Breaking News

बलरामपुर@पुलिस हिरासत में युवक की मौत के बाद बलरामपुर में तनाव

Share


पुलिस हिरासत में क्यों हो रही मौत? छत्तीसगढ़ पुलिस की बर्बरता क्यों नहीं खत्म हो रही?

  • बलरामपुर जिले में पुलिस अधीक्षक में दूसरी मौत व संभाग में तीसरी मौत
  • परिजनों ने लगाया पिटाई का आरोप,शव लेने से किया इनकार …प्रशासन ने मजिस्टि्रयल जांच का दिया आदेश…
  • पुलिस अभिरक्षा में मौत के बढ़ते मामले सवालों के घेरे में…
  • सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद भी नहीं थम रही कस्टडी डेथ की घटनाएँ


-न्यूज डेस्क-
बलरामपुर 10 नवम्बर 2025 (घटती-घटना)।
पुलिस हिरासत में मौत के मामले लगातार सामने आ रहे हैं, जिससे पुलिस की पूछताछ प्रणाली और मानवाधिकारों को लेकर गंभीर सवाल उठने लगे हैं,सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट दिशा-निर्देश हैं कि किसी भी आरोपी से पूछताछ के दौरान अत्यधिक बल का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए और प्रक्रिया पूरी तरह मानवीय एवं कानूनी होनी चाहिए। इसके बावजूद क्षेत्र में हाल के समय में पुलिस अभिरक्षा में मौत की तीन घटनाएं दर्ज की गई हैं,इनमें से दो घटनाएँ बलरामपुर जिले की बताई गई हैं,जबकि एक घटना अंबिकापुर (रानूबेग) क्षेत्र की है, इन मामलों में पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई और पूछताछ के दौरान अपनाए गए तरीकों को लेकर स्थानीय स्तर पर सवाल उठते रहे हैं। बता दे की जिले में पुलिस हिरासत में एक युवक की मौत के बाद रविवार और सोमवार को स्थिति तनावपूर्ण बनी रही। मृतक युवक को चोरी के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था, परिजनों का आरोप है कि युवक की मौत पुलिस की पिटाई से हुई है,जबकि पुलिस का कहना है कि युवक को सिकलसेल की पुरानी बीमारी थी और इलाज के दौरान उसकी तबीयत बिगड़ने से उसकी मौत हो गई, घटना के बाद बड़ी संख्या में ग्रामीण और परिजन कोतवाली थाने पहुंच गए और शव लेने से इनकार करते हुए धरने पर बैठ गए, कुछ समय के लिए पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच तनातनी की स्थिति भी बनी। मामले को गंभीरता से लेते हुए जिले में अतिरिक्त पुलिस बल की व्यवस्था की गई।
शहर में तनाव और सुरक्षात्मक व्यवस्था : घटना के बाद से कोतवाली और आसपास के क्षेत्रों में फोर्स की तैनाती,बैरिकेडिंग और भीड़ नियंत्रण की व्यवस्था, थाना परिसर में आवागमन पर निगरानी पिछले वर्ष भी इसी थाने में हिरासत में मौत के बाद भारी बवाल हुआ था,इसलिए इस बार पूर्व सतर्कता बरती जा रही है।
लगातार सामने आ रहे कस्टडी डेथ के मामले : संभाग में हाल के समय में पुलिस अभिरक्षा में मौत के तीन मामले सामने आ चुके हैं दो बलरामपुर जिले से, एक अंबिकापुर (पंकज बेग मामला) इन मामलों ने पुलिस कार्यप्रणाली, पूछताछ के तरीके और मानवाधिकारों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
