बैकुण्ठपुर@नवीन अस्पताल निर्माण का निरीक्षण तो प्रतिनिधि कर रहे पर जो पुराने अस्पताल में लापरवाही बरती जा रही है उसका निरीक्षण कौन करेगा?

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  • स्वास्थ के नाम पर जो भ्रष्टाचार व खिलवाड़ हो रहा है उसकी जांच कौन करेगा?
  • कोरिया जिले का स्वास्थ्य विभाग भारी भ्रष्टाचार का अड्डा है पर इसके निरीक्षण पर सभी की आंखें बंद क्यों है?
  • सभी को पता है कि भ्रष्टाचार जमकर हुआ है पर इस और कार्यवाही करें तो करें कौन?
  • भ्रष्टाचार व सिस्टम की लापरवाही से जिला अस्पताल में नवजातों की जान पर खतरा
  • डीएमएफ से बने शिशु वार्ड की फाल्स सीलिंग बेड में गिरने से दुर्घटना की आशंका
  • शिशु वार्ड महिला वार्ड में शिफ़्ट,महिला मरीज अस्पताल के गलियारों में

रवि सिंह –
बैकुण्ठपुर,31 जनवरी 2023 (घटती-घटना)। कुछ दिन पहले स्थानीय विधायक का नवीन अस्पताल निर्माण के निरीक्षण की फोटो सोशल मीडिया पर तैर रही थी और उनकी उपलब्धियां बताई जा रहे थे उनकी उपलब्धि है यह अच्छी बात है कि उनके कार्यकाल में जिले को एक नई सौगात मिल रही है पर इनका कर्तव्य एक और भी है वह है कि पुराने अस्पताल में जो भ्रष्टाचार हो रहा है जो लापरवाही के बीच लोगों की जान पर खतरा मंडरा रहा है आखिर उसका निरीक्षण भी इन्हें करना चाहिए, आखिर क्या इसके निरीक्षण के लिए कोई बाहर से जनप्रतिनिधि आएगा? क्या उन मुद्दों को कोई और देखेगा ऐसे तमाम तरह के सवाल भी उठ रहे हैं क्योंकि पुराना जिला अस्पताल ही भ्रष्टाचार का अड्डा बना हुआ है और यहां पर लापरवाही भी देखी जा रही है लाखों रुपए खर्च कर सुविधाएं तो दे दी जाती हैं पर यह सुविधाएं धरातल पर लोगों के लिए ही खतरे की घंटी बनकर खड़ी हो जाती है, आखिर ऐसे समस्याओं पर भी जनप्रतिनिधियों का निरीक्षण जरूरी है जो शायद नहीं हो पाता है।
अस्पताल लोग जान बचाने के लिए चाहते हैं ना कि जान गवने के लिए और कोरिया जिले के जिला अस्पताल में कुछ ऐसे ही दृश्य सामने देखने को आ रहे हैं जहां पर लोगों की जान बचने की संभावना कम जान जाने की संभावना ज्यादा दिख रही है स्वास्थ्य मंत्री के गृह संभाग में जिला प्रशासन व लोक निर्माण विभाग की लापरवाही व अनदेखी के कारण इन दिनों जिला चिकित्सालय बैकुण्ठपुर में नवजात शिशुओं व महिला मरीज़ों की जान सांसत में है। क्योंकि अस्पताल के प्रथम तल पर दो वर्ष पूर्व बना शिशु वार्ड भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। यहां लगी फॉल्स सीलिंग आये दिन टूट कर नीचे गिर रही है। जिससे कभी भी कोई गम्भीर दुर्घटना हो सकती है। जानकारी के बावजूद इसको लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों का रवैया उदासीन बना हुआ है। वहीं प्रशासन अभी भी झूमका जल महोत्सव की खुमार में सद्भावना क्रिकेट मैच खेलने में व्यस्त है। शिकायत के बाद आनन-फानन में सीलिंग की मरम्मत तो करा दी गयी है लेकिन अस्पताल