट्टे हैं और उसके बाद वह वहां से चला गया।
जैश सरगना मसूद अजहर की बहन के संपर्क में थी डॉ. शाहीन
जैश के वाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल की सबसे अहम कड़ी डॉ. शाहीन सईद को माना जा रहा है। वह जैश सरगना मौलाना मसूद अजहर की बहन सादिया अजहर के सीधे संपर्क में थी और आतंकी संगठन की महिला विंग जमात उल मोमिनात से जुड़ी थी। इस विंग को सादिया ने ऑपरेशन सिंदूर में अपने पति की मौत का बदला लेने के लिए अक्टूबर 2025 में बनाया था। जम्मू-कश्मीर पुलिस डॉ. शाहीन को फरीदाबाद की अलफलाह यूनिवर्सिटी से गिरफ्तार करके श्रीनगर ले गई। वहीं उसकी कानूनन गिरफ्तारी हुई।
शाहीन के साथ आता था मुजम्मिल गर्लफ्रेंड को भी लाता था…
अल फलाह यूनिवर्सिटी से लगभग 300 मीटर दूर धौज गांव में जिस घर में डॉ. मुजम्मिल रहता था, वहां के एक युवक ने बताया कि मुजम्मिल को अक्सर अपनी गर्लफ्रेंड डॉ. शाहीन सईद के साथ देखा जाता था। वे दोनों हाथ पकड़कर अपने कमरे की ओर जाते थे। मुजम्मिल कभी अपनी गर्लफ्रेंड को बाइक पर लाता था, तो कभी कार में। लगभग एक महीने पहले आखिरी बार दोनों को कमरे पर आते हुए देखा गया था। आरोपी डॉक्टर मुजम्मिल के मोबाइल डेटा से पता चला है कि, मुजम्मिल ने इस साल जनवरी में लाल किला इलाके की रेकी की थी। एक पुलिस अधिकारी के हवाले से बताया कि ये रेकी 26 जनवरी को लाल किले को निशाना बनाने की एक बड़ी साजिश का हिस्सा थी। लेकिन उस समय इलाके में छानबीन के दौरान उनकी प्लानिंग फेल हो गई थी।
प्रधानमंत्री घायलों को देखने अस्पताल पहुंचे…
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार दोपहर भूटान से लौटे। वे एयरपोर्ट से सीधे अस्पताल पहुंचे। यहां उन्होंने दिल्ली ब्लास्ट के घायलों के इलाज का जायजा लिया और डॉक्टरों से भी बात की। प्रधानमंत्री ने कहा कि साजिश को अंजाम देने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
देशभर में रेलवे स्टेशन,मॉल में धमाकों की साजिश थी…
दिल्ली ब्लास्ट को अंजाम देने वाले आतंकियों ने देशभर में 200 बम से 26/11 जैसे हमले करने की साजिश रची थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दिल्ली के लाल किला, इंडिया गेट, कॉन्सि्टट्यूशन क्लब और गौरी शंकर मंदिर जैसी जगह धमाके किए जाने थे। आतंकियों के टारगेट पर गुरुग्राम और फरीदाबाद के साथ देशभर के रेलवे स्टेशनों और बड़े मॉल्स भी थे। जांच एजेंसियों का कहना है कि वे धार्मिक स्थलों पर हमला कर देश में सांप्रदायिक तनाव फैलाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने कश्मीर के पुलवामा, शोपियां और अनंतनाग के डॉक्टरों को चुना, ताकि वे बिना रोकटोक कहीं भी जा सकें।
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