स्वास्थ्य मंत्री के चहेती विधायक के गृह क्षेत्र के अस्पताल में अव्यवस्था का अंबार

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बेड की कमी से बच्चों का गोद में हो रहा ईलाज,जिम्मेदार भी है लाचार…विधायक को जनसरोकार में कम व्यक्तिगत जानकारी में ज्यादा रूचि

रवि सिंह-


बैकु΄ठपुर 21 सितम्बर 2021 (घटती-घटना)। जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर जिलें में व्यवस्था बद से बदत्तर नजर आ रही है। स्वास्थ्य अमला स्वास्थ्य सुविधा देने में असमर्थ नजर आ रही है। इन दिनों मौसमी बिमारी का खतरा बहुत तेजी से बढ़ा है और लोग मौसमी बिमारी के चपेट में आ रहे है। अस्पतालों में व्यवस्था व सुविधाएं भगवान भरोसे ही चल रहा है। वहीं संसदीय सचिव के गृह निवास से कुछ दूरी पर स्थित जिला चिकित्सालय में ईलाज व्यवस्था पूरी तरह दम तोड़ती दिख रही है पर ईलाज व्यवस्था पर न तो विभाग के जिम्मेदारों की नजर है और न ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों की। इन दिनों बच्चों में सर्दी, खांसी व बुखार के लक्षण ज्यादा बढ़ गये है जिसे हम फ्लू कहते है। इन दिनों जिला अस्पताल से लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रो में बच्चों में फ्लू का खतरा बढ़ गया है। जिला अस्पताल में अव्यवस्था के साथ लापरवाही का आलम है। जिम्मेदार भी बेवस दिखायी दे रहे है।
इन दिनों वायरल बुखार व सर्दी-खांसी से पीçड़त बच्चों की संख्या में ईजाफा हो रहा है। जिनके समुचित ईलाज के लिये न तो बेड खाली है और न ही जिम्मेदार चिकित्सक सभी बच्चों तक पहुंच पा रहे है। आलम यह है कि बिमार बच्चों को मां की गोद में ईलाज सुनिष्चित किया जा रहा है वही नेबुलाइजर भी भर्ती किये बच्चें के परिजन लगा रहे है। बेड की कमी होने से फर्श पर ही बिस्तर लगाकर कई मासूमों को ऑक्सीजन दिया जा रहा है। वहीं चिकित्सकों की सलाह से लगभग 30 बच्चों को डिस्चार्ज कर दिया है। फिर भी लगभग 50 बच्चों का इलाज जारी है। इनमें 15 बच्चे अब भी ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं। अस्पताल में अव्यवस्था की बड़ी लापरवाही सामने आने के बाद भी चाइल्ड वार्ड में हालात नहीं बदले हैं। यहां 50 मासूम बच्चों की देखरेख सिर्फ एक नर्सिंग स्टाफ व वार्ड बॉय के भरोसे है। नर्स स्टाफ की कमी से यहां परिजन बच्चों को खुद ही नेबुलाइज (मशीन से भाप) करा रहे हैं, जिन परिजनों को मशीन ऑपरेट करने में परेशानी हो रही है, वे नर्स से पूछकर इसे चला रहे हैं। जबकि बच्चों की जान बचाने के लिए जितनी जरूरत विशेषज्ञ डॉक्टर की है, उतनी ही आवश्यकता नर्सेज व वार्ड बॉय की भी है, क्योंकि बच्चे की देखरेख सही नहीं होगी, दवा नहीं देंगे तो इलाज कैसे होगा? कई परिजनों ने बताया कि बिमार बच्चों को लेकर ओपीडी के खाली चेयर पर बैठकर स्वास्थ्य अमला का इंतजार किया जाता है। कितनी बड़ी विडम्बना है कि जिला अस्पताल में चिकित्स सहित अस्पताल स्टाफों का इंतजार करना पड़ रहा है। एक परिजन ने बताया कि अस्पताल में आए हुए 6 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक बेड नहीं मिल सका है। अस्पताल के डिस्पेंसरी में दवा व इंजेक्शन भी नहीं मिल रहे हैं। मजबूरी में यह दवा बाहर के दुकानों से लेना पड़ रहा है।