प्रबंधन बिना भौतिक सत्यापन के वार्ड प्रारंभ नही कर रहा है। और शिशु वार्ड आज तलक बन्द है। जिससे शिशु व महिला मरीजों के साथ उनके परिजन को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सबसे ज़्यादा दिक्कत नवजात शिशुओं व महिला मरीज़ों को रही है। क्योंकि अब अस्पताल में उनका कोई स्थायी ठौर ठिकाना नही रह गया। शिशु वार्ड को महिला वार्ड में शिफ़्ट कर दिया गया है। वहीं महिला मरीज प्रथम तल के गलियारे में इलाज कराने को मजबूर हैं। शिशु वार्ड में औसतन 40-50 नवजात भर्ती रहते हैं। वर्तमान में उनके लिए पर्याप्त बेड नही हैं अभी सात शिशु आक्सीजन पर हैं। जिला खनिज न्यास मद की बंदरबांट कैसे होती है इसकी बानगी जिला चिकित्सालय के शिशु वार्ड में देखी जा सकती है। जहां दो वर्ष पूर्व बनाये गए शिशु वार्ड की सीलिंग भरभरा कर गिर रही है। जिससे कभी भी कोई दुर्घटना घट सकती है।
लापरवाही बनी स्वास्थ्य सुविधा में अड़चन
विदित हो कि जिला चिकित्सालय बैकुण्ठपुर में डीएमएफ से लोक निर्माण विभाग द्वारा डेढ़ वर्ष पूर्व लगभग 30 लाख की लागत से शिशु वार्ड का निर्माण प्रथम तल में कराया गया है। जिसे सितम्बर 2021 में जिला चिकित्सालय बैकुण्ठपुर को सौंपा गया था। शिशु वार्ड में छत की ढलाई की संभावना नहीं होने के कारण लोक निर्माण विभाग द्वारा छत पर शेड लगाकर वार्ड का निर्माण कराया गया। उक्त वार्ड में बरसात में बारिश के कारण शेड से पानी का रिसाव हो रहा था। जिसके कारण वार्ड में भर्ती मरीजों/शिशुओं को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था। जिसे देखते हुए जिला चिकित्सालय बैकुण्ठपुर के प्रबंधन द्वारा शेड के ऊपर तिरपाल लगाकर वैक्लपिक व्यवस्था बनाई गई थी। जनवरी माह से शिशु वार्ड में लगे हुए फाल सिलिंग खुलकर नीचे बेड पर गिर रहे हैं। जिसके कारण उक्त वार्ड में भर्ती शिशुओं के साथ दुर्घटना होने की संभावना हमेशा बनी रहती हैं। इस समस्या को देखते हुए यथाशीघ्र मरम्मत कराये जाने के संबंध में गत 04 जनवरी 2023 को अनुविभागीय अधिकारी, लोक निर्माण विभाग बैकुण्ठपुर को पत्र भेजा गया था। जिसके तहत लोक निर्माण विभाग के द्वारा क्षतिग्रस्त व गिरे हुए फाल सिलिंग की मरम्मत कराई गई। परंतु उक्त वार्ड के अन्य जगहों से भी सिलिंग धीरे-धीरे खुल रही हैं। जिसके कारण उक्त वार्ड से सभी शिशुओं को महिला कक्ष में शिफ्ट कर दिया गया है। परंतु उक्त शिफ्ट किये गये वार्ड में पर्याप्त स्थान नही है। साथ ही महिला मरीजों को भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में शिशु वार्ड का फॉल सिलिंग निकालकर नवीन फॉल सिलिंग लगाया जाना एवं शेड का मरम्मत करना नितांत आवश्यक है। अब देखना होगा कि नवजात शिशुओं के जीवन रक्षा से जुड़े इस संवेदनशील विषय पर जनप्रतिनिधियों के मौन के बीच जिला प्रशासन व लोक निर्माण विभाग कितनी जल्दी और क्या पहल करता है?


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