हिरासत में मौत होने के बाद जांच लंबी खिंचती है,जिम्मेदारी तय होने में देरी होती है : परिजनों और सामाजिक संगठनों का कहना है कि हिरासत में मौत होने के बाद जांच लंबी खिंचती है,जिम्मेदारी तय होने में देरी होती है और अंत में अक्सर दोषी ठहराया जाने वाला कोई नहीं होता, इसी बीच न्याय की मांग करने वाले परिवारों का दर्द यह भी है कि जिसकी मौत हुई, उसे न्याय नहीं मिल पाता। मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट भी इस बात पर जोर देती रही हैं कि हिरासत में मौत केवल एक व्यक्तिगत घटना नहीं, बल्कि पूछताछ की प्रणाली, पुलिस प्रशिक्षण और जवाबदेही से जुड़े बड़े प्रश्न खड़े करती है।
किस मामले में थी गिरफ्तारी-
यह पूरा मामला 30 अक्टूबर को धनंजय ज्वेलर्स में हुई चोरी से जुड़ा है। दुकान से लाखों रुपये के जेवर और नकदी चोरी की गई थी। पुलिस ने इस वारदात में शामिल 5 आरोपियों और चोरी के माल की खरीद-फरोख्त में शामिल 4 अन्य लोगों को गिरफ्तार किया था। मृतक उन्हीं में से एक बताया गया।
पुलिस का पक्ष-
पुलिस प्रशासन का कहना है मृतक आरोपी को पहले से सिकलसेल की बीमारी थी, पूछताछ के दौरान तबीयत बिगड़ने पर उसे अस्पताल ले जाया गया, इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई एडिशनल एसपी ने कहा कि मामले में मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए हैं और रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्यवाही की जाएगी।
परिजनों का आरोप-
परिजनों और ग्रामीणों ने कहा युवक पूरी तरह स्वस्थ था थाने में मारपीट के कारण मौत हुई शव पर चोट के निशान दिखाई दे रहे हैं पुलिस की कार्रवाई निष्पक्ष और पारदर्शी नहीं परिवार ने न्यायिक जांच तथा दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
कानूनी रूप से क्या होना चाहिए?
कस्टडी में मौत होने पर मजिस्टि्रयल जांच अनिवार्य है पोस्टमार्टम वीडियोग्राफी के साथ होना चाहिए, परिजनों को जांच प्रक्रिया की जानकारी दी जानी चाहिए,दोष सिद्ध होने पर पुलिसकर्मियों पर आपराधिक मामला दर्ज होता है परंतु जमीनी स्थिति में इन प्रावधानों के क्रियान्वयन को लेकर अक्सर सवाल उठते हैं।
जनता की अपेक्षा
स्थानीय नागरिक,जनप्रतिनिधि और सामाजिक संगठन यह मांग कर रहे हैं कि पूछताछ की प्रक्रिया पारदर्शी की जाए हिरासत में रखे गए व्यक्ति की मेडिकल निगरानी सुनिश्चित हो और जवाबदेही व्यवस्था मजबूत किया जाए,स्पष्ट है कि यह केवल कानून व्यवस्था का नहीं, बल्कि नागरिक अधिकार और मानव गरिमा से जुड़ा संवेदनशील मुद्दा है, अब निगाहें इस बात पर हैं कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस प्रशासन किस प्रकार की ठोस व्यवस्था और सुधार लागू करता है।
ग्रामीणों की मांग…
घटना की हाई-लेवल जांच पूछताछ प्रक्रिया में पुलिस प्रोटोकॉल का पालन आरोपित पुलिसकर्मियों पर कानूनी कार्रवाई अब पूरे मामले की सच्चाई जांच रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट होगी, स्थानीय लोगों की निगाहें प्रशासनिक कार्रवाई और जांच की पारदर्शिता पर टिकी हुई हैं।


Share

Check Also

रायपुर@पानी भरे गड्ढे में डूबने से दो बच्चों की मौत

Share रायपुर निगम नेता-तिपक्ष आकाश तिवारी पीडि़त परिवार से मिले रायपुर,11 नवम्बर 2025 I रायपुर …

Leave a Reply