मरीजों की परेशानी कलेक्टर तक पहुंची,सीएमएचओ व
जिपं सीईओ को आधी रात भेजा अस्पताल

जिला अस्पताल में बीमार बच्चों की बढ़ती संख्या को देखते हुए जिला प्रशासन हरकत में आया और कलेक्टर ने मरीजों की परेषानी को देखते हुये देर रात उनके निर्देश पर जिला पंचायत सीईओ, एसडीएम और सीएमएचओ अस्पताल में व्यवस्था का जायजा लेने पहुंचे और अलग से बन रहे चाइल्ड वार्ड को जल्द तैयार करने की बात कही।
अस्पताल ही बीमार ओपीडी में जहां मासूमों को भर्ती किया,वहीं फैली हुई है गंदगी,बढ़ रहा है संक्रमण का खतरा
परिजन बच्चों को स्वास्थ्य लाभ दिलाने के लिए अस्पताल पहुंच रहे हैं, वह जिला अस्पताल खुद बीमार चल रहा है। क्योंकि यहां पर्याप्त सफाई नहीं की जा रही है। जिसके कारण अस्पताल परिसर में काफी गंदगी हो गई है। इसके चलते मासूमों को संक्रामक रोग होने का खतरा बना हुआ है। हालात तो यहां तक खराब हैं कि अस्पताल ओपीडी के बरामदे में जहां बच्चों को फर्श पर भर्ती किया गया है, वहीं खिड़की के बाहर टीन की सीट पर बच्चों के गंदे डायपर के ढेर खुले में फेंके हुए हैं। ओपीडी की चेयर जहां मां बच्चों को गोद में लिए बैठी हुईं हैं, वहां चेयर से लगी हुई खिड़की, चैनल गेट पर जगह-जगह लोगों ने गुटखा थूक रखा है। चाइल्ड वार्ड आने वाली सीढ़ी का भी यही हाल है। इससे मासूम बच्चों में संक्रमण फैलने का खतरा बना हुआ है, क्योंकि कोरोना का प्रकोप अभी कम नहीं हुआ है। चाइल्ड वार्ड में इतने गंभीर हालात होते हुए भी अस्पताल में सफाई नहीं कराई जा रही है।

जिम्मेदारों के पास बहाने है जवाब नहीं

जिला चिकित्सा अधिकारी से लेकर सिविल सर्जन तक सभी जिम्मेदारों के भरोसे जिला चिकित्सालय की व्यवस्था की बागडोर उनके हाथ में है और इन जिम्मेदारों के पास सिर्फ बहाने है जवाबदेही नहीं। सिविल सर्जन डॉ एसके गुप्ता ने कहा कि अस्पताल में सफाई कर्मचारी नियुक्त हैं। जिनसे तीन पालियों में काम लिया जाता है। सफाई रोज हो रही है। जहां गंदगी है, वहां सफाई करा देंगे।

संसदीय सचिव भी अस्पताल व्यवस्था के प्रति गंभीर नहीं

जनता की सेवाओं को लेकर कितनी गंभीर है संसदीय सचिव इस बात का अंदाजा जिला अस्पताल की व्यवस्था से लगाया जा सकता है स्वास्थ्य सुविधाएं हमेशा अच्छी रहनी चाहिए पर यहां के स्वास्थ्य उस कहावत की तरह है कि आग लगी तो बुझाने के लिए कुआं खोदना, जब विपत्ति आन पड़ती है तब यहां सुविधाएं बढ़ते हैं जो सुविधाएं पहले से मौजूद हैं उन सुविधाओं का लाभ मरीजों को नहीं मिल पाता स्वास्थ्य सुविधाए हमेशा अच्छी रहे इसके लिए संसदीय सचिव की पहल समझ के परे।

आनन-फानन में 30 नए चाइल्ड बेड जुड़े

स्थिति गंभीर होने पर प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद आनन-फानन में चाइल्ड वार्ड में 20 नए बैड जोड़ा गया ताकि जमीन की जगह बेड पर बच्चों का इलाज हो सके पर समस्या वही हैं कि क्या बेड बढ़ने से इलाज भी अच्छा होगा या फिर मरीजों को डाक्टर व स्टाफ का इंतजार करना होगा।